ट्रंप के टैरिफ वॉर के बीच भारत को हो सकता है बड़ा नुकसान! जानिए क्या होगा असर
punjabkesari.in Wednesday, Aug 06, 2025 - 11:59 PM (IST)

नेशनल डेस्कः अमेरिका ने भारत से आयातित वस्तुओं पर अतिरिक्त 25% टैरिफ लगाने की घोषणा की है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, भारत सरकार की आंतरिक रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि इस फैसले से भारत के अमेरिका को किए जाने वाले लगभग 64 अरब डॉलर के निर्यात पर गंभीर असर पड़ सकता है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि यह कदम भारत द्वारा रूस से तेल की खरीद को लेकर उठाया गया है। अमेरिका के एशियाई देशों में सबसे अधिक टैरिफ भारत को ही झेलना पड़ रहा है।
कूटनीतिक और आर्थिक चुनौती
रॉयटर्स की रिपोर्ट में बताया गया है कि यह टैरिफ भारत के लिए कूटनीतिक रूप से भी चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि इससे भारत-अमेरिका संबंधों में तनाव पैदा हो सकता है। एशियाई देशों में भारत के उच्च मूल्य वाले उत्पाद, जैसे टेक्सटाइल और दवाइयाँ, अब कम टैरिफ वाले देशों से कड़ी प्रतिस्पर्धा में आने वाले हैं, जिससे उनकी कीमतों में गिरावट और निर्यात में नुकसान हो सकता है।
ट्रंप के प्रस्तावित जुर्माने और टैरिफ की स्थिति
सूत्रों के अनुसार, यदि ट्रंप द्वारा प्रस्तावित 10% जुर्माना लागू होता, तो कुल टैरिफ 35% तक पहुंच जाता। हालांकि, अब ट्रंप ने टैरिफ को 50% तक बढ़ा दिया है, जिससे भारत की प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता और भी कमजोर हो सकती है।
भारत की अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
भारत की अर्थव्यवस्था लगभग 4 ट्रिलियन डॉलर की है, जिसमें निर्यात का हिस्सा सीमित है। इसके बावजूद, रिपोर्ट के अनुसार, इस टैरिफ का GDP पर लगभग 40 बेसिस प्वाइंट्स तक असर हो सकता है।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अभी भी GDP ग्रोथ का अनुमान 6.5% रखा है, लेकिन यह टैरिफ नीति भारत के लिए नई आर्थिक चुनौती बन सकती है।
भारत का निर्यात कितना प्रभावित होगा?
2024 में भारत ने अमेरिका को लगभग 81 अरब डॉलर मूल्य की वस्तुएं निर्यात कीं, जो भारत के कुल निर्यात का 18% और GDP का 2% है। कुल मिलाकर, भारत का वैश्विक निर्यात 443 अरब डॉलर था। विशेष रूप से टेक्सटाइल, दवाइयां और उच्च-मूल्य वाले उत्पाद अब कम टैरिफ वाले देशों से प्रतिस्पर्धा में आ सकते हैं, जिससे भारत के निर्यात में गिरावट और लाभ मार्जिन में कमी होने की संभावना है।
संभावित दीर्घकालिक असर
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर अमेरिका द्वारा टैरिफ नीति जारी रहती है, तो भारत को अपनी निर्यात रणनीति विविध देशों की ओर केंद्रित करनी पड़ सकती है। इसके अलावा, कंपनियों को उत्पादन लागत कम करने और नई बाजार संभावनाओं को तलाशने की आवश्यकता होगी।