Exclusive Interview : कॉमेडी का नया पंच है 'जय मम्मी दी'

punjabkesari.in Friday, Jan 17, 2020 - 03:15 PM (IST)

नई दिल्ली। 'प्यार का पंचनामा 2' (Pyaar Ka Punchnama 2) की एक हिट जोड़ी वापस से बड़े पर्दे पर फिल्म 'जय मम्मी दी' (Jai Mummy Di) लेकर आ गई है। इस फिल्म में नजर आ रहे हैं सनी सिंह (Sunny Singh) और सोनाली सैगल (Sonnalli Seygall)। इस फिल्म की एक और खास ये है कि इसे डायरेक्ट किया है अपने हटकर टॉपिक्स से दर्शकों का दिल जीतने वाले लव रंजन (Luv Ranjan) ने। सनी और सोनाली के साथ इस फिल्म में नजर आ रही हैं सुप्रिया पाठक (Supriya Pathak) और पूनम ढिल्लन (Poonam Dhillon)। फिल्म प्रमोशन (Film Promotion) के लिए दिल्ली पहुंचे सनी और सोनाली ने पंजाब केसरी (Punjab Kesari)/ नवोदय टाइम्स (Navodaya Times)/ जगबाणी (Jagbani)/ हिंद समाचार (Hind Samachar) से खास बातचीत की। पेश हैं प्रमुख अंश...

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मुझसे रिलेट करती है फिल्म : सनी सिंह
मैं बचपन से ही बहुत शरारती रहता था और मम्मी को मुझे काफी कंट्रोल करना पड़ता था। अपनी शरारतों में मैंने अपने दोस्त को भी शामिल कर लिया था और एक बार मेरी शरारत इतनी बढ़ गई थी कि मेरे दोस्त की मम्मी ने अपने हाथों में जूता लेकर मुझे दौड़ा लिया था। इसलिए कह सकता हूं कि इस फिल्म से मैं काफी रिलेट कर सकता हूं।

स्ट्रगल से भरी थी जर्नी
इस मुकाम तक पहुंचे के लिए मुझे बहुत स्ट्रगल करना पड़ा। डायरेक्टर्स से मिलना आसान होता था लेकिन काम मिलने के लिए खुद को काफी ग्रूम करना पड़ा। अपनी जर्नी के आधार पर यही कह सकता हूं कि सभी चीज आपके टैलेंट पर निर्भर करती है। ये आपकी जर्नी होती है जिसे आपको खुद तय करना पड़ता है। पहली फिल्म पाना तो फिर भी आसान है लेकिन फिल्में करते-करते और फिल्में पाना, अच्छा काम पाना काफी मुश्किल है।

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हटकर होती हैं लव रंजन की फिल्में
लव रंजन के साथ ये मेरी चौथी फिल्म है और उनकी फिल्मों की सबसे खास बात ये होती है कि उसे लोग बहुत ही जल्दी और आसानी से रिलेट कर लेते हैं। उनकी फिल्मों के डायलॉग्स ऐसे होते हैं जिन्हें हम रोजमर्रा की जिंदगी में इस्तेमाल करते हैं। इससे हमारा काम नेचुरल निकल कर आता है। इसके साथ ही उनकी फिल्म के टाइटल और गाने हमेशा बिल्कुल हटकर होते हैं।

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नेचुरल दिखना नहीं था आसान : सोनाली सैगल
मुझे खुशी है कि फिल्म में मेरा काम लोगों को नेचुरल लग रहा है क्योंकि इसके लिए मैंने बहुत मदद की है। मैं इस किरदार की तरह बिल्कुल भी नहीं हूं, न ही मेरा स्वभाव उसकी तरह है और न ही मैं उसकी तरह ड्रेसिंग करती हूं इसलिए इसे निभाया मेरे लिए और भी ज्यादा चैलेंजिंग था। इस रोल को निभाने के लिए रोजमर्रा की जिंदगी में लड़कियों को काफी ऑबजर्व किया। ये ऐसी फिल्म थी जिसमें मैं अपनी एक्टिंग और भी अच्छे तरीके से दिखा सकती थी। 

सुप्रिया पाठक-पूनम ढिल्लन को परफॉर्म करते देखना अलग एक्सपीरियंस
सुप्रिया पाठक और पूनम ढिल्लन जैसे सीनियर एक्टर्स को परफॉर्म करते देखना अपने-आप में एक अलग एक्सपीरियंस है। पहले तो इतने सीनियर एक्टर्स के साथ काम करते हुए मुझे समझ ही नहीं आ रहा था कि मैं उनकी साथ कितनी कंफर्टेबल रहूं। मुझे याद है पूनम ढिल्लन के साथ रीडिंग के पहले दिन से ही उनके साथ मेरी बहुत ही अच्छी बॉन्डिंग बन गई थी। वहीं अगर सुप्रिया पाठक की बात करूं तो उनके साथ भी बॉन्डिंग बनाने में मुझे अलग से मेहनत नहीं करनी पड़ी।

'प्यार का पंचनामा' से सिर्फ हीरो को हुआ फायदा
ये सच है कि प्यार का पंचनामा से एक्ट्रेस के मुकाबले एक्टर्स को ज्यादा फायदा हुआ। मैं अपने ही बारे में अगर बात करूं तो मैंने उसमें ग्लैमरस और नेगेटिव रोल निभाया था और यही वजह थी कि उस फिल्म के बाद भी मुझे वैसे ही रोल ऑफर होते रहे और मैं स्टीरियोटाइप नहीं बनना चाहती थी। काफी मेहनत लगी उस इमेज तो तोड़कर उससे बाहर निकलने में।


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Chandan

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