Pitru Paksha 2025: क्या छोटे बच्चों और अजन्मी संतान का होता है श्राद्ध? जानिए पितृपक्ष के नियम

punjabkesari.in Monday, Sep 08, 2025 - 03:38 PM (IST)

नेशनल डेस्क : श्राद्ध पक्ष यानी पितृपक्ष की शुरुआत इस बार 7 सितंबर यानि कल से हो चुकी है। मान्यता है कि इस दौरान हमारे पूर्वज धरती पर आते हैं और अपने परिवार को आशीर्वाद देते हैं। ऐसे में लोग अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण और श्राद्ध करते हैं।

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क्या अजन्मे या छोटे बच्चों का होता है श्राद्ध?

अक्सर लोगों के मन में सवाल आता है कि गर्भ में जिन बच्चों का जीवन समाप्त हो जाता है या जिनकी कम उम्र में मृत्यु हो जाती है, उनका श्राद्ध किया जाता है या नहीं। शास्त्रों के अनुसार, अगर संतान की मृत्यु गर्भावस्था के दौरान हो जाए, तो उसका श्राद्धकर्म नहीं किया जाता। ऐसी स्थिति में आत्मा की शांति के लिए मलिन षोडशी नामक परंपरा निभाई जाती है।

मलिन षोडशी क्या है?

यह हिंदू धर्म का एक विशेष अनुष्ठान है, जो मृत्यु के बाद आत्मा की शांति और परिवार को नकारात्मक प्रभावों से बचाने के लिए किया जाता है। यह क्रिया मृत्यु से लेकर अंतिम संस्कार तक की अवधि में संपन्न की जाती है।

बच्चों का श्राद्ध किस उम्र तक नहीं होता?

  • जिन बच्चों की मृत्यु जन्म के बाद 2 साल से कम उम्र में हो जाती है, उनका पारंपरिक श्राद्ध नहीं किया जाता। उनकी आत्मा की शांति के लिए मलिन षोडशी और तर्पण विधि की जाती है।
  • यदि बच्चा 6 साल से ज्यादा आयु का हो और उसका निधन हो जाए, तो उसकी मृत्यु तिथि पर श्राद्ध करना जरूरी होता है। लेकिन अगर मृत्यु तिथि ज्ञात न हो, तो पितृपक्ष की त्रयोदशी तिथि पर श्राद्ध और तर्पण किया जाता है।

बच्चों के श्राद्ध की विशेष विधि

बच्चों के श्राद्ध में व्यक्ति को हाथ में गमछा और कुशा लेकर अंगूठे की तरफ से तर्पण करना चाहिए।


 


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Content Editor

Mehak

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