भारत का UPI मॉडल: डिजिटल वित्तीय समावेशन और आर्थिक विकास के लिए आदर्श
punjabkesari.in Sunday, Dec 08, 2024 - 02:12 PM (IST)
नेशनल डेस्क. भारत की सफलता को लेकर एक पेपर में यह बताया गया है कि यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) ने न केवल भारत में बल्कि अन्य देशों के लिए भी एक आदर्श मॉडल प्रस्तुत किया है। इस पेपर में यह सुझाव दिया गया है कि कैसे यह स्वदेशी फिनटेक समाधान सार्वजनिक डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर और ओपन बैंकिंग नीतियों को जोड़कर वित्तीय समावेशन को बढ़ावा दे रहा है। नवाचार को प्रोत्साहित कर रहा है और समग्र आर्थिक विकास को समान रूप से बढ़ावा दे रहा है।
इस पेपर का शीर्षक 'ओपन बैंकिंग और डिजिटल पेमेंट्स: क्रेडिट एक्सेस पर प्रभाव' है, जिसे शश्वत आलोक, पुलक घोष, निरुपमा कुलकर्णी और मंजू पुरी द्वारा लिखा गया है। पेपर में कई महत्वपूर्ण बिंदु सामने आए हैं, जिनमें सबसे प्रमुख यह है कि UPI ने उन लोगों के लिए औपचारिक क्रेडिट तक पहुंच संभव बनाई है, जो पहले वित्तीय सिस्टम से बाहर थे, जैसे कि नए-टू-क्रेडिट और सबप्राइम उधारकर्ता।
पेपर में यह भी कहा गया है कि जिन क्षेत्रों में UPI का उपयोग अधिक है। वहां नए-टू-क्रेडिट उधारकर्ताओं को मिलने वाले ऋण में 4 प्रतिशत और सबप्राइम उधारकर्ताओं को मिलने वाले ऋण में 8 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
UPI की सफलता और वृद्धि
यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) भारत का प्रमुख डिजिटल भुगतान प्लेटफॉर्म बन चुका है। 2016 में इसकी शुरुआत के बाद से भारत में डिजिटल लेन-देन की संख्या लगातार बढ़ रही है। अक्टूबर 2023 तक भारत में सभी खुदरा डिजिटल भुगतान का 75 प्रतिशत UPI के माध्यम से हो रहा था। इस प्लेटफॉर्म ने भारत में 300 मिलियन व्यक्तियों और 50 मिलियन व्यापारियों को डिजिटल लेन-देन में शामिल किया है। UPI की सफलता में एक महत्वपूर्ण कारण इसका सस्ता और सुलभ डिजिटल प्रौद्योगिकी होना है, जिसके कारण यह ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में समान रूप से अपनाया गया है।
क्रेडिट उपलब्धता में वृद्धि
पेपर के अनुसार, UPI लेन-देन में 10 प्रतिशत की वृद्धि होने पर क्रेडिट उपलब्धता में 7 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई। इसका मतलब यह है कि UPI द्वारा उत्पन्न डिजिटल वित्तीय इतिहास ने उधारदाताओं को उधारकर्ताओं का मूल्यांकन बेहतर तरीके से करने में मदद की, जिससे अधिक क्रेडिट दिया गया।
फिनटेक और पारंपरिक बैंकों का तालमेल
2015 से 2019 तक फिनटेक कंपनियों ने सबप्राइम उधारकर्ताओं को दिए गए ऋण में तेजी से वृद्धि की और इन क्षेत्रों में फिनटेक कंपनियों की स्थिति बैंकों के समान हो गई। इस दौरान विशेष रूप से उच्च UPI उपयोग वाले क्षेत्रों में फिनटेक कंपनियां तेजी से बढ़ी और बैंकों के साथ प्रतिस्पर्धा करने लगीं।
क्रेडिट देने में जिम्मेदारी
ऋण में वृद्धि होने के बावजूद डिफॉल्ट दर में कोई वृद्धि नहीं देखी गई। पेपर में यह बताया गया है कि UPI से उत्पन्न डिजिटल लेन-देन डेटा ने उधारदाताओं को जिम्मेदारी से ऋण देने में मदद की, जिससे वित्तीय प्रणाली स्थिर बनी रही।