भारत के बाद अब कनाडा में भी लगे ''बंटोगे तो कटोगे'' के नारे... हिंदुओं ने की एकजुट रहने की अपील
punjabkesari.in Monday, Nov 04, 2024 - 04:37 PM (IST)
इंटरनेशनल डेस्क : कनाडा के ब्रैम्पटन में हाल ही में खालिस्तानी समर्थकों ने हिंदू सभा मंदिर पर हमला किया, जिसके चलते हिंदुओं में नाराजगी और आक्रोश फैल गया है। हमले के दौरान, खालिस्तानी समर्थकों ने भक्तों को निशाना बनाया और मंदिर परिसर में हिंसा की। इस घटना के बाद हिंदुओं ने "बंटोगे तो कटोगे" के नारे लगाए हैं, जिससे एकजुटता की अपील की जा रही है।
जस्टिन ट्रूडो की प्रतिक्रिया
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने इस हमले की निंदा की है। उन्होंने कहा कि मंदिर में हिंसा अस्वीकार्य है और सभी कनाडाई नागरिकों को अपने धर्म का पालन स्वतंत्र और सुरक्षित तरीके से करने का अधिकार है। उन्होंने मामले की जांच के लिए कानून प्रवर्तन एजेंसियों को धन्यवाद दिया।
हिंदुओं की एकता की अपील
ब्रैम्पटन मंदिर के पुजारी ने हिंदुओं से एकजुट होने की अपील की है। उन्होंने कहा कि यह हमला केवल हिंदू सभा पर नहीं, बल्कि पूरे हिंदू समाज पर है। पुजारी का कहना है कि सभी को एक होना पड़ेगा, ताकि सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। मंदिर के बाहर एकजुट हिंदुओं ने "भारत माता की जय" के नारे भी लगाए।
घटना का विस्तार
रविवार को ब्रैम्पटन में खालिस्तानी समर्थकों ने हिंदू सभा मंदिर के बाहर प्रदर्शन किया। जब हिंदू भक्तों ने इसका विरोध किया, तो उन पर हमला कर दिया गया। हमले में महिलाओं और बच्चों की भी परवाह नहीं की गई। यह क्षेत्र टोरंटो से 80 किलोमीटर दूर है, जहां भारतीय समुदाय की अच्छी खासी संख्या है।
पुलिस का रवैया
इस घटना में स्थानीय पुलिस का रवैया चौंकाने वाला था। पुलिस ने खालिस्तानी समर्थकों को नारेबाजी से नहीं रोका और जब हमला हुआ, तो तीन हिंदू समर्थकों को गिरफ्तार कर लिया। इस व्यवहार ने सवाल उठाया है कि कनाडा में खालिस्तानी ताकतों को समर्थन किस प्रकार मिल रहा है।
राजनीतिक प्रतिक्रिया
ब्रैम्पटन में इस घटना ने राजनीतिक हलचल मचा दी है। कनाडाई सांसद चंद्र आर्य ने हमले का वीडियो साझा करते हुए लिखा कि खालिस्तानी चरमपंथियों ने एक हद पार कर ली है। उन्होंने प्रधानमंत्री ट्रूडो के निंदा के शब्दों को पर्याप्त नहीं माना और खालिस्तानी समर्थकों के प्रति उनकी सहानुभूति पर सवाल उठाया। यह घटनाएँ कनाडा में बढ़ते खालिस्तानी हमलों और हिंदुओं के प्रति असुरक्षा की भावना को उजागर करती हैं। हिंदू समुदाय में एकजुटता की आवश्यकता अब पहले से कहीं अधिक महसूस की जा रही है।