लद्दाख के लिए ऐतिहासिक पल, राज निवास का नाम बदलकर लोक निवास किया गया
punjabkesari.in Sunday, Nov 30, 2025 - 04:51 PM (IST)
नेशनल डेस्क: केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में प्रशासनिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण बदलाव हुआ है। लद्दाख के उपराज्यपाल कार्यालय ने हाल ही में घोषणा की है कि अब से उपराज्यपाल के आधिकारिक आवास और कार्यालय का नाम 'राज निवास' नहीं बल्कि 'लोक निवास' होगा। यह बदलाव लोगों पर केंद्रित शासन और सबको साथ लेकर चलने वाले विकास के दृष्टिकोण को दर्शाता है।
लोक निवास: जनता के लिए खुला प्रशासन
राज निवास लद्दाख के प्रशासन का सबसे महत्वपूर्ण केंद्र रहा है। यह लेह में स्थित है और यहां से केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासनिक फैसले लिए जाते हैं। सालों से इसे 'राज निवास' कहा जाता था, जिसका अर्थ था उपराज्यपाल का आधिकारिक आवास। लेकिन अब नाम बदलकर लोक निवास कर दिया गया है, जिसका मतलब है कि यह स्थान अब जनता के लिए अधिक खुला और पहुंच योग्य होगा। प्रशासन ने इसे जनता की आवाज और भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए किया है।
A historic moment for #Ladakh. Today, Raj Niwas has been officially renamed as Lok Niwas, symbolising our deep commitment to people-centric governance and inclusive development. pic.twitter.com/ESFl0hC779
— Office of the Lt. Governor, Ladakh (@lg_ladakh) November 30, 2025
ऐतिहासिक महत्व और प्रतीक
यह बदलाव प्रशासन और जनता के बीच की दूरी को कम करने और अधिक पारदर्शिता लाने का प्रतीक माना जा रहा है। प्रशासन ने यह भी बताया कि यह नाम परिवर्तन लद्दाख के लिए एक नए अध्याय की शुरुआत है। लोगों ने लंबे समय से इस बदलाव की उम्मीद की थी, ताकि प्रशासनिक कार्य और जनसंपर्क दोनों ही अधिक सुलभ और पारदर्शी हो सकें।
पिछले घटनाक्रम
लद्दाख में इससे पहले हाल ही में एक बड़ा प्रोटेस्ट हुआ था, जिसमें कुछ सरकारी संपत्तियों को नुकसान भी पहुंचा था। हालांकि सुरक्षा बलों और प्रशासन की त्वरित कार्रवाई से स्थिति नियंत्रण में आ गई थी। इस बदलाव के बाद अब उपराज्यपाल कार्यालय जनता के लिए और अधिक खुले तौर पर प्रशासनिक फैसलों और कार्यक्रमों के संचालन में शामिल होगा।
लोक निवास का संदेश
उपराज्यपाल कार्यालय ने सोशल मीडिया पर तस्वीर और संदेश पोस्ट करते हुए लिखा कि यह निर्णय लद्दाख में सभी नागरिकों की भागीदारी और सरकार की पारदर्शिता को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। अब से राज निवास नहीं, बल्कि लोक निवास लोगों की आवाज़, सुविधा और भागीदारी का प्रतीक बनेगा। यह ऐतिहासिक बदलाव प्रशासन और जनता के बीच नए संबंधों की नींव रखेगा और लद्दाख में शासन को और अधिक जन-केंद्रित और पारदर्शी बनाने का प्रयास करेगा।
