भारत की जलवायु नीतियों से 2030 तक CO2 उत्सर्जन में 4 बिलियन टन की आएगी कमी - रिपोर्ट का दावा

punjabkesari.in Friday, Nov 08, 2024 - 03:14 PM (IST)

नेशनल डेस्क। भारत की मौजूदा जलवायु नीति असर दिखाने लगी है। एक नई रिपोर्ट के अनुसार भारत की वर्तमान जलवायु नीतियों से 2020 और 2030 के बीच कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में लगभग 4 अरब टन की कमी आने तथा कोयला आधारित बिजली उत्पादन में 24% की कमी आने का अनुमान है।

बिजली उत्पादन में 2030 तक 24 फीसदी गिरावट 

वहीं दिल्ली की एक सीईईडब्ल्यू ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भारत की नीतियों के चलते 2015 से 2020 के बीच ऊर्जा, आवासीय और परिवहन क्षेत्र में 44 करोड़ टन कार्बन उत्सर्जन कम हुआ है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अकेले ऊर्जा क्षेत्र में ही नवीकरणीय ऊर्जा नीति को बढ़ावा दिए जाने के चलते कोयला आधारित बिजली उत्पादन में 2030 तक 24 फीसदी गिरावट आएगी। यह 80 गीगावाट के उन कोयला आधारित पावर प्लांट के बराबर है, जो बढ़ती बिजली की मांग को पूरा करने के लिए बनाए जाते हैं। मौजूदा समय में भारत में 71 फीसदी बिजली कोयले से बनती है।

तेल और गैस की मांग में 55 फीसदी कमी 

वहीं रिपोर्ट के मुताबिक परिवहन क्षेत्र में 2030 तक इलेक्ट्रिक दोपहिया और चार पहिया वाहनों की बिक्री क्रमशः 19 प्रतिशत और 11 प्रतिशत हो सकती है। इससे इस दशक में तेल और गैस की मांग में 13 प्रतिशत की कमी आ सकती है। वहीं 2050 तक दोनों इलेक्ट्रिक वाहनों की श्रेणियों के लिए ये आंकड़े 65 प्रतिशत के पार जाने की उम्मीद है। इससे तेल और गैस की मांग में 55 फीसदी कमी आएगी।

एयर कंडीशन से बढ़ेगी बिजली की खपत 

वहीं रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के घरों में एयर कंडीशनिंग से संबंधित बिजली की खपत 2020 और 2030 के बीच दोगुनी हो जाएगी। इसके 2050 तक लगभग 10 गुना तक बढ़ने का अनुमान है। इसका कारण अधिक गर्मी के साथ ही लोगों की बढ़ती आय होगी। इसके अलावा बिजली की कीमतें भी कम होंगीं।  

इस मौके पर बातचीत करते हुए सीईईडब्ल्यू के वरिष्ठ फेलो और अध्ययन के प्रमुख लेखक वैभव चतुर्वेदी ने कहा, "हमारे निष्कर्ष बताते हैं कि मौजूदा नीतियों ने भारत को सही रास्ते पर ला खड़ा किया है। मौजूदा जलवायु नीतियों पर आधारित नई नीतियां पहले से ही तैयार की जा रही हैं ताकि 2070 के शुद्ध-शून्य लक्ष्य को पूरा करने के प्रयासों में तेजी लाई जा सके।"

वहीं उन्होंने कहा, "तत्काल उठाए जाने वाले कदमों में नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश बढ़ाना, घरेलू कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग योजना को बढ़ाना तथा उद्योग, परिवहन और भवन जैसे प्रमुख क्षेत्रों में ऊर्जा दक्षता पर ध्यान केंद्रित करना शामिल होना चाहिए।"


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News Editor

Rahul Rana

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