देश छोड़ने का बढ़ता चलन... हर साल हजारों भारतीय छोड़ रहे नागरिकता, पिछले 5 साल में आया बड़ा उछाल
punjabkesari.in Saturday, Dec 13, 2025 - 05:53 PM (IST)
नेशनल डेस्क: हर साल विदेश में बसने वाले भारतीयों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। औसतन करीब दो लाख भारतीय हर साल न सिर्फ देश छोड़ रहे हैं, बल्कि भारतीय नागरिकता भी त्याग रहे हैं। पिछले पांच वर्षों के आंकड़ों पर नजर डालें तो करीब 9 लाख लोगों ने भारत की नागरिकता छोड़ दी है। संसद में पेश जानकारी के मुताबिक इसके पीछे विदेशों में बेहतर जीवन स्तर, अच्छी नौकरी और उच्च शिक्षा के अवसर सबसे बड़ी वजह बनकर उभरे हैं।
विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने संसद को बताया कि साल 2011 से 2024 के बीच 20 लाख से ज्यादा भारतीय विदेशों में बस चुके हैं। खासतौर पर 2021 के बाद इस रुझान में तेज़ बढ़ोतरी देखी गई। साल 2022 में तो नागरिकता छोड़ने का रिकॉर्ड बना, जब 2.25 लाख लोगों ने भारतीय नागरिकता त्याग दी। इसके बाद 2023 में भी यह आंकड़ा ऊंचा रहा और 2.16 लाख लोगों ने देश छोड़ा। 2024 के आधिकारिक आंकड़े अभी सामने नहीं आए हैं, लेकिन इनके और बढ़ने की आशंका जताई जा रही है।
अगर पुराने आंकड़ों पर नजर डालें तो 2011 में 1,22,819 लोगों ने नागरिकता छोड़ी थी। 2012 में यह संख्या थोड़ी घटकर 1,20,923 रही, जबकि 2013 में फिर बढ़कर 1,31,405 हो गई। 2014 में मामूली गिरावट के साथ आंकड़ा 1,29,328 रहा, लेकिन 2015 में एक बार फिर बढ़ोतरी दर्ज की गई और 1,31,489 लोगों ने देश छोड़ दिया।
विदेश में रह रहे भारतीयों से जुड़ी शिकायतों के आंकड़े भी चिंता बढ़ाने वाले हैं। बीते तीन वर्षों में विदेशी नागरिकों से संबंधित करीब 9.45 लाख शिकायतें दर्ज की गईं। विदेश मंत्रालय के अनुसार इनमें से अधिकांश शिकायतें ‘ओवरसीज सिटीजनशिप ऑफ इंडिया’ (OCI) कार्ड धारकों से जुड़ी थीं। 2024-25 के दौरान विदेश में रह रहे भारतीयों से कुल 16,127 शिकायतें मिलीं, जो सरकार के ऑनलाइन शिकायत मंच के माध्यम से दर्ज की गईं। इनमें 11,195 मामले सीधे प्लेटफॉर्म से जुड़े थे, जबकि 4,932 शिकायतें CPGRAMS के ज़रिये सामने आईं।
देशवार आंकड़ों की बात करें तो सबसे ज्यादा शिकायतें सऊदी अरब से आईं, जहां 3,049 मामले दर्ज हुए। इसके बाद संयुक्त अरब अमीरात (1,587), मलेशिया (662), अमेरिका (620), ओमान (613), कुवैत (549), कनाडा (345), ऑस्ट्रेलिया (318), यूनाइटेड किंगडम (299) और कतर (289) का स्थान रहा। ये आंकड़े न सिर्फ विदेश में बढ़ते भारतीय प्रवास की तस्वीर दिखाते हैं, बल्कि उनसे जुड़ी चुनौतियों की ओर भी इशारा करते हैं।
