Indians Deported: 14 दिनों तक अंधेरे सेल में बंद रहे...15 घंटे समुद्र में सफर किया, रास्ते में दिखी लाशें- अमेरिका से Deport भारतीयों की दर्दनाक दास्तान
punjabkesari.in Friday, Feb 07, 2025 - 09:06 AM (IST)
![](https://static.punjabkesari.in/multimedia/2025_2image_09_06_368477722deportillegal.jpg)
नेशनल डेस्क: अमेरिका में बसने का सपना देख कर निकले 104 भारतीय प्रवासियों के लिए यह सफर उनकी ज़िंदगी का सबसे बड़ा दुःस्वप्न बन गया। लंबी हवाई यात्राएं, उफनते समुद्र में डगमगाती नावें, घने जंगलों और खतरनाक पहाड़ों से पैदल सफर, अमेरिकी सीमा पर अंधेरी कोठरियों में कैद और अंत में डिपोर्ट होकर भारत वापसी- यह सब उन्हें झेलना पड़ा।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की कड़ी आव्रजन नीति के तहत डिपोर्ट किए गए इन प्रवासियों को बुधवार को एक अमेरिकी सैन्य विमान से अमृतसर लाया गया। इनमें 33 लोग हरियाणा और गुजरात से, 30 पंजाब से, 3-3 महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश से, और 2 चंडीगढ़ से थे। deportees में 19 महिलाएं और 13 बच्चे भी शामिल थे, जिनमें 4 से 7 साल के छोटे बच्चे भी थे।
पंजाब के होशियारपुर जिले के तहली गांव के हरविंदर सिंह ने बताया कि उसने एक एजेंट को 42 लाख रुपये दिए थे, जिसने उसे अमेरिकी वर्क वीजा का झांसा दिया था। लेकिन ऐन वक्त पर बताया गया कि वीजा नहीं आया, और फिर उसे दिल्ली से कतर होते हुए ब्राजील भेज दिया गया। वहां से कोलंबिया, पनामा, और फिर खतरनाक ‘डंकी रूट’ से अमेरिका भेजने की कोशिश हुई। इस सफर में दो लोगों की मौत हो गई- एक समुद्र में नाव पलटने से और दूसरा पनामा के घने जंगलों में।
One of the deported Illegal immigrants, Harvinder Singh from Punjab's Hoshiarpur, returns home.
— Sandeep Neel (@SanUvacha) February 6, 2025
pic.twitter.com/k4JAMG13ce
जलंधर जिले के सुखपाल सिंह ने बताया कि उन्होंने 15 घंटे समुद्र में सफर किया और 40-45 किलोमीटर पहाड़ों से पैदल यात्रा की। "अगर कोई घायल हो जाता था, तो उसे वहीं मरने के लिए छोड़ दिया जाता था। रास्ते में हमने कई शव देखे," उन्होंने बताया। लेकिन यह जोखिम भरी यात्रा बेकार गई क्योंकि वे मैक्सिको में गिरफ्तार हो गए और 14 दिनों तक एक अंधेरे सेल में बंद रहे।
डंकी सिस्टम का कड़वा सच: परिवारों पर कर्ज का पहाड़
गुजरात के मेहसाणा जिले के चंद्रनगर-डाभला गांव के कणुभाई पटेल की बेटी भी डिपोर्ट हुई है। उन्होंने बताया कि उनकी बेटी दोस्तों के साथ यूरोप घूमने गई थी, लेकिन अमेरिका कैसे पहुंची, इसकी कोई जानकारी नहीं है।
डिपोर्ट हुए प्रवासियों के परिवारों का कहना है कि उन्होंने अपनी जमीन और घर गिरवी रखकर, ऊंची ब्याज दरों पर कर्ज लेकर उन्हें अमेरिका भेजा था, लेकिन अब वे कर्ज के बोझ तले दब गए हैं।
कपूरथला के बेहबल बहादुर गांव के गुरप्रीत सिंह के परिवार ने अपना घर गिरवी रखकर पैसे जुटाए थे। फतेहगढ़ साहिब के जसविंदर सिंह के परिवार ने 50 लाख रुपये खर्च किए, लेकिन अब उन्हें यह कर्ज चुकाने की चिंता सताने लगी है।
विशेष रूप से पंजाब के जालंधर, होशियारपुर, कपूरथला और नवांशहर जिलों को ‘एनआरआई बेल्ट’ कहा जाता है, जहां से हर साल बड़ी संख्या में लोग विदेश जाते हैं। लेकिन इस घटना के बाद, अब डंकी रूट के दलालों और एजेंटों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग जोर पकड़ रही है।