अगर ऐसा सच हुआ तो, आने वाले 5 सालों तक भारत के के सामने कहीं नहीं टिक पाएगा चीन

punjabkesari.in Tuesday, Mar 19, 2024 - 11:39 AM (IST)

नेशनल डेस्क: भारतीय अर्थव्यवस्था वैश्विक सुस्ती के बावजूद अपने प्रदर्शन में निरंतर उत्कृष्टता प्रदर्शित कर रही है, जिससे यह दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ रही प्रमुख इकोनॉमी बन गई है। भारतीय अर्थव्यवस्था के माध्यम से आने वाले कुछ सालों में विश्व अर्थव्यवस्था में भारी योगदान की उम्मीद है। इसकी रफ्तार हर किसी को हैरान करते हुए सभी अनुमानों के पार कर निकल गई है। 

नेशनल स्टैटिस्टिक्स ऑफिस (NSO) के अनुसार, 2023-24 में भारत की आर्थिक गति का अनुमान 7.6 प्रतिशत है, जो कि योजनाओं के पूर्वानुमान से अधिक है। इसके बाद, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर ने बताया कि अगले कुछ सालों में भारत की विकास दर 8 प्रतिशत के पास पहुंच सकता है। इस बड़े अनुमान को लेकर ग्लोबल रेटिंग एजेंसियों ने भारत की जीडीपी ग्रोथ को भी 8 प्रतिशत के पास बनाए रखने का समर्थन किया है।

इसी अनुमान के साथ ताल मिलाते हुए ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज कंपनी बार्कलेज ने कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था का आने वाले कुछ बरसों में दुनिया की कुल जीडीपी में योगदान बढ़ता जाएगा। वहीं बार्कलेज ने कहा है कि इस मियाद में चीन का योगदान कम होता चला जाएगा। बार्कलेज के मुताबिक चीन की विकास दर अगले पांच साल के दौरान भारत की ग्रोथ से कम रहने का अनुमान है।

भारतीय अर्थव्यवस्था के योगदान में वृद्धि
विभिन्न वित्तीय सेवा कंपनियों के अनुसार, भारतीय अर्थव्यवस्था का योगदान विश्व जीडीपी में महत्वपूर्ण रूप से वृद्धि करेगा। यदि भारत अपनी विकास दर को बनाए रखता है, तो विश्व जीडीपी में इसका योगदान अधिक होगा। इसके बावजूद, चीन की विकास दर में कमी के कारण उसका योगदान घटेगा, जिससे भारत की अधिक से अधिक हिस्सेदारी बढ़ेगी। फिलहाल ग्लोबल GDP में भारत का योगदान 10 फीसदी से ज्यादा है। अगर भारत 2028 तक 8 फीसदी की दर से विकास करने में कामयाब हो जाता है तो फिर 2028 तक वैश्विक GDP में भारत का योगदान बढ़कर 16 परसेंट हो सकता है। 

जबकि चीन की विकास दर लगातार घटने से ग्लोबल GDP में ड्रैगन का योगदान घटने का अनुमान है। अगर चीन 4-4.5 फीसदी की दर से विकास करता है तो वैश्विक जीडीपी में चीन का योगदान मौजूदा 33 परसेंट से कम होकर 2028 तक 26 फीसदी रह जाएगा। ऐसे में समझा जा सकता है कि ग्लोबल GDP में भारत और चीन की हिस्सेदारी 40 फीसदी से ज्यादा ही रहेगी लेकिन भारत और चीन के मौजूदा योगदान के अंतर में काफी कमी आ जाएगी जो भारत की बढ़ती आर्थिक ताकत का सबूत है।

महत्वपूर्ण बदलाव की संभावना
भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर को बनाए रखने के लिए बड़े परिवर्तनों की आवश्यकता हो सकती है, जैसे कि वित्तीय नीतियों में सुधार, बचत दर की वृद्धि, वर्कफोर्स की बढ़ोतरी, और महिलाओं की भागीदारी में वृद्धि। ये सभी कदम भारतीय अर्थव्यवस्था को और भी मजबूत बनाने में मदद करेंगे और उसकी ग्रोथ को गति प्रदान करेंगे। अंत में, इन सभी अनुमानों का मतलब है कि भारतीय अर्थव्यवस्था ने वैश्विक सुस्ती के खिलाफ खड़ा होकर अपनी ताकत दिखाई है और आने वाले समय में इसका योगदान और बढ़ेगा। 

सभी अनुमानों को पीछे छोड़ेगी भारतीय इकोनॉमी
बार्कलेज ने भारतीय GDP के आकार को लेकर भी अपनी रिपोर्ट में बड़ा दावा किया है. बार्कलेज के मुताबिक अगर भारत 2028 तक 8 परसेंट की विकास दर हासिल करने में कामयाब रहता है तो फिर इस दशक के आखिर तक भारतीय इकॉनमी का आकार बढ़कर 8 ट्रिलियन डॉलर का हो सकता है। अभी तक के अनुमानों के मुताबिक 2030 तक भारत की GDP का आकार 6.6 ट्रिलियन डॉलर का हो सकता है। हाल ही में आई क्रिसिल की रिपोर्ट में भी 2031 तक भारत को 6.7 ट्रिलियन डॉलर की इकॉनमी बनने का अनुमान लगाया गया था।

बार्कलेज ने कहा है कि 8 फीसदी विकास दर हासिल करने के लिए भारत को अपनी बचत दर को GDP के 32.3 परसेंट तक लाना होगा। फिलहाल बचत दर जीडीपी के 30.2 फीसदी के बराबर है। वहीं भारत को अपनी वर्कफोर्स को 3.5 फीसदी की दर से बढ़ाने का सुझाव भी बार्कलेज ने दिया है जबकि ये फिलहाल महज एक फीसदी है। इसके साथ ही भारत को अपनी वर्कफोर्स में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाने का सुझाव भी इस रिपोर्ट में दिया गया है। ग्लोबल एक्सपोर्ट में भी देश को अपनी हिस्सेदारी मौजूदा 2.4 परसेंट से बढ़ाकर 4.5-5 फीसदी तक ले जानी होगी।


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Content Editor

Mahima

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