फिल्ममेकर सत्यजीत रे का घर बचाने की अपील, बांग्लादेश से बोला भारत- हम मरम्मत में मदद को तैयार

punjabkesari.in Wednesday, Jul 16, 2025 - 04:13 AM (IST)

नेशनल डेस्कः भारत ने बांग्लादेश से अनुरोध किया है कि वह प्रख्यात फिल्म निर्देशक सत्यजीत रे के पूर्वजों के घर को न गिराए, बल्कि उसकी मरम्मत कर उसे एक साहित्यिक संग्रहालय या भारत-बांग्लादेश की साझा सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक बनाए।

भारत के विदेश मंत्रालय (MEA) ने कहा: "यह भवन बंगाल के सांस्कृतिक पुनर्जागरण का प्रतीक है, इसलिए इसे गिराने की बजाय इसके जीर्णोद्धार और पुनर्निर्माण के विकल्पों पर विचार करना बेहतर होगा। हम इस कार्य में बांग्लादेश सरकार के साथ सहयोग करने को तैयार हैं।"

कौन-सा भवन है यह?

यह ऐतिहासिक मकान बांग्लादेश के माइमेंसिंह शहर में स्थित है, जहां सत्यजीत रे के दादा, प्रसिद्ध लेखक और प्रकाशक उपेन्द्रकिशोर रायचौधुरी रहते थे। यह भवन 1947 में भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद पाकिस्तान सरकार द्वारा अधिग्रहित कर लिया गया था और बाद में "माइमेंसिंह शिशु अकादमी" नामक बच्चों की संस्था के रूप में इस्तेमाल किया गया।

क्या स्थिति है अब?

  • बांग्लादेश सरकार के पास यह संपत्ति है और अब बहुत जर्जर हो चुकी है।

  • मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस इमारत को नई संरचना के लिए गिराया जा रहा है।

  • बांग्लादेश के अधिकारियों का कहना है कि यह भवन अब खतरनाक हालत में है और इसके स्थान पर एक नया निर्माण जरूरी है।

भारत क्यों चिंतित है?

  • भारत मानता है कि यह सिर्फ एक पुरानी इमारत नहीं, बल्कि साहित्यिक और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है।

  • यह घर बंगाल पुनर्जागरण, छपाई कला, बाल साहित्य और अंततः सत्यजीत रे जैसे विश्वविख्यात कलाकार की परंपरा से जुड़ा है।

भारत का प्रस्ताव

विदेश मंत्रालय ने कहा है कि भारत इस भवन के रखरखाव, मरम्मत और संग्रहालय में बदलने में बांग्लादेश को हर संभव सहायता देने के लिए तैयार है।

क्यों है यह भवन खास?

  • उपेन्द्रकिशोर रायचौधुरी ने बच्चों की पत्रिका ‘संदेश’ शुरू की थी।

  • उनके पुत्र सुकुमार राय हास्य कविताओं के लिए प्रसिद्ध हुए।

  • उनके पोते सत्यजीत रे को ऑस्कर सहित कई अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिले, और वह भारत के सबसे बड़े फिल्म निर्माताओं में माने जाते हैं।


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Content Writer

Pardeep

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