2 साल में भारत की 60-70 प्रतिशत आबादी को ही लग पाएगी वैक्सीन

punjabkesari.in Thursday, Jul 23, 2020 - 11:13 AM (IST)

नेशनल डेस्क: एक तरफ भारत ऑक्सफोर्ड की कोविड-19 के खिलाफ बनाई गई कैंडीडेट वैक्सीन के ट्रायल के लिए देश में स्थलों का निर्धारण कर रहा है, लेकिन विशेषज्ञों की राय है कि देश की बड़ी आबादी को देखते हुए बहुत अच्छी आदर्श स्थिति की कल्पना करें तो भी दो साल में 60 से 70 प्रतिशत आबादी को ही यह टीका लगाया जा सकेगा। प्रोटोकॉल के अनुसार संक्रमण के विरुद्ध देश में सामुदायिक प्रतिरोधक क्षमता के लिए कम से कम 60 से 70 प्रतिशत आबादी को यह वैक्सीनेशन देना जरूरी है। 

 

मैक्स हैल्थ केयर के डॉ. संदीप बुद्धिराजा का कहना है कि यदि हमें दिसम्बर तक टीका मिल जाता है तो देश की 60 प्रतिशत आबादी को कवर करने में हमें कम से कम डेढ़ साल लगेंगे। उन्होंने कहा कि देश को उसी तरह कोविड वायरस के साथ रहना होगा, जैसे हम ट्यूबरक्लोसिस जैसे रोगों के साथ रहते हैं। मैडीकल विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत में सबको टीका लगाना एक बड़ी चुनौती है। दिल्ली-एन.सी.आर. में कोविड को समर्पित अस्पतालों को चलाने वाले आकाश हैल्थकेयर के डॉ. आशीष चौधरी कहते हैं कि सरकारी आंकड़ों के अनुसार भरसक प्रयासों के बावजूद 2 साल के बच्चों के अनिवार्य टीकाकरण अभियान में 60 प्रतिशत से कुछ अधिक बच्चों का टीकाकरण हो पाया। इससे सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि हरेक को कोविड का टीका लगाने की चुनौती कैसी होगी। विशेषज्ञ मानते हैं कि जब टीका उपलब्ध होगा तो भारत में कम से कम 400 मिलियन हाई-रिस्क लोगों को यह लगाना जरूरी होगा। 

 

ऑक्सफोर्ड के टीके का भारत में असर पर संदेह
विशेषज्ञ इस बात को लेकर भी बहुत विश्वस्त नहीं हैं कि इस टीके का देश में कैसा असर रहेगा। देश में टैली मैडीसिन के अग्रणी तथा इस विषय में सरकार की 13 समितियों की अगुवाई करने वाले अपोलो टैली हैल्थ के डॉ. गणपति का कहना है कि दिसम्बर 2019 से लेकर जून 2020 तक कोरोना वायरस का व्यवहार लगातार बदल रहा है। यह वायरस स्पेन तथा इटली में जैसे असर डालता है, जरूरी नहीं कि वैसा ही असर यह भारत में भी डाले। हमारी प्रतिरोधक क्षमता और उनकी प्रतिरोधक क्षमता में फर्क है। हमारा जैनेटिक्स उनसे अलग हैं। लंदन में कारगर साबित होने वाली वैक्सीन जरूरी नहीं कि भारत में भी वही कमाल करे।

 

भारत के लिए टीके में करना होगा बदलाव
विशेषज्ञ इस वैक्सीन की सर्वस्वीकार्यता को लेकर भी संदेह व्यक्त कर रहे हैं। आकाश हैल्थ केयर के ही डॉ. आशीष चौधरी बताते हैं कि दुनियाभर में कोविड वायरस के 6 स्ट्रेन हैं तथा वैक्सीन एक समय पर एक ही स्ट्रेन पर काम कर पाएगी। अन्य स्ट्रेन के वायरस के खिलाफ वैक्सीन को प्रभावी बनाने के लिए उसमें बदलाव करना पड़ेगा। स्ट्रेन बदलने से अमरीका में इनफ्लुुएंजा वैक्सीन को हर साल अपग्रेड करना पड़ता है तथा हर साल टीकाकरण करना पड़ता है।  


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vasudha

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