वायुसेना के हीरो 'मिग-27' ने भरी अपनी आखिरी उड़ान, कारगिल में दुश्मनों के छुड़ाए थे छक्के

punjabkesari.in Friday, Dec 27, 2019 - 01:46 PM (IST)

नेशनल डेस्क: 1999 करगिल युद्ध में अहम भूमिका निभाने के साथ ही भारतीय वायुसेना में तीन दशक से अधिक समय तक सेवा में रहने वाले लड़ाकू विमान मिग-27 विमान रिटायर हो गया। तीन दशक तक वायुसेना में शौर्य की गाथाएं लिखने वाले मिग-27 ने राजस्थान के जोधपुर एयरबेस में अपनी आखिरी उड़ान भरी। इस दौरान वायुसेना के कई बड़े अधिकारी मौजूद रहे। स्विंग..विंग लड़ाकू विमान वायुसेना में कई दशकों तक ‘ग्राउंड...अटैक' बेड़े में अहम भूमिका में रहे थे। 

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स्विंग..विंग फ्लीट का उन्नत संस्करण 2006 से वायुसेना के स्ट्राइक फ्लीट का गौरव रहा है। अन्य सभी संस्करण जैसे मिग..23 बीएन और मिग..23 एमएफ और विशुद्ध मिग 27 वायुसेना से पहले ही रिटायर हो चुके हैं। इस बेड़े ने ऐतिहासिक करगिल युद्ध के दौरान गौरव हासिल किया था जब इसने दुश्मन के ठिकानों पर राकेट और बम सटीकता से गिराये थे। इस बेड़े ने आपरेशन पराक्रम में भी सक्रिय भूमिका निभायी थी।

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 नम्बर 29 स्क्वाड्रन वायुसेना में मिग 27 अपग्रेड विमानों को संचालित करने वाली एकमात्र इकाई है। उन्नत संस्करण ने कई राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय अभ्यासों में हिस्सा लिया है। स्क्वाड्रन की स्थापना 10 मार्च 1958 को वायुसेना स्टेशन हलवारा में ओरागन (तूफानी) विमान से की गई थी। ‘‘वर्षों तक स्क्वाड्रन को कई तरह के विमानों से लैस किया गया जिसमें मिग21 टाइप 77, मिग 21 टाइप 96, मिग 27 एमएल और मिग 27 अपग्रेड शामिल हैं।

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जोधपुर एयरबेस में इस विमान की दो स्क्वाड्रन थी, जिसमें से एक को इस साल की शुरुआत में डिकमीशन कर दिया गया था। आखिरी को आज औपचारिक रूप से विदा कर दिया गया। इन विमानों को 2016 में ही विदाई देने की तैयारी थी लेकिन वायुसेना में विमानों के घटते स्क्वाड्रन को देखते हुए इसमें तीन साल विलंब हुआ। पिछले 10 साल में हर साल दो मिग 27 विमान दुघर्टना का शिकार हुए हैं जिनमें वायुसेना के कई जाबाज पायलट शहीद भी हुए हैं। इस विमान में आर-29 नाम का इंजन लगा हुआ था जिसे रूस ने खुद विकसित किया था।

 

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vasudha

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