‘जापानी बाबा वेंगा’ की जुलाई भविष्यवाणी से मचा हड़कंप, दहशत में आए लोग, 50% पर्यटन बुकिंग कैंसिल
punjabkesari.in Friday, May 23, 2025 - 08:50 AM (IST)

नेशनल डेस्क: जापान वैसे तो भूकंप और सुनामी के खतरे के चलते हमेशा अलर्ट पर रहता है, लेकिन इस बार डर की वजह कोई वैज्ञानिक चेतावनी नहीं, बल्कि एक मंगा कलाकार की किताब है! सोशल मीडिया पर 'जापानी बाबा वेंगा' के नाम से मशहूर रयो तात्सुकी ने अपनी चर्चित मंगा 'The Future I Saw' में जुलाई 2025 के लिए एक विनाशकारी सूनामी और ज्वालामुखी विस्फोट की भविष्यवाणी की है – और इसी ने जापान में अफरा-तफरी मचा दी है।
कौन हैं रयो तात्सुकी?
तात्सुकी खुद को कोई भविष्यवक्ता नहीं मानतीं, लेकिन उन्होंने 1999 में जो मंगा प्रकाशित की थी, उसमें कई ऐसी घटनाओं की झलक दी गई थी जो बाद में सच साबित हुईं – जैसे 2011 की जापान सुनामी, 1995 कोबे भूकंप और यहां तक कि फ्रेडी मर्करी की मौत। उनकी किताब का 2021 में अपडेटेड संस्करण आया, जिसमें जुलाई 2025 में "उबलते समुद्र" और "भीषण सूनामी" की बात कही गई है।
डर की वजह बनी कल्पना!
कोई वैज्ञानिक चेतावनी नहीं आई है, फिर भी लोग घबरा रहे हैं। क्योंकि तात्सुकी की पूर्ववाणियाँ पहले भी कई बार सच साबित हुई हैं। जापान जैसे संवेदनशील देश में, जहां समुद्री और भूकंपीय गतिविधियाँ सामान्य बात हैं, ऐसे में एक काल्पनिक भविष्यवाणी भी बड़ी चिंता का कारण बन रही है।
पर्यटन पर बुरा असर
रिपोर्ट्स के अनुसार, इस भविष्यवाणी के चलते जुलाई 2025 की बुकिंग में 30% से 50% तक की गिरावट देखी गई है। खासकर ताइवान, थाईलैंड, सिंगापुर और फिलीपींस से आने वाले पर्यटक अपनी यात्राएँ रद्द या स्थगित कर रहे हैं। होटल मालिकों का कहना है कि डर का माहौल है, जबकि हकीकत में ऐसी कोई आधिकारिक चेतावनी नहीं है।
सोशल मीडिया पर हड़कंप
#July2025Prediction जैसे हैशटैग्स ट्रेंड कर रहे हैं। लोग इमरजेंसी किट, टॉर्च और वाटर फिल्टर जैसी चीजें खरीद रहे हैं। Reddit, YouTube और फोरम्स पर "तात्सुकी की भविष्यवाणी" पर खूब चर्चा हो रही है—कुछ लोग इसे गंभीर मान रहे हैं, तो कुछ लोग इसे महज एक पॉप-कल्चर घटना बता रहे हैं।
वैज्ञानिक क्या कहते हैं?
विशेषज्ञों का कहना है कि Pacific Ring of Fire में भूकंप और ज्वालामुखी की सक्रियता आम है, लेकिन Japan Meteorological Agency (JMA) या USGS जैसी कोई एजेंसी जुलाई 2025 को लेकर किसी विशेष खतरे की पुष्टि नहीं करती। टोहो यूनिवर्सिटी के प्रो. ताकाशी कावामुरा के अनुसार, “यह डर एक मनोवैज्ञानिक प्रतिक्रिया है, वैज्ञानिक नहीं।”