#independence day: अपनी गलती पर पछताने लगा था जिन्ना

punjabkesari.in Tuesday, Aug 15, 2017 - 12:43 PM (IST)

नई दिल्ली: अविश्वसनीय मगर यह ऐतिहासिक तथ्य है कि भारत के बंटवारे के लिए जिम्मेदार माने जाने वाले और पाकिस्तान के संस्थापक कायदे-ए-आजम मोहम्मद अली जिन्ना को अपनी जिंदगी के आखिरी दिनों में यह एहसास होने लगा था कि पाकिस्तान बनाना उनकी जिंदगी की सबसे बड़ी भूल थी। वयह बात बीमार पड़े जिन्ना ने गहरी उदासी की स्थिति में अपने चिकित्सक कर्नल डा. इलाही बख्श से कही थी। इस तथ्य का खुलासा हिंदी लेखक और मुंबई के मुख्य आयकर आयुक्त वीरेन्द्र कुमार बरनवाल ने 6वें दशक में लिखी अपनी पुस्तक ‘जिन्ना : एक पुनर्दृष्टि’ में किया है।
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इस शोधपरक पुस्तक में बरनवाल ने लिखा है कि भारतीय उपमहाद्वीप में मुसलमानों के लिए अलग राज्य की विचारधारा के जनक जिन्ना नहीं, इसका बीज सर सय्यद अहमद खां ने बोया था,  प्रसिद्ध उर्दू कवि अल्लामा इकबाल ने सींचा था और इंगलैड में रह रहे रहमत अली ने पुष्पित व पल्लिवत किया था। जिन्ना पहली बार इस विचारधारा से मार्च 1940 में मुस्लिम लीग के लाहौर अधिवेशन में जुड़ा था। इससे पहले 28 सितंबर 1939 को उस्मानिया विश्वविद्यालय, हैदराबाद में अपने भाषण में उसने कहा था कि वह किसी रूप में नेहरू से कम राष्ट्रवादी नहीं है।
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पुस्तक के अनुसार 19 जनवरी 1940 को लंदन की ‘टाइम एंड टाइड’  पत्रिका में जिन्ना ने लिखा था ‘हिंदुस्तान- हिंदुओं और मुसलमानों की एक समान जन्मभूमि है’। पाकिस्तान शब्द पहली बार उसने 19 फरवरी 1941 को स्टेट्समैन समाचार पत्र में छपे अपने लेख में इस्तेमाल किया था, न कि 22 मार्च 1940 को लीग के लाहौर अधिवेशन में अपने अध्यक्षीय भाषण में। बरनवाल ने यह भी खुलासा किया है कि कुछ समय बाद उत्तर-पश्चिमी सीमा प्रांत के पूर्व शिक्षा मंत्री मोहम्मद यहिया खां ने पेशावर से प्रकाशित अखबार ‘फ्रंटियर पोस्ट’ में अपने लेख में दर्ज किया था कि डा. इलाही बख्श ने जिन्ना के इस पश्चाताप भाव की पुष्टि की है। 
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बरनवाल की पुस्तक के अनुसार यहिया खां ने अपने लेख में लिखा था कि जिन्ना प्रधानमंत्री लियाकत अली खां की सोच और तौर-तरीकों से गहरे मतभेद रखता था। जब जुलाई 1948 में लियाकत अली उनकी बीमारपुर्सी के लिए जिन्ना के यहां पहुंचे थे तो जिन्ना क्रोध में कांपने लगा था। उसने लियाकत अली खां को कहा था, ‘‘तुम अपने आपको बहुत बड़ा आदमी समझने लगे हो। तुम नाचीज हो। मैंने तुम्हें पाकिस्तान का प्रधानमंत्री बनाया है। तुम समझते हो कि तुमने पाकिस्तान बनाया है। इसे मैंने बनाया है। अब मुझे यकीन है कि मैंने इसे बना कर अपनी जिंदगी की सबसे बड़ी भूल की है।’’ 
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यहिया खां के लेख के अनुसार आपने डा.इलाही बख्श की मौजूदगी में यह भी कहा था कि अगर उन्हें एक भी मौका मिले तो वह दिल्ली जाकर पं. जवाहर लाल नेहरू से मिलकर कहेंगे, ‘‘बीते दिनों की बेवकूफियों को भूल जाएं और एक बार फिर दोस्त बन जाएं।’’ नहीं कह सकते कि यदि जिन्ना कुछ देर जिंदा रहता तो वह अपने पश्चाताप के अनुसार पाकिस्तान का क्या स्वरूप और भविष्य तय करता?                                      


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