बांग्लादेश में नफरत की आग चरम पर: बाहर से ताले लगाकर जिंदा जलाए जा रहे हिंदू , इस्कॉन अध्यक्ष ने बताए भयावह हालात(Video)
punjabkesari.in Wednesday, Dec 24, 2025 - 05:39 PM (IST)
International Desk: बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस के शासनकाल में हिंदू अल्पसंख्यकों पर अत्याचार के आरोप और भी भयावह होते जा रहे हैं। आगजनी, तोड़-फोड़, मॉब लिंचिंग और targeted हिंसा के बीच दुनिया भर से बांग्लादेश सरकार पर दबाव बढ़ रहा है, लेकिन ज़मीनी हालात में सुधार के संकेत नहीं दिख रहे। इस्कॉन के वाइस प्रेसिडेंट राधारमण दास ने दावा किया कि बीती रात कई हिंदू गांवों में घरों को बाहर से बंद कर आग लगा दी गई, ताकि कोई बचकर बाहर न निकल सके। लोगों ने खिड़कियों से कूदकर अपनी जान बचाई। उन्होंने आरोप लगाया कि यह सब भारत-विरोधी नैरेटिव के नाम पर किया जा रहा है।
Bangladesh : Radical Islamists tried to burn Hindu families alive by locking doors from outside & setting homes on fire late at night in West Banik Para, Raozan. Several houses were torched. Open calls issued: convert, leave, or be killed. UNHRC remains silent on Hindu genocide. pic.twitter.com/ppaC4VEEga
— Baba Banaras™ (@RealBababanaras) December 23, 2025
राधारमण दास ने बताया कि इससे पहले दो बड़े मीडिया संस्थानों को भी बाहर से लॉक कर दिया गया था, जिन्हें सेना और पुलिस के हस्तक्षेप के बाद बचाया जा सका। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में हिंदुओं की आबादी 30 प्रतिशत से घटकर सिर्फ 7.5 प्रतिशत रह गई है, जो सुनियोजित धार्मिक उत्पीड़न की ओर इशारा करता है।मॉब लिंचिंग में मारे गए दीपू दास के मामले पर उन्होंने कहा कि सरकार मुआवज़ा देकर जिम्मेदारी से नहीं बच सकती। दीपू की बेटी की शिक्षा और परिवार की पूरी जिम्मेदारी राज्य को लेनी चाहिए।
सबसे गंभीर चिंता चिन्मय कृष्ण दास को लेकर जताई गई, जिन्हें हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाने के बाद जेल भेज दिया गया। राधारमण दास के मुताबिक, चिन्मय को पहले जमानत मिल चुकी थी, लेकिन बाद में चार नए मामलों में फंसाकर दोबारा जेल भेज दिया गया। उनकी सेहत खराब है, वे डायबिटीज से पीड़ित हैं।उन्होंने भावुक होते हुए कहा कि चिन्मय की बुज़ुर्ग मां बार-बार पूछती हैं—“मेरा बेटा कब आज़ाद होगा?” लेकिन इस सवाल का जवाब सिर्फ बांग्लादेश सरकार के पास है।राधारमण दास ने अंत में हाथ जोड़कर अपील की कि बांग्लादेश सरकार हिंदू अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करे और निर्दोष लोगों को जेल से रिहा करे, वरना इतिहास यूनुस शासन को माफ नहीं करेगा।
