मुठभेड़ नहीं हुए होते तो गुजरात को दूसरा कश्मीर बना दिया जाता: वंजारा

punjabkesari.in Friday, Apr 08, 2016 - 04:46 PM (IST)

गांधीनगर: इशरत जहां प्रकरण समेत कथित फर्जी मुठभेड़ के कई अन्य मामलों के आरोपी पूर्व आईपीएस अधिकारी डी जी वंजारा ने आज कहा कि इशरत जहां समेत मुठभेड़ के ऐसे सभी मामले जिनमें वह और गुजरात पुलिस के अन्य अधिकारियों को आरोपी बनाया गया है पूरी तरह सही हैं और इन्हें देश की सर्वोच्च खुफिया संस्था आईबी की सूचना पर अंजाम दिया गया था जिसकी जानकारी दिल्ली से लेकर अहमदाबाद तक तंत्र के शीर्ष पर बैठे सभी लोगों को थी पर देशद्रोही राजनेताओं ने अपना राजनीतिक स्वार्थ साधने के लिए उन्हें और उनके साथी अधिकारियों को एक षडयंत्र के तहत झूठे मुकदमों में फंसा दिया।

वंजारा ने यह भी दावा किया कि अगर यह मुठभेड़ नहीं हुए होते तो आतंकियों ने गुजरात को दूसरा कश्मीर बना दिया जाता।   वर्ष 2007 में पहली गिरफ्तारी के बाद से करीब आठ साल जेल में गुजराने के बाद वंजारा पिछले साल फरवरी में जमानत पर जेल से छूटे थे पर अदालत के निर्देश पर पिछले एक साल से अधिक समय से मुंबई में रह रहे थे। वंजारा को अहमदाबाद में सीबीआई की एक विशेष अदालत ने गत दो अप्रैल को गुजरात में प्रवेश और रहने की अनुमति दे दी थी। 

इसके बाद आज ही वहां से लौटे इस पूर्व आईपीएस अधिकारी का पहले अहमदाबाद हवाई अड्डे पर जबरदस्त स्वागत किया गया और बाद में यहां टाउन हॉल में उनके समुदाय की ओर से आयोजित स्वागत समारोह में अपने संबोधन में उन्होंने उक्त बयान दिये। उन्होंने कहा कि देश को आतंकियों, अपराधियों और यहां तक की पाकिस्तान और चीन जैसे देशों से उतना खतरा नहीं है जितना कि देशद्रोही राजनेताओं से है। 

उन्होंने कहा कि देश में ऐसा लगता है कि आज कल देशद्रोहियों का बसंत आ गया है। उन्होंने कहा गुजरात पुलिस ने कोई अपराध नहीं किया और अपना कर्तव्य कानून और संविधानसम्मत तरीके से निभाया। सभी मुठभेड़ सही थे। अगर हमने ऐसा नहीं किया होता तो तो गुजरात दूसरा कश्मीर बन गया होता। 

देशद्रोही राजनेताओं की साजिश के चलते हम जेल गए और कई लोग तो कहते थे कि मुझे फांसी पर लटका दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि इन देशद्रोही राजनेताओं के बारे में उन्हें कुछ बताने की जरुरत इसलिए नहीं है क्योंकि पिछले तीन माह में समाचार माध्यमों में इस संबंध में काफी कुछ सामने आ चुका है। उन्होंने कहा कि उन्हें और उनके साथी पुलिस अधिकारियों को कडी कसौटी पर से गुजरना पड़ा है जिसमें आठ साल का जेल तथा एक साल का मुंबई का वनवास शामिल है। पर उन्हें इसका मलाल नहीं है क्योंकि कसौटी बहादुरों और सीता एवं प्रहलाद जैसे लोगों के लिए होती है कायरों अथवा रावण तथा हिरण्यकश्यपु जैसे राक्षसों के लिए नहीं। 

 

सबसे ज्यादा पढ़े गए

Recommended News

Related News