ऑफ द रिकॉर्डः इंदिरा को भी दी थी जी-23 जैसे गुट ने चुनौती, अब सोनिया कैसे निपटेंगी

punjabkesari.in Tuesday, Sep 01, 2020 - 04:24 AM (IST)

नई दिल्लीः  कांग्रेस पार्टी के 23 बागी नेताओं के असंतुष्ट दल को ‘जी-23’ का नाम दिया गया है। जी-23 ने स्वर्गीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के 1970 के आरंभिक दिनों की याद दिला दी है। 1966 में तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की सोवियत संघ में अचानक मृत्यु हो गई थी। इधर, भारत में के. कामराज के नेतृत्व वाले शक्तिशाली गुट ने यह सुनिश्चित किया कि प्रधानमंत्री पद पर इंदिरा गांधी ही चुनी जाएं। इस गुट ने मोरारजी देसाई के प्रधानमंत्री बनने तथा ‘गूंगी गुड़िया’ को कठपुतली बनाने की कोशिशों को नाकाम कर दिया था। जो लोग कांग्रेस पार्टी के सभी अहम काम संभालते थे, वे सभी इंदिरा गांधी को ‘गूंगी गुडिय़ा’ कह कर पुकारते थे। 

सरकार के सभी अहम कामकाज भी यही लोग देखते थे परंतु, इंदिरा गांधी उनमें से नहीं थीं कि जिन्हें कठपुतली बनाया जा सकता और जल्द ही उन्होंने अपना ‘इंदिरा गुट’ खड़ा कर लिया। यह ‘इंदिरा गुट’ पहले-पहल बहुत ही कमजोर स्थिति में था तथा पार्टी के नेता उसके पक्ष में आने से घबराते थे क्योंकि दूसरा गुट बहुत ताकतवर था पर यह इंदिरा गुट संकेत देने लगा था कि ‘मैडम’ क्या चाहती हैं। विरोधी गुट के दबाव से बाहर आने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा इंदिरा गांधी ने पार्टी का विभाजन करवा दिया और आकस्मिक चुनाव करवाने का आह्वान किया। 

1971 में हुए इन चुनावों में इंदिरा की जीत हुई और विरोधी पूरी तरह धराशायी हो गए। सोनिया गांधी 1998 में चाहे नौसिखिया रही हों, पर उन्होंने 1999 में शरद पवार समेत बागियों पर पासा पलट दिया था और उसके बाद 2004 में अटल बिहारी वाजपेयी को पराजित करके चुनाव जीत लिए थे। बाद में पवार भी कांग्रेस के साथ आ गए और यू.पी.ए.-1 व यू.पी.ए.-2 का हिस्सा रहे।

सोनिया ने विरोधियों को पराजित करके इंदिरा गांधी की तरह सत्ता प्राप्त की परंतु किसी ने भी यह नहीं सोचा था कि सोनिया गांधी को 6 वर्षों में ही विद्रोह की स्थिति का सामना करना पड़ेगा। सोनिया गांधी के सामने अब अपने वंश को बचाने की नई चुनौती है। कांग्रेस के जानकार कहते हैं कि विद्रोह उनके खिलाफ नहीं, बल्कि उनके पुत्र राहुल गांधी के खिलाफ है। चाहे जो भी हो परंतु यह तो स्पष्ट है कि उनके सामने गंभीर समस्या आन खड़ी हुई है। देखना होगा कि वह इस समस्या से कैसे निपटती हैं क्योंकि बागी इस बार पीछे हटने को तैयार नहीं दिख रहे हैं।            


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Pardeep

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