10 माह में भारत के पास होगा अपना AI chatbot, अब चीन और अमेरिका को देगा चुनौती!

punjabkesari.in Friday, Jan 31, 2025 - 10:31 AM (IST)

नेशनल डेस्क। भारत जल्द ही अपना खुद का आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) चैटबॉट तैयार करेगा जो चीन और अमेरिका के AI चैटबॉट्स को चुनौती देगा। केंद्रीय आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने यह घोषणा की। उन्होंने बताया कि देश का लार्ज लैंग्वेज मॉडल (LLM) अगले 10 महीनों में तैयार हो जाएगा। यह मॉडल सभी भारतीय भाषाओं में काम करेगा और इसका फ्रेमवर्क तैयार कर लिया गया है।

आधारभूत ढांचा और GPU की आवश्यकता

अश्विनी वैष्णव ने बताया कि AI के लिए कंप्यूटिंग इंफ्रास्ट्रक्चर बेहद महत्वपूर्ण है। भारत ने इस मामले में 10,000 GPU (ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट) का लक्ष्य पूरा किया है। अब इसका लक्ष्य 18,600 GPU तक पहुंचने का है। GPU चिप्स की जरूरत हर प्रकार के लैंग्वेज मॉडल को बनाने के लिए होती है। 

PunjabKesari

 

 

बता दें कि चीन के डीपसीक AI चैटबॉट में 2,000 GPU का इस्तेमाल हुआ था वहीं अमेरिकी कंपनी ओपनएआई के चैट GPT में 25,000 GPU का इस्तेमाल हुआ था। भारत के पास फिलहाल 15,000 GPU हैं और अब 18,000 GPU के साथ एक नई कॉमन कंप्यूटिंग फैसिलिटी शुरू की गई है जो स्टार्टअप्स, रिसर्चर और डेवलपर्स के लिए उपलब्ध होगी।

 

यह भी पढ़ें: Jharkhand के इस गांव में निकाली गई अनोखी शवयात्रा, महिलाओं ने दिया कंधा और बेटियों ने किया पिता का अंतिम संस्कार

 

डेटा सुरक्षा और प्राइवेसी की चुनौतियाँ

भारत के लिए सबसे बड़ी चुनौती डेटा सुरक्षा और प्राइवेसी की होगी। हाल ही में चीन के डीपसीक AI चैटबॉट आर-1 में 5 दिन के अंदर ही डेटा लीक हो गया था जबकि ओपनएआई के चैटGPT का डेटा 3 साल में एक बार लीक हुआ। भारत को इन दोनों पहलुओं पर ध्यान देने की आवश्यकता है। इसके अलावा भारत अभी भी हार्डवेयर के मामले में अमेरिका और चीन पर निर्भर है। 

PunjabKesari

 

AI चैटबॉट्स के लिए बहुत ताकतवर डेटा सेंटर की आवश्यकता होती है। रिलायंस ने अमेरिकी चिप निर्माता एनवीडिया के साथ मिलकर जामनगर में एक बड़ा डेटा सेंटर स्थापित करने का काम शुरू किया है लेकिन इसे कार्यरत होने में 4 साल लग सकते हैं।

डेटा प्राइवेसी और सुरक्षा

भारत के आधार डेटा का बार-बार लीक होना भी चिंता का विषय है। यदि भारत को अपने AI चैटबॉट को तैयार करना है तो उसे डेटा प्राइवेसी और सुरक्षा के संबंध में कई महत्वपूर्ण परीक्षणों से गुजरना होगा। इसमें समय लगेगा क्योंकि इंफ्रास्ट्रक्चर और प्राइवेसी के परीक्षण बहुत गंभीर होते हैं। इस प्रकार भारत ने AI क्षेत्र में महत्वपूर्ण कदम उठाने की दिशा में काम करना शुरू कर दिया है लेकिन इसके लिए कुछ प्रमुख चुनौतियों को पार करना होगा।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Editor

Rohini Oberoi

Related News