SCO Summit में जयशंकर ने चीन को सुनाई खरी-खऱी, भारत ने ''वन बेल्ट, वन रोड'' परियोजना पर हस्ताक्षर से किया इंकार
punjabkesari.in Thursday, Oct 17, 2024 - 02:30 PM (IST)
Islamabad: पाकिस्तान (Pakistan) की राजधानी इस्लामाबाद में हाल ही में हुई शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक में, भारत ने एक बार फिर से चीन को खरी- खरी सुनाई और उसकी 'वन बेल्ट, वन रोड' (OBOR) परियोजना का समर्थन प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया। भारत का यह कदम OBOR पर उसकी पूर्व नीति के अनुरूप है, जिसमें वह मानता है कि यह परियोजना भारतीय कंपनियों को समान अवसर प्रदान नहीं करती है।बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान में कहा गया कि अन्य सदस्य देशों ने OBOR और यूरेशियन इकोनॉमिक यूनियन के साथ चीन-नेतृत्व वाली इस पहल को जोड़ने के प्रयासों का समर्थन किया।
SCO Summit में बेलारूस, ईरान, कजाखस्तान, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान ने इस परियोजना का समर्थन दोहराया और इसके संयुक्त कार्यान्वयन पर काम जारी रखने का जिक्र किया। भारत लंबे समय से चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) का भी विरोध करता आ रहा है, जो OBOR का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, क्योंकि यह पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर (PoK) से होकर गुजरता है। हालाँकि, भारत एशिया के उन कुछ देशों में से एक है, जिन्होंने कभी भी OBOR पर हस्ताक्षर नहीं किए।बैठक के दौरान, पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने BRI, CPEC, और इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ कॉरिडोर (INSC) जैसी परियोजनाओं के विस्तार की आवश्यकता पर जोर दिया। भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि एससीओ के तहत कनेक्टिविटी और व्यापार पर सहयोग को क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता का सम्मान करना चाहिए, और इसे "एकतरफा एजेंडे" पर आधारित नहीं होना चाहिए।
बता दें कि जयशंकर लगभग एक दशक में इस्लामाबाद की यात्रा करने वाले पहले भारतीय विदेश मंत्री बने, लेकिन उन्होंने पाकिस्तानी नेतृत्व के साथ कोई द्विपक्षीय बैठक नहीं की। बैठक के बाद, उन्होंने एक्स (ट्विटर) पर पाकिस्तान सरकार का धन्यवाद किया और SCO बैठक को "उपयोगी" बताया, जिसमें भारत ने सकारात्मक और रचनात्मक योगदान दिया। इस बैठक में, भारत ने निष्पक्ष और संतुलित कनेक्टिविटी परियोजनाओं का समर्थन किया, जो अंतरराष्ट्रीय कानून और एससीओ चार्टर के सिद्धांतों के अनुरूप हों। इसके साथ ही, डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना और समावेश को एससीओ सहयोग ढांचे का हिस्सा बनाने के विचार पर भी जोर दिया गया।