बाबा वेंगा की भविष्यवाणी ने मचाई खलबली, इस देश की धड़ाधड़ कैंसल हो रही टिकट बुकिंग
punjabkesari.in Thursday, Jun 19, 2025 - 04:56 PM (IST)

नई दिल्ली: जापानी मंगा आर्टिस्ट और आत्मघोषित भविष्यद्रष्टा र्यो तत्सुकी—जिन्हें “जापान की बाबा वेंगा” कहा जाता है—की एक नई भविष्यवाणी ने एशियाई ट्रैवल और एविएशन सेक्टर में खलबली मचा दी है। उन्होंने अपनी मंगा The Future I Saw (1999, 2021 में रीलांच) में 5 जुलाई 2025 को जापान एवं आस-पास के समुद्री क्षेत्रों में तीन गुना ऊँची सुनामी की चेतावनी दी है
Japanese manga artist Ryo Tatsuki, called the “New Baba Vanga”, predicted a massive disaster will strike Japan on July 5, sparking panic across Asia.
— The CSR Journal (@thecsrjournal) June 17, 2025
Her 1999 manga, which reportedly foresaw COVID-19, has resurfaced, warning of a seabed rupture and tsunami more devastating than… pic.twitter.com/NjNf8nzxKM
क्या कहा गया भविष्यवाणी में?
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समुद्र के तल पर अचानक बड़े बुदबुदे और “बोइलिंग” की तरह उभार होंगे, जो मलबू समुद्री ज्वालामुखीय विस्फोट का संकेत हो सकते हैं।
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यह विनाशकारी लहरें तोहोकू 2011 की सुनामी से तीन गुना अधिक तबाही मचा सकती हैं
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बस जापान ही नहीं, बल्कि फिलीपींस, ताइवान, इंडोनेशिया जैसे देश भी इससे प्रभावित हो सकते हैं ।
ट्रैवल सेक्टर में असर
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हांगकांग एयरलाइंस ने कागोशिमा और कूमामोटो के लिए जुलाई–अगस्त में परवाने रद्द कर दिए
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बुकिंग्स में 50–83% तक गिरावट दर्ज की गई—विशेष रूप से हांगकांग, ताइवान, साउथ कोरिया से जापान जाने वाली फ्लाइट्स में
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क्षेत्रीय एयरलाइंस जैसे ग्रेटर बे एयरलाइंस की उड़ानें ही आधी भर रहीं ।
तर्क हो या अंधविश्वास?
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जापान मौसम विज्ञान एजेंसी सहित वैज्ञानिकों ने इन भविष्यवाणियों को अवैज्ञानिक और अतिशयोक्ति बताते हुए नकारा है ।
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लेकिन, जापान पेसिफिक “रिंग ऑफ फायर” पर अवस्थित है—जहां Nankai Trough जैसी प्लेट-फॉल्ट की वजह से 30 मेट्र तक ऊँची सुनामी आने की संभावना बनी रहती है ।
भावी संभावनाएं: पैराशूट या प्रहार
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टूरिज्म प्रभावित: लोगों में डर का माहौल, लेकिन अभी भी राजस्व और रिकार्ड बुकिंग जारी है ।
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शरीरिक तैयारी ज़रूरी: सरकारी स्तर पर आपदा तैयारी और रियल टाइम मॉनिटरिंग की अपील बढ़ रही है।
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विश्वास या विज्ञान: भविष्यवाणी को दर्शक रोचकता, डर, या अंधविश्वास की दृष्टि से देख रहे हैं, जबकि वैज्ञानिकों की सलाह है कि इसमें तथ्यपरक व वैज्ञानिक पुष्टि पहले होनी चाहिए।