वीरता और शौर्य की मिसाल है कारगिल विजय दिवस, पढ़िए पाक को धूल चटाने की विजय गाथा

punjabkesari.in Monday, Jul 26, 2021 - 09:51 AM (IST)

नेशनल डेस्क: आज का दिन उन शहीदों के लिए समर्पित है जो हंसते-हंसते मातृभूमि की रक्षा करते हुए वीरगति को प्राप्त हो गए। यह दिन समर्पित है उन्हें, जिन्होंने अपना आज हमारे कल के लिए बलिदान कर दिया। आज के ही दिन यानी  26 जुलाई 1999 के दिन भारतीय सेना ने कारगिल युद्ध के दौरान चलाए गए ‘ऑपरेशन विजय’ को सफलतापूर्वक अंजाम देकर भारत भूमि को घुसपैठियों के चंगुल से मुक्त कराया था। 

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एकता व अखंडता की रक्षा करते हुए जवानों ने कुर्बान की जिंदगी 
कारगिल युद्ध जो कारगिल संघर्ष के नाम से भी जाना जाता है, भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में मई के महीने में कश्मीर के कारगिल जिले से प्रारंभ हुआ था। जवानों ने अपना सर्वस्व देशवासियों के सुनहरे भविष्य के साथ साथ देश की एकता व अखंडता की रक्षा करते हुए अपनी जिंदगी कुर्बान कर दिया था।

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कैसे शुरू हुई थी कारगिल की लड़ाई
बात 3 मई 1999 की है जब कारगिल की पहाड़ियों में एक स्थानींय ग्वाले ने पाकिस्तानी घुसपैठियों को राशन और हथियारों के साथ चोटियों की ओर जाते देखा था। इसके बाद बटालिक सेक्टर में ले. सौरभ कालिया की पेट्रोलिंग पार्टी पर हमला हुआ और कारगिल में घुसपैठियों की मौजूदगी का खुलासा हुआ। भारत का पाकिस्तान के साथ साल 1999 में हुआ कारगिल युद्ध पाकिस्तान की तबाही के लिए जाना जाता है। वैसे तो ये युद्ध 3 मई 1999 को शुरू हुआ था लेकिन इसकी शुरुआत पाकिस्तान ने साल 1998 में ही कर दी थी। उसने अपने 5,000 सैनिकों को कारगिल की चढ़ाई के लिए भेजा। उन्होंने कारगिल के एक हिस्से को घेर लिया था। इस बात की जानकारी जब भारत सरकार को मिली तो सेना ने पाक सैनिकों को खदेड़ने के लिए ऑपरेशन विजय शुरू किया। 

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घुसपैठियों के रूप में थे पाक सैनिक
कागगिल की चोटी से हो रही बमबारी को देख भारतीय सेना को विश्वास हो गया कि असल में यह पाकिस्तानी फौज द्वारा योजना के तहत बड़े स्तर पर घुसपैठ की गई है। जिसमें बड़ी संख्या में घुसपैठियों की शक्ल में पाक सेना के प्रशिक्षित सैनिक शामिल थे। भारतीय वायु सेना ने पाकिस्तान के खिलाफ मिग-27 और मिग-29 का भी इस्तेमाल किया। इसके बाद जहां भी पाकिस्तान ने कब्जा किया था वहां बम गिराए गए। इसके अलावा मिग-29 की सहायता से पाकिस्तान के कई ठिकानों पर आर-77 मिसाइलों से हमला किया गया। इस युद्ध में बड़ी संख्या में रॉकेट और बम का इस्तेमाल किया गया। बताया जाता है कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यही एक ऐसा युद्ध था जिसमें दुश्मन देश की सेना पर इतनी बड़ी संख्या में बमबारी की गई थी।
 


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Content Writer

Supreet Kaur

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