IndiGo Crisis: अब IndiGo के शेयर भी हुए धड़ाम, 6 महीने में इतने नहीं गिरे जितने 5 दिनों में लुढ़के
punjabkesari.in Sunday, Dec 07, 2025 - 11:51 AM (IST)
नेशनल डेस्क : इंडिगो एयरलाइन (IndiGo) संकट ने न सिर्फ इसके यात्रियों को परेशान किया है, बल्कि निवेशकों के लिए भी बड़ा झटका साबित हुआ है। बीते पांच दिनों में गंभीर परिचालन अव्यवस्था के चलते सैकड़ों उड़ानें रद्द और देरी का शिकार हुई हैं। इस वजह से एयरलाइन के यात्रियों को यात्रा में भारी असुविधा झेलनी पड़ी। वहीं, एयरलाइन के शेयर बाजार में भी हालात बेहद चिंताजनक हैं। IndiGo के शेयर ने महज पांच दिनों में उतनी गिरावट दर्ज की है, जितनी यह पिछले छह महीनों में नहीं देखी गई।
DGCA का सख्त रुख, CEO को नोटिस
इंडिगो संकट के बाद DGCA (सिविल एविएशन नियामक) ने भी कड़ी कार्रवाई की है। नियामक ने इंडिगो के CEO पीटर एल्बर्स और अकाउंटेबल मैनेजर इसिड्रो पोर्केरास को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। DGCA ने नोटिस में एयरलाइन की योजना, निगरानी और संसाधन प्रबंधन में गंभीर चूक बताते हुए 24 घंटे के भीतर जवाब देने को कहा है। नियामक ने साफ तौर पर कहा कि उड़ानों में लगातार देरी और रद्द होने की घटनाओं से यह स्पष्ट होता है कि एयरलाइन परिचालन में पर्याप्त नियंत्रण और निगरानी नहीं कर पा रही है।
यात्रियों और निवेशकों दोनों पर संकट
IndiGo संकट का असर सिर्फ परिचालन पर ही नहीं, बल्कि निवेशकों पर भी पड़ा है। इंडिगो की पैरेंट कंपनी इंटरग्लोबल एविएशन लिमिटेड (Interglobe Aviation Ltd) के शेयर बाजार में इस संकट के चलते बड़ी गिरावट आई है। हाल ही में पांच कारोबारी दिनों में इस शेयर में 8.76% की गिरावट दर्ज की गई। निवेशकों को प्रत्येक शेयर पर लगभग 515.50 रुपये का नुकसान हुआ है।
यदि बीते छह महीने की तुलना करें, तो इंडिगो का शेयर केवल 5.75% ही गिरा था और पिछले एक महीने में यह 3.87% ही टूट पाया था। हालिया गिरावट का असर एयरलाइन की मार्केट कैपिटलाइजेशन पर भी पड़ा है, जो घटकर 2.08 लाख करोड़ रुपये रह गया है।
IndiGo संकट का कारण
एयरलाइन संकट के पीछे मुख्य कारण पायलटों के उड़ान घंटे और उनकी उपलब्धता को बताया जा रहा है। एयरएशिया के पूर्व CFO विजय गोपालन के अनुसार, यह समस्या गहरी है और इसे जल्दी ठीक करना मुश्किल है। उन्होंने कहा कि सरकार ने पायलटों के लिए हफ्ते में 36 घंटे आराम के नियम को बदलकर 48 घंटे कर दिया है। इसका सीधा मतलब यह है कि पायलटों के उड़ान भरने के लिए उपलब्ध घंटे कम हो जाएंगे।
इस स्थिति में यदि पायलटों की संख्या में वृद्धि नहीं की जाती, तो सभी विमानों को उड़ाने के लिए पर्याप्त पायलट उपलब्ध नहीं होंगे। यही मुख्य कारण है कि इंडिगो के साथ भी परिचालन समस्याएं पैदा हो गई हैं।
