अधिकारियों के कैडर से संबंधित जम्मू कश्मीर पुनर्गठन संशोधन विधेयक लोकसभा में पेश

punjabkesari.in Saturday, Feb 13, 2021 - 03:18 PM (IST)

नयी दिल्ली: सरकार ने शनिवार को लोकसभा में जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2021 को चर्चा एवं पारित करने के लिए पेश किया जिसमें मौजूदा जम्मू कश्मीर कैडर के भारतीय प्रशासनिक सेवा, भारतीय पुलिस सेवा और भारतीय वन सेवा के अधिकारियों को अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मिजोरम और केंद्रशासित प्रदेशों के कैडर का हिस्सा बनाने का प्रावधान है।  यह विधेयक जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) अध्यादेश का स्थान लेगा जो पिछले महीने जारी किया गया था। विधेयक के प्रावधानों के अनुसार मौजूदा जम्मू कश्मीर कैडर के भारतीय प्रशासनिक सेवा, भारतीय पुलिस सेवा और भारतीय वन सेवा के अधिकारी अब अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मिजोरम और केंद्रशासित प्रदेशों के कैडर का हिस्सा होंगे।

 

केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू कश्मीर और लद्दाख के लिए भविष्य के सभी आवंटन अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मिजोरम और केंद्रशासित प्रदेशों के कैडर से होंगे। विधेयक के अनुसार अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मिजोरम और केंद्रशासित प्रदेशों के कैडर के अधिकारी केंद्र सरकार द्वारा तय किए गए नियमों के अनुसार कार्य करेंगे। राज्यसभा में विधेयक पारित हो चुका है। विधेयक को लोकसभा में चर्चा और पारित करने के लिए रखते हुए गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू कश्मीर के नागरिकों का सपना पूरा किया है और दोनों राज्यों को विकास की ओर ले जाने का प्रयास जारी है।

विधेयक पर चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी ने इसके लिए अध्यादेश लाये जाने पर आपत्ति जताई और कहा कि अगर नियमित अध्यादेश लाए जाएंगे तो संसदीय लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है। उन्होंने कहा कि अध्यादेश लाने चाहिए, लेकिन आपात स्थिति में। ऐसा लगता है कि संसदीय लोकतंत्र पर सरकार का भरोसा कम हो रहा है। इस दौरान गृह मंत्री अमित शाह सदन में उपस्थित थे। चौधरी ने कहा कि अनुच्छेद 370 को समाप्त करते हुए और जम्मू कश्मीर पुनर्गठन विधेयक को लागू करते हुए सरकार ने पूरे देश को सपना दिखाया कि जम्मू कश्मीर में रोजगार, पर्यटन के अवसर आदि मिलेंगे और आतंकवाद खत्म हो जाएगा। लेकिन लगभग डेढ़ साल हो गया और राज्य में अभी तक हालात सामान्य नहीं हैं और आतंकवादी की घटनाएं जारी हैं। वहां लोगों के अंदर डर का माहौल बना हुआ है।

 

चौधरी ने कहा कि विधेयक पारित होने के डेढ़ साल बाद जम्मू कश्मीर में दूसरे राज्यों के कैडर के प्रशासनिक, पुलिस अधिकारियों को लाने के लिए विधेयक लाया गया है। उन्होंने कहा कि इसका मतलब है कि सरकार ने बिना तैयारी के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को हटाया , अन्यथा डेढ़ साल बाद इस बारे में विचार नहीं करते। कांग्रेस नेता ने कहा कि जम्मू कश्मीर में स्थानीय कैडर जरूरी हैं, क्योंकि वहां के नागरिक इस सरकार पर भरोसा नहीं करते। 

 

उन्होंने कहा, "सुझाव है कि जम्मू कश्मीर में अधिक से अधिक स्थानीय अधिकारियों को तैनात करना वहां के प्रशासन के लिए अच्छा होगा।" चौधरी ने कहा कि बाहरी कैडर के अधिकारियों के लिए भाषा, जमीनी स्थिति, संस्कृति आदि संबंधी कठिनाइयां भी होंगी। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने कश्मीरी पंडितों की घाटी में वापसी कराने का आश्वासन दिया था लेकिन क्या आज तक एक भी कश्मीरी पंडित की वापसी हो सकी है।

 

नेशनल कॉन्फ्रेंस के हसनैन मसूदी ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि पांच अगस्त 2019 को राज्य को दो हिस्सों में बांटने और अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को समाप्त करने के इस सरकार के फैसले एकतरफा थे और कश्मीर की जनता के खिलाफ 'आक्रमण से कम नहीं थे' । उन्होंने कहा कि हम जायज तरीके से इनका विरोध करते रहेंगे। मसूदी ने कहा कि इसके विरोध में शीर्ष अदालत में याचिकाएं दाखिल की गयीं जिन्हें विचारार्थ स्वीकार किया गया और संविधान पीठ को भेजा गया।

उन्होंने कहा कि मामला अदालत में विचाराधीन होने के बाद भी सरकार ने पहले कानून को लागू किया जो संविधान का अपमान है। आज लाया गया विधेयक भी उस क्रियान्वयन प्रक्रिया का हिस्सा है।

भाजपा के सत्यपाल सिंह ने कहा कि इस विधेयक के लागू होने के बाद राज्य के अधिकारियों को पता चलेगा कि देश कैसे चलता है, विकास कैसे होता है। उन्होंने कहा कि राज्य में पिछले अनेक वर्षों में 'नरसंहार' की हजारों घटनाओं के बाद भी किसी को सजा नहीं मिली। राज्य में इस तरह के अधिकारी और प्रशासक थे, इसलिए यह विधेयक जरूरी है।


 


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Content Writer

Monika Jamwal

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