इमरान खान ने फिर दिल खोलकर की भारत की तारीफ, PM मोदी का भी जमकर किया गुणगान
punjabkesari.in Sunday, May 22, 2022 - 12:13 PM (IST)
इस्लामाबादः सत्ता पर रहते भारत के खिलाफ जहर उगलने वाले पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के कुर्सी छिनने के बाद सुर बदल गए हैं। पाक सरकार से आऊट होने के बाद इमरान खान को बार-बार भारत की अच्छाइयां याद आ रही हैं। कुछ दिन पहले भारत की तारीफ करने के बाद इमरान एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गुणगान करते नजर आए हैं। इमरान खान ने "अमेरिका के दबाव" के बावजूद रूस से रियायती तेल खरीदने के लिए भारत की दिल खोल कर प्रशंसा की है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार एक स्वतंत्र विदेश नीति की मदद से इसे हासिल करने के लिए काम कर रही है।
उन्होंने पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एन) के नेतृत्व वाली सरकार पर "बिना सिर वाले मुर्गे की तरह अर्थव्यवस्था" के लिए फटकार लगाई। उन्होंने कल मोदी सरकार द्वारा पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कटौती की घोषणा की सराहना की। पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) नेता ने ईंधन की कीमतों में कटौती के भारत सरकार के फैसले के बारे में जानकारी साझा करते हुए ट्विटर पर लिखा “क्वाड का हिस्सा होने के बावजूद भारत ने अमेरिकी दबाव से खुद को अलi रखा और जनता को राहत देने के लिए रियायती रूसी तेल खरीदा। भारत ने वही किया जो हमारी सरकार एक स्वतंत्र विदेश नीति की मदद से इसे हासिल करने के लिए काम कर रही थी।”
बता दें कि केंद्र सरकार द्वारा ईंधन पर उत्पाद शुल्क में कटौती के बाद शनिवार को पेट्रोल की कीमत में 9.5 रुपS प्रति लीटर और डीजल में 7 रुपS प्रति लीटर की कटौती की गई है। भारत के रूसी तेल का आयात ऐसे समय में बढ़ गया है जब पश्चिमी देशों ने यूक्रेन पर आक्रमण के बाद से मास्को पर गंभीर प्रतिबंध लगा दिए हैं, जिससे कई तेल आयातकों ने रूस के साथ व्यापार करना बंद कर दिया है। रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने मुद्रास्फीति से लड़ने के लिए रूस से रियायती तेल की खरीद तेज कर दी, जिससे अप्रैल में देश का कच्चे तेल का आयात साढ़े तीन साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया।
इमरान खान ने कहा कि उनकी सरकार जनता को राहत प्रदान करने के लिए इसी तरह की कार्रवाई करना चाहती थी, लेकिन "मीर जाफर और मीर सादिक सत्ता परिवर्तन के लिए बाहरी दबाव के सामने झुक गए।" पूर्व पाकिस्तानी पीएम ने ट्वीट कर कहा, "हमारी सरकार के लिए पाकिस्तान का हित सर्वोच्च था, लेकिन दुर्भाग्य से स्थानीय एमआई जाफ़र्स और मीर सादिक सत्ता परिवर्तन के लिए बाहरी दबाव के आगे झुक गए। अब बिना सिर वाले मुर्गे की तरह अर्थव्यवस्था के साथ देश चला रहे हैं।"