रिपोर्ट्स के अनुसार म्यांमार में भारतीय सेना का बड़ा ड्रोन हमला, उल्फा-आई के ठिकाने तबाह
punjabkesari.in Sunday, Jul 13, 2025 - 01:55 PM (IST)

नेशनल डेस्क : भारतीय सेना ने हाल ही में पूर्वोत्तर उग्रवाद के खिलाफ एक साहसिक और सटीक ऑपरेशन को अंजाम देते हुए म्यांमार के सागाइंग क्षेत्र में प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम-इंडिपेंडेंट (उल्फा-आई) और नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड (एनएससीएन-के) के कई शिविरों पर एक समन्वित ड्रोन हमला किया है। रविवार, 13 जुलाई की सुबह हुए इस हमले को हाल के वर्षों के सबसे रणनीतिक और सटीक सीमा-पार अभियानों में गिना जा रहा है। शुरुआती रिपोर्टों के अनुसार, करीब 100 ड्रोनों ने म्यांमार के भीतर स्थित उल्फा-आई के चार प्रमुख शिविरों को निशाना बनाया।
उल्फा-आई को हुआ भारी नुकसान
सूत्रों के अनुसार, इस ऑपरेशन में उल्फा-आई को भारी नुकसान हुआ है। संगठन के एक शीर्ष नेता और लेफ्टिनेंट जनरल नयन असोम के मारे जाने की अपुष्ट खबरें सामने आई हैं। वह संगठन के सैन्य रणनीतिकार माने जाते थे और पूर्वी कमान की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। ऐसा माना जा रहा है कि होयत बस्ती स्थित ईस्टर्न कमांड हेडक्वार्टर पर हुए हमले में उनकी मौत हुई है, हालांकि सेना या सरकार की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है। हमले का एक प्रमुख निशाना वक्तम बस्ती में स्थित '779 कैंप' था, जो उल्फा-आई का कुख्यात अड्डा माना जाता है। रिपोर्टों के मुताबिक, हमले के समय वहां पाँच आतंकवादी मौजूद थे, लेकिन अभी तक किसी के मारे जाने या घायल होने की पुख्ता जानकारी नहीं मिल सकी है।
जानकारी साझा करने से सेना का इंकार
सबसे बड़ा और तीव्र हमला होयत बस्ती के कैंप पर किया गया, जो उल्फा-आई की पूर्वी कमान का अहम ठिकाना था। इस हमले में हाई-प्रिसीजन ड्रोनों द्वारा कई स्थानों पर समन्वित बमबारी की गई, जिससे साफ होता है कि इस ऑपरेशन की योजना लंबे समय से बेहद गोपनीय तरीके से बनाई गई थी। उल्फा-आई के अलावा, इस ड्रोन हमले में एनएससीएन-के के ठिकानों को भी निशाना बनाया गया। खुफिया सूत्रों के मुताबिक, इस संगठन के भी कई कार्यकर्ता हताहत हुए हैं, लेकिन संख्या की अब तक पुष्टि नहीं हो पाई है।
जब इस ऑपरेशन को लेकर भारतीय सेना से संपर्क किया गया, तो उन्होंने ना तो इसकी पुष्टि की और ना ही खंडन किया। सेना के जनसंपर्क अधिकारी ने इंडिया टुडे NE को बताया कि "इस संबंध में हमारे पास फिलहाल साझा करने के लिए कोई जानकारी नहीं है।" यह अभूतपूर्व हमला ऐसे समय पर हुआ है जब असम समेत पूर्वोत्तर भारत में उग्रवादी गतिविधियों में तेजी देखी जा रही है और सुरक्षा बल पहले से ही हाई अलर्ट पर हैं। यदि यह ऑपरेशन पूरी तरह से पुष्टि हो जाता है, तो यह भारत की उग्रवाद-रोधी नीति में एक बड़ा बदलाव और सीमा पार छिपे आतंकियों के लिए सख्त संदेश माना जाएगा।