भारत ने स्पेसएक्स के फाल्कन-9 रॉकेट से GSAT-20 उपग्रह का किया सफल प्रक्षेपण, जानें क्या मिलेंगे फायदे?
punjabkesari.in Tuesday, Nov 19, 2024 - 10:42 AM (IST)
नेशनल डेस्क। भारत ने अपनी अंतरिक्ष यात्रा में एक और महत्वपूर्ण मील का पत्थर पार किया है। भारत के GSAT-20 उपग्रह का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण स्पेसएक्स के फाल्कन-9 रॉकेट से किया गया। यह पहली बार है जब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की कमर्शियल ब्रांच न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड ने स्पेसएक्स के साथ उपग्रह लॉन्च करने के लिए साझेदारी की है। प्रक्षेपण के 34 मिनट बाद, उपग्रह रॉकेट से अलग होकर अपनी जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट में स्थापित हो गया।
ISRO ने की नई शुरुआत
इस मौके पर NSIL के चेयरमैन और एमडी राधाकृष्णन डी ने इस साझेदारी के महत्व पर जोर देते हुए बताया कि यह एक नई शुरुआत है। उन्होंने बताया कि स्पेसएक्स को पिछले साल भारत से जारी किए गए RFP (Request for Proposal) के आधार पर चुना गया था। इस समझौते के तहत सिर्फ यह लॉन्च किया गया है, और भविष्य में अन्य आवश्यकताओं के लिए भी ऐसे सहयोग की संभावना है।
GSAT-20 की मुख्य विशेषताएं
GSAT-20 उपग्रह, भारत की बढ़ती कनेक्टिविटी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए डिजाइन किया गया है। इसके मुख्य फीचर्स निम्नलिखित हैं:
हाई डेटा क्षमता: GSAT-20 में 32 बीमों में 48 जीबीपीएस की थ्रूपुट क्षमता है, जो अधिक डेटा ट्रांसमिशन सुनिश्चित करता है।
ब्रॉडबैंड कवरेज: यह उपग्रह भारत के दूरदराज के क्षेत्रों, जैसे अंडमान और निकोबार, और लक्षद्वीप द्वीपसमूह में भी मजबूत ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी प्रदान करेगा।
Ka-बैंड टेक्नोलॉजी: यह Ka-बैंड फ्रीक्वेंसी का उपयोग करता है, जिससे इन-फ्लाइट इंटरनेट सेवाएं और स्मार्ट सिटी परियोजनाओं को भी समर्थन मिलेगा।
स्थायित्व और दक्षता: GSAT-20 को 14 साल तक चलने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसमें एडवांस सामग्री, जैसे CFRP (कार्बन फाइबर रिइनफोर्स्ड पॉलिमर) और ली-आयन बैटरी का उपयोग किया गया है।
भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं का विस्तार
भारत के अंतरिक्ष व्यवसायीकरण के तहत स्थापित NSIL को उपग्रह मिशनों का स्वामित्व, संचालन और वित्तपोषण करने का काम सौंपा गया है। इसने पिछले साल जून 2022 में GSAT-24 मिशन के साथ भारत के उपग्रह उद्योग में प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी के लिए एक मिसाल कायम की। अब, GSAT-20 का लॉन्च NSIL के लिए एक और महत्वपूर्ण कदम है, जो भारत में कनेक्टिविटी इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देने के लिए काम कर रहा है। यह सरकार के डिजिटल डिवाइड को समाप्त करने और राष्ट्रीय विकास में अंतरिक्ष टेक्नोलॉजी के लाभ का उपयोग करने के दृष्टिकोण के अनुरूप है।