कैसे ‘खुश’ रहना नार्वे और फिनलैंड से सीखेगा भारत

punjabkesari.in Wednesday, Apr 18, 2018 - 04:25 PM (IST)

नई दिल्ली: मानव विकास के ज्यादातर मानकों पर बढिय़ा रिकॉर्ड रखने वाले नार्वे, फिनलैंड, डेनमार्क, आइसलैंड जैसे देशों से भारत ‘खुशहाली’ के गुर सीखेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्वीडन यात्रा के तहत भारत नार्डिक शिखर सम्मेलन के दौरान इन देशों के साथ कचरा प्रबंधन, स्टार्टअप, शिक्षा, दुग्ध उत्पादन, मछली पालन, किसान कल्याण, स्थानीय प्रशासन जैसे विषयों पर सहयोग को आगे बढ़ाने पर सहमति बनी। नॉर्वे, डेनमार्क, फिनलैंड और आइसलैंड नार्डिक देशों में शामिल हैं और इन देशों का नाम मानवाधिकार, जीवनशैली, बराबरी, महिला अधिकार, मानव विकास, अपराध नियंत्रण, न्याय प्रणाली, प्रशासनिक तंत्र जैसे दर्जनों सूचकांकों में सबसे बेहतर प्रदर्शन करने वाले देशों में अग्रणी है और पूरी दुनिया में इन्हें इस मामले में अगुआ माना जाता है। विभिन्न विशेषज्ञ इन क्षेत्रों में भारत के रिकॉर्ड में सुधार की जरूरत बताते रहे हैं और जोर देते रहे हैं कि भारत इन देशों से बहुत कुछ सीख सकता है।

स्वीडन से इन मुद्दों पर हुई बात
पीएम मोदी ने 16-17 अप्रैल को स्वीडन की यात्रा के दौरान नार्डिक देशों के शासनाध्यक्षों के साथ बैठक की। इस दौरान व्यापार और निवेश, अक्षय ऊर्जा, कचरा प्रबंधन, स्टार्टअप और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर चर्चा हुई। विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि ये देश सिर्फ तकनीकी तौर पर दुनिया के अग्रणी देश नहीं है, बल्कि हैप्पीनेस इंडेक्स में शीर्ष स्थान पर है। वहां उच्च आय वाला समृद्ध समाज है जो गुणवत्ता और नवाचार को तवज्जो देता है। भारत इन देशों से बहुत कुछ सीखने की इच्छा रखता है।

इन देशों के साथ भी भारत ने किए कई समझौते

  • डेनमार्क ने दुग्ध उत्पादन, मछली पालन, किसान कल्याण, पशुपालन, खाद्य प्रबंधन के क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल की है। मोदी की यात्रा के दौरान भारत और डेनमार्क के बीच पशुपालन, डेयरी, मत्स्य पालन तथा खाद्य प्रबंधन के क्षेत्र में सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए गए।
  • डेनमार्क-भारत ने खाद्य सुरक्षा तथा कृषि अनुसंधान के क्षेत्र में भी समझौता किया।
  • दोनों देशों ने स्मार्ट शहरी विकास के क्षेत्र में भी सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए।
  • भारत और डेनमार्क के बीच ये समझौते ऐसे समय में हुए हैं जब मोदी सरकार किसानों की आय दोगुणी करने एवं ग्रामीण क्षेत्र में खुशहाली लाने के अपने वादे को पूरा करने को प्रयासरत है।
  • भारत, नार्वे के साथ भी संबंधों को प्रगाढ़ बनाने को प्रयासरत है।
  • भारत और नार्वे के बीच प्रथम आधिकारिक संवाद 21 फरवरी 1947 को एक टेलीग्राफ संवाद के माध्यम से हुआ था जो तत्कालीन विदेश मंत्री हेलवार्ड लांगे की ओर से भारत के विशेष दूत वी. के. कृष्ण मेनन को भेजा गया था। यह संदेश नार्वे, भारत के साथ द्विपक्षीय संबंध स्थापित करने के समझौते की सैद्धांतिक मंजूरी की पुष्टि करने के संबंध में था।
  • भारत और नार्वे के बीच अभी कई क्षेत्रों में संयुक्त कार्य समूह कार्यरत है। इसके जरिये दोनों देशों में आपसी हितों से जुड़े कई विषयों पर नियमित रूप से बैठकें होती हैं और आम लोगों की खुशहाली के विषयों पर अनुभव साझा किए जाते हैं।  
  • यह संयुक्त कार्य समूह पर्यावरण, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, उच्च शिक्षा, स्थानीय प्रशासन, नौवहन और मछली पालन के क्षेत्र में कार्यरत है। नार्वे में तेल का बड़ा भंडार है और भारत इस क्षेत्र में भी सहयोग को उत्सुक है।
  • मोदी की यात्रा के दौरान दोनों देशों ने तेल एवं गैस, शिपिंग, नवीकरणीय ऊर्जा एवं सेवा क्षेत्रों में सहयोग पर चर्चा की। भारत और फिनलैंड ने व्यापार और निवेश, अक्षय ऊर्जा, अंतरिक्ष, कचरा प्रबंधन, स्टार्टअप और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर विचार-विमर्श किया।
  • भारत और आइसलैंड ने संबंध को और प्रगाढ़ बनाने की प्रतिबद्धता व्यक्त की है जिसमें शिक्षा और संस्कृति को मजबूत बनाने पर खासा जोर दिया गया है।
  • भारत और आइसलैंड ने सांस्कृतिक संबंधों को प्रगाढ़ बनाने के लिए सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं। इसके तहत भारतीय संस्कृति संबंध परिषद और आइसलैंड विश्वविद्यालय के बीच हिन्दी भाषा के लिए ‘‘आईसीसीआर चेयर’’ स्थापित किया जाएग।

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Seema Sharma

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