कोविड-19 के दौरान पैदा हुए बच्चों में बढ़ रहा HMPV संक्रमण, एक्सपर्ट्स ने जताई चिंता
punjabkesari.in Wednesday, Jan 08, 2025 - 07:57 PM (IST)
नेशनल डेस्क : कोविड-19 का नाम सुनते ही लोगों के दिलों में आज भी डर बैठ जाता है। भारत समेत पूरी दुनिया में लाखों लोग इस वायरस की वजह से अपनी जान गंवा चुके हैं। यह बात लगभग 5 साल पुरानी हो गई है, लेकिन कोविड के कारण अपनों को खोने का दुख अब भी लोगों के दिलों में जिंदा है। कोविड से उबरने के बाद अब एक नया वायरस "HMPV" (ह्यूमन मेटा-न्यूमोवायरस) ने चिंता बढ़ा दी है।
HMPV का खतरा
चीन में HMPV वायरस के कारण अफरातफरी मची हुई है, वहीं भारत में भी इस वायरस को लेकर अब सतर्कता बरती जा रही है। खासकर बच्चों में इस वायरस के बढ़ते मामलों ने सभी को चिंतित कर दिया है। विशेषज्ञों के मुताबिक, यह वायरस खासतौर पर दो साल से कम उम्र के बच्चों को अधिक प्रभावित कर रहा है। हाल ही में, बेंगलुरु के एक अस्पताल में महज आठ महीने की बच्ची में HMPV वायरस का संक्रमण पाया गया था। इसके बाद अब गुजरात और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में भी इसके मामले सामने आ रहे हैं। भारत में अब तक कुल सात HMPV संक्रमण के मामले सामने आ चुके हैं।
HMPV के लक्षण
HMPV के लक्षण सामान्य सर्दी, खांसी और फ्लू जैसे होते हैं। यह वायरस मनुष्य के फेफड़ों और श्वसन नलियों में इंफेक्शन पैदा करता है, जिससे सामान्य सर्दी या फ्लू की तरह लक्षण दिखाई देते हैं। खासतौर पर वे बच्चे, जिनकी इम्यूनिटी कमजोर है या जो पहले से किसी बीमारी से ग्रस्त हैं, इस वायरस से प्रभावित हो सकते हैं। बच्चों में सर्दी-जुकाम जैसी बीमारियां जल्दी फैलती हैं, जिससे इस वायरस का फैलना सामान्य बात है।
क्या है 'इम्युनिटी डेब्ट'?
हालांकि, महामारी के दौरान कुछ बच्चों की इम्यूनिटी कमजोर हो गई है। महामारी के समय, बच्चों को अत्यधिक निगरानी में रखा गया था और वे किसी भी सामान्य वायरस के संपर्क में नहीं आए थे। इस स्थिति को 'इम्युनिटी डेब्ट' कहा जाता है। इसका मतलब है कि महामारी के दौरान कई संक्रमणों का सामना न करने के कारण बच्चों का इम्यून सिस्टम कमजोर हो गया है। विशेषज्ञों के अनुसार, जब बच्चे कई महीनों तक वायरस से बचकर रहते हैं, तो उनकी बॉडी को उन वायरस से लड़ने का अनुभव नहीं हो पाता, और उनका इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है।
भारत में बच्चों के लिए बढ़ी चिंता
इस 'इम्युनिटी डेब्ट' का असर बच्चों पर ज्यादा देखा जा रहा है। जैसे कि इन्फेक्शियस डिजीज की प्रोफेसर शिरानी श्रीस्कंदन कहती हैं, "साल 2020 और 2021 में बच्चों में स्कार्लेट बुखार की दर में गिरावट आई थी, जिससे उनके शरीर में स्ट्रेप ए (गले की सूजन) के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता विकसित नहीं हो पाई।" इसका मतलब है कि अब हमारे पास ऐसे बच्चे हैं, जिनका इम्यून सिस्टम कमजोर है और वे नए वायरस के संपर्क में आने के लिए ज्यादा संवेदनशील हैं।
समाज पर प्रभाव
अगर बच्चों को लंबे समय तक वायरस से बचाकर रखा जाता है, तो उनका इम्यून सिस्टम कमजोर हो सकता है और इस कारण वे नए वायरस के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते हैं। महामारी के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग और लॉकडाउन के कारण बच्चे कई वायरस से बच गए, जिससे उनका इम्यून सिस्टम पहले जैसा मजबूत नहीं रहा। अब यह वायरस तेजी से फैलने लगा है, और इसके परिणामस्वरूप बच्चों में HMPV के मामलों की संख्या बढ़ रही है।