IITian Baba Abhay Singh ने महाकुंभ से जुड़ी अफवाहों का किया खंडन, कहा- "मैं कहीं नहीं गया
punjabkesari.in Saturday, Jan 18, 2025 - 11:26 AM (IST)
नेशनल डेस्क: IIT Bombay के पूर्व छात्र और साधु बाबा के नाम से मशहूर अभय सिंह ने महाकुंभ मेला छोड़ने की अफवाहों को पूरी तरह खारिज किया है। शुक्रवार देर रात एक इंटरव्यू में उन्होंने यह स्पष्ट किया कि वह महाकुंभ से कहीं नहीं गए, बल्कि मेला परिसर में ही थे। इससे पहले खबरें आ रही थीं कि अभय सिंह जूना अखाड़े के 16 मड़ी आश्रम से अचानक गायब हो गए थे और उनके माता-पिता उन्हें ढूंढते हुए आश्रम पहुंचे थे, लेकिन तब तक वह वहां से जा चुके थे। हालांकि, अभय ने इस बात को गलत बताया और आरोप लगाया कि आश्रम के कुछ साधुओं ने उनके बारे में अफवाहें फैलाईं।
अफवाहों का खंडन करते हुए अभय ने क्या कहा?
अभय सिंह ने आजतक से बातचीत में कहा, "यह सब बकवास है। आश्रम के संचालकों ने रात को मुझे वहां से जाने के लिए कहा था, और बाद में यह अफवाह फैला दी कि मैं गुप्त साधना में चला गया हूं। वे लोग मुझे बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं।" उन्होंने यह भी कहा कि उन लोगों को यह डर था कि वह प्रसिद्ध हो चुके हैं और अगर किसी को उनके बारे में सही जानकारी मिलती, तो वे खुद को संकट में डाल सकते थे, इसलिए उन्होंने यह झूठा प्रचार फैलाया।
मानसिक स्थिति पर उठाए गए सवालों का दिया जवाब
अभय सिंह की मानसिक स्थिति पर सवाल उठाए जाने के बारे में उन्होंने कहा, "मैं खुद को समझा रहा हूं, और यह जो लोग मेरे मानसिक स्थिति पर सवाल उठा रहे हैं, वे खुद मुझे जानने के बजाय अपनी राय बना रहे हैं। वे कौन होते हैं मुझे मानसिक स्थिति पर टैग करने वाले?" अभय ने यह भी साफ किया कि उन्हें किसी मनोवैज्ञानिक से प्रमाणपत्र की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा कि कोई भी उनसे ज्यादा उनकी मानसिक स्थिति के बारे में जानकारी नहीं रख सकता।
गुरु के बारे में अभय का बयान
इस दौरान अभय ने यह भी स्पष्ट किया कि उनका कोई गुरु नहीं है, जबकि जूना अखाड़ा के संत सोमेश्वर पुरी ने दावा किया था कि वह उनके गुरु हैं। अभय ने कहा, "मैंने पहले ही उन्हें बता दिया था कि हमारे बीच गुरु-शिष्य का रिश्ता नहीं है।" उनका कहना था कि कई लोग उनके प्रसिद्ध होने के बाद खुद को उनका गुरु बताने लगे हैं, जबकि यह सच नहीं है।
बताया IIT से साधु बनने तक का सफर
अभय सिंह का जन्म हरियाणा के झज्जर जिले के गांव सासरौली में हुआ। उनके पिता कर्ण सिंह पेशे से वकील हैं और वह झज्जर बार एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। अभय ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा झज्जर से ही की, और बाद में दिल्ली में IIT की कोचिंग ली। उन्होंने IIT का एंट्रेंस एग्जाम पास किया और IIT Bombay से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में बीटेक किया। इसके बाद उन्होंने डिजाइनिंग में मास्टर डिग्री भी हासिल की। अभय सिंह की छोटी बहन कनाडा में रहती हैं, और पढ़ाई के बाद अभय ने कुछ समय के लिए एक एयरोप्लेन निर्माण कंपनी में काम किया, जहां उनकी सैलरी 3 लाख रुपये प्रति माह थी। लेकिन कोविड-19 के लॉकडाउन के दौरान अभय का आध्यात्मिक रुझान और गहरा हो गया। लॉकडाउन के बाद उन्होंने कनाडा में कुछ समय फोटोग्राफी की, और फिर भारत वापस आ गए। उन्होंने केरल, उज्जैन और हरिद्वार जैसे स्थानों पर यात्रा की और ध्यान की साधना शुरू की।
परिवार के साथ हुआ था विवाद
अभय सिंह ने बताया कि उनके परिवार को पहले से ही यह आभास था कि वह साधु बनने की दिशा में जा रहे थे। घरवालों ने इस पर अपनी चिंता जताई और कभी-कभी उनकी मानसिक स्थिति पर सवाल भी उठाए। कई बार अभय के परिवार ने पुलिस को भी बुलाया। अंततः वह घर छोड़कर चले गए, और अब महाकुंभ में साधना कर रहे हैं।
कैसी रही थी अभय के परिवार की प्रतिक्रिया
अभय सिंह के पिता कर्ण सिंह ने कहा कि उनका बेटा बचपन से बहुत कम बात करता था, लेकिन उन्हें कभी यह अंदाजा नहीं था कि वह आध्यात्मिक रास्ते पर चल पड़ेगा। कर्ण सिंह ने मीडिया से बातचीत में कहा, "मैं अपने बेटे को वापस आने के लिए कह सकता हूं, लेकिन मुझे लगता है कि उसे यह निर्णय खुद लेना चाहिए।" वहीं, उनकी मां को उनके संन्यास लेने पर दुख है, और उन्हें अपने इकलौते बेटे का यह कदम स्वीकार करना मुश्किल हो रहा है।