भारत ने SFJ पर फिर दिखाई सख्ती; 5 साल के बैन की अवधि बढ़ाई व 30 दिनों में मांगा जवाब, जानें इस मुद्दे से जुड़े 10 मुख्य बिंदु

punjabkesari.in Thursday, Sep 05, 2024 - 12:14 PM (IST)

Toronto: भारत सरकार ने कनाडा (Canada) स्थित अलगाववादी संगठन सिख्स फॉर जस्टिस (SFJ) को औपचारिक रूप से एक नोटिस भेजा है, जिसमें संगठन पर लगे प्रतिबंध को 5 साल के लिए बढ़ाने की जानकारी दी गई है। SFJ को इस पर 30 दिनों के भीतर जवाब देने के लिए कहा गया है। यह पत्र 29 अगस्त को टोरंटो स्थित SFJ के दफ्तर में भारत के ओटावा उच्चायोग से भेजा गया था। SFJ के वकील गुरपतवंत सिंह पन्नू ने पत्र मिलने के बाद कनाडा के पब्लिक सेफ्टी मंत्री डॉमिनिक लेब्लांक और विदेश मंत्री मेलानी जोली को लिखा। पन्नू ने भारत के इस कदम को कनाडा के एक संगठन के खिलाफ "अतिरिक्त-क्षेत्रीय हस्तक्षेप" बताते हुए, कनाडा से उचित प्रतिक्रिया देने की अपील की।

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भारत की ओर से भेजे गए पत्र पर जितेंद्र प्रताप सिंह, जो कि अनलॉफुल एक्टिविटीज (प्रिवेंशन) ट्रिब्यूनल के रजिस्ट्रार हैं, का हस्ताक्षर है। इसमें बताया गया है कि सरकार ने अनलॉफुल एक्टिविटीज (प्रिवेंशन) एक्ट के तहत SFJ को अवैध संगठन घोषित करने की अवधि 10 जुलाई 2024 से आगे 5 साल के लिए बढ़ा दी है।पत्र में सरकार के एक गजट नोटिफिकेशन का हवाला दिया गया है, जिसमें दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायाधीश अनूप कुमार मेनदिरत्ता की अध्यक्षता में एक ट्रिब्यूनल का गठन किया गया है, जो इस मामले की जांच करेगा कि प्रतिबंध बढ़ाने का पर्याप्त कारण है या नहीं।

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SFJ से 30 दिनों के भीतर लिखित रूप में आपत्ति या बयान दाखिल करने के लिए कहा गया है, ताकि यह बताया जा सके कि SFJ को अवैध क्यों नहीं घोषित किया जाना चाहिए। इसके अलावा, 26 सितंबर को दोपहर 2:30 बजे ट्रिब्यूनल के सामने उपस्थित होने या अधिकृत वकील के माध्यम से उपस्थित होने का विकल्प दिया गया है।SFJ के वकील पन्नू ने कहा कि उनकी जानकारी में ऐसा कोई पत्र अमेरिका में नहीं मिला है और उन्हें 2019 में भी ऐसा पत्र मिलने की याद नहीं है, जब SFJ को पहली बार इस अधिनियम के तहत प्रतिबंधित किया गया था।

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बता दें कि भारत और सिख्स फॉर जस्टिस (SFJ) के बीच का मुद्दा खालिस्तान की मांग और SFJ की गतिविधियों से जुड़ा है, जिसे भारत अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा मानता है। SFJ, जो मुख्य रूप से अमेरिका और कनाडा में स्थित है, पंजाब में एक स्वतंत्र खालिस्तान राज्य बनाने के उद्देश्य से अलगाववादी गतिविधियों का समर्थन करता है। भारत सरकार ने SFJ के प्रभाव को रोकने के लिए इसे आतंकवादी संगठन घोषित कर दिया है और इसे अवैध गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत प्रतिबंधित किया है।

 

इस मुद्दे से जुड़े मुख्य बिंदु 
SFJ की गतिविधियां: SFJ ने अमेरिका, कनाडा और यूरोप जैसे देशों में खालिस्तान आंदोलन के लिए जनमत संग्रह कराने की कोशिश की है, जिससे खालिस्तान के लिए अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाया जा सके। भारत इस प्रकार के जनमत संग्रह को अवैध मानता है और इसे अपने क्षेत्रीय अखंडता के खिलाफ एक सीधा खतरा मानता है।

भारत द्वारा SFJ पर प्रतिबंध: 2019 में, भारत सरकार ने SFJ को UAPA के तहत अवैध संगठन घोषित किया, जिसमें SFJ पर आतंकवाद, देशद्रोह और अलगाववाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया गया। संगठन की संपत्तियों को भी जब्त कर लिया गया और इसके कई नेताओं, जैसे गुरपतवंत सिंह पन्नू, को आतंकवादी घोषित कर दिया गया।

 

हालिया घटनाक्रमः नोटिस और प्रतिबंध विस्तार: हाल ही में भारत ने SFJ पर लगाए गए प्रतिबंध को और 5 साल के लिए बढ़ाने का फैसला किया है। भारत के उच्चायोग द्वारा ओटावा से SFJ को एक औपचारिक नोटिस भेजा गया, जिसमें SFJ से पूछा गया है कि उनके खिलाफ प्रतिबंध क्यों न बढ़ाया जाए। SFJ को 30 दिनों के भीतर इसका जवाब देना होगा और भारत में एक न्यायाधिकरण के सामने पेश होना होगा।

 

गुरपतवंत सिंह पन्नू की प्रतिक्रिया: SFJ के कानूनी सलाहकार गुरपतवंत सिंह पन्नू ने इस नोटिस को "अतिरिक्त क्षेत्रीय कदम" कहकर इसकी कड़ी आलोचना की। उन्होंने कनाडा के सार्वजनिक सुरक्षा मंत्री डॉमिनिक लेब्लांक और विदेश मंत्री मेलानी जोली को पत्र लिखकर इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है, और इसे कनाडा के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप बताया है। पन्नू ने यह भी दावा किया कि उन्हें 2019 में इस प्रकार का कोई नोटिस प्राप्त नहीं हुआ था, जब पहली बार SFJ को प्रतिबंधित किया गया था।

 

कनाडा की स्थिति: कनाडा, जहां सिख समुदाय की बड़ी आबादी है, भारत के साथ खालिस्तानी समूहों के मुद्दे पर कूटनीतिक तनाव का सामना कर रहा है। भारत ने बार-बार कनाडा से इन समूहों पर सख्ती से नज़र रखने और उनकी गतिविधियों को नियंत्रित करने की मांग की है। हालांकि, कनाडाई नेताओं ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के पक्ष में खड़े होते हुए इस मुद्दे को जटिल बना दिया है।

 

प्रतिबंध का प्रभाव: प्रतिबंध के विस्तार का मतलब है कि SFJ को भारत में कार्य करने से रोका जाएगा, और इसके किसी भी संघ या धन जुटाने की गतिविधियों को अवैध माना जाएगा। भारत की राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) और अन्य सुरक्षा एजेंसियां SFJ के सदस्यों और समर्थकों पर नजर रख रही हैं। भारतीय अधिकारियों का दावा है कि SFJ विदेशी मंचों का उपयोग करके प्रचार फैलाता है, अलगाववादी गतिविधियों के लिए धन जुटाता है और पंजाब में हिंसा भड़काने की कोशिश करता है।

 

खालिस्तान आंदोलन की पृष्ठभूमि: खालिस्तान आंदोलन 1980 के दशक में अपने चरम पर था, जिससे पंजाब में हिंसक संघर्ष हुए और 1984 में स्वर्ण मंदिर में कुख्यात ऑपरेशन ब्लू स्टार हुआ। हालाँकि, भारत के भीतर यह आंदोलन धीमा हो गया, लेकिन विदेशों में बसे सिख प्रवासियों के बीच इसे फिर से समर्थन मिला, खासकर कनाडा, ब्रिटेन और अमेरिका जैसे देशों में, जहां SFJ जैसे समूह अब भी इस आंदोलन को आगे बढ़ा रहे हैं।

 

वैश्विक चिंता: कई देश, जिनमें अमेरिका और कनाडा शामिल हैं, SFJ की गतिविधियों की निगरानी कर रहे हैं, विशेष रूप से भारतीय सरकार द्वारा आतंकवाद के वित्तपोषण और कट्टरता फैलाने की चिंता के मद्देनजर। हालांकि, पश्चिमी सरकारें अक्सर इस मुद्दे पर सावधानी से कदम उठाती हैं, जहां उन्हें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और सुरक्षा चिंताओं के बीच संतुलन बनाना होता है।

 

कानूनी चुनौतियां: SFJ ने बार-बार भारत के फैसलों को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर चुनौती दी है, और विदेशी सरकारों से राजनीतिक उत्पीड़न का दावा करते हुए समर्थन मांगा है। हालांकि, संगठन को अपने अलगाववादी गतिविधियों के कारण कई देशों में कानूनी बाधाओं का सामना करना पड़ा है।

 

भारत का कूटनीतिक दबाव: भारत लगातार कनाडा और अमेरिका जैसे देशों के साथ कूटनीतिक बैठकों के दौरान SFJ और इसी तरह के समूहों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहा है। हाल ही में भेजा गया नोटिस भारत की उस व्यापक रणनीति का हिस्सा है, जिसके तहत वह वैश्विक स्तर पर इन आंदोलनों पर काबू पाने की कोशिश कर रहा है।

 

 


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Content Writer

Tanuja

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