बांग्लादेश में शरिया कानून की दस्तक! कट्टरपंथी नेता गरजे- महिला सुधार इस्लाम के खिलाफ

punjabkesari.in Sunday, May 04, 2025 - 03:04 PM (IST)

Dhaka: बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस महिला अधिकारों को लेकर कट्टरपंथी ताकतों के निशाने पर आ गए हैं। सरकार द्वारा प्रस्तावित कानूनों में महिलाओं को संपत्ति में बराबरी का अधिकार देने की बात की गई है, जिसे इस्लामिक संगठनों ने ‘इस्लाम विरोधी’ करार दिया है। शनिवार को राजधानी ढाका की सड़कों पर करीब 20,000 से अधिक प्रदर्शनकारी एकजुट हुए। इनका नेतृत्व कट्टरपंथी संगठन हिफाजत-ए-इस्लाम ने किया। प्रदर्शनकारियों ने मोहम्मद यूनुस को चेतावनी दी कि यदि सुधार वापस नहीं लिए गए, तो देशभर में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन होंगे।

 

कट्टरपंथियों का विरोध तेज
प्रदर्शनकारियों के हाथों में तख्तियां थीं जिन पर लिखा था – “हमारी महिलाओं पर पश्चिमी कानून न थोपो” और “बांग्लादेश जागो।” उन्होंने घोषणा की कि अगर सरकार ने उनकी बात नहीं मानी, तो 23 मई को पूरे देश में आंदोलन छेड़ा जाएगा।

 

सुधार आयोग भंग करने और सज़ा देने की मांग
हिफाजत नेता मामुनुल हक ने बयान दिया कि महिला अधिकारों से जुड़ा यह सुधार “इस्लामी विरासत के खिलाफ है।” उन्होंने सरकार से सुधार आयोग को खत्म करने और इसके सदस्यों को सज़ा देने की मांग की। उनके अनुसार, “उत्तराधिकार कानूनों को लैंगिक भेदभाव बताकर बहुसंख्यक समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई गई है।”


शेख हसीना की पार्टी पर भी हमला
हिफाजत ने यूनुस सरकार से पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की अवामी लीग पार्टी पर प्रतिबंध लगाने की भी मांग की। उनका आरोप है कि हसीना शासन के दौरान छात्रों और नागरिकों पर बर्बर दमन हुआ। अगस्त 2024 में हसीना सरकार के पतन के बाद से ही कट्टरपंथी समूहों का प्रभाव तेज़ी से बढ़ा है।

 

अल्पसंख्यकों और महिलाओं में डर का माहौल
सत्ता परिवर्तन के बाद देश में धर्मनिरपेक्षता को चुनौती मिल रही है। धार्मिक कट्टरता के बढ़ते प्रभाव से अल्पसंख्यक और महिला समुदाय के बीच असुरक्षा का भाव गहराता जा रहा है।


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Content Writer

Tanuja

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