अंतरिक्ष में आत्मनिर्भरता: कैसे पीएम मोदी भारत को भौगोलिक रणनीतिक लाभों के लिए तैयार कर रहे हैं, जानिए
punjabkesari.in Thursday, Jun 26, 2025 - 02:45 PM (IST)

National Desk : दिल्ली में आयोजित इंडियन स्पेस कांग्रेस 2025 में केंद्रीय अधिकारी, नीति निर्धारक, निर्णय लेने वाले और अंतरिक्ष क्षेत्र के निजी क्षेत्र के प्रतिनिधि शामिल हैं, जो भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र को विकास की नई मंजिलों तक पहुंचाने के लिए समर्पित हैं।
इस सम्मेलन का मुख्य केंद्र बिंदु एक ही विषय है – ‘आत्मनिर्भरता’।
रणनीतिक स्वतंत्रता के लिए स्वदेशी क्षमताओं का विकास
प्रधानमंत्री मोदी का ‘आत्मनिर्भर भारत’ का लक्ष्य अब अंतरिक्ष क्षेत्र में भी गहराई से महसूस किया जा रहा है। इस क्षेत्र को अब राष्ट्रीय ताकत और रणनीतिक स्वतंत्रता का अहम हिस्सा माना जा रहा है। इस दिशा में कई बड़े कदम उठाए जा रहे हैं, जिनमें निजी कंपनियों द्वारा उपग्रहों की सफल लॉन्चिंग और दीर्घकालिक अंतरिक्ष अन्वेषण की महत्वाकांक्षी योजनाएं शामिल हैं।
इस साल जनवरी में, पीएम मोदी ने Pixxel द्वारा लॉन्च किए गए भारत के पहले निजी उपग्रह समूह ‘फायरफ्लाई’ की विशेष प्रशंसा की। इसे भारत की अंतरिक्ष नवाचार में बढ़ती ताकत और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि बताया गया। यह उपग्रह समूह उच्च गुणवत्ता वाली तस्वीरें लेने में सक्षम है। वहीं, इसरो ने अपने स्वदेशी EOS-08 सैटेलाइट को सफलतापूर्वक लॉन्च किया, जो समुद्र की सतह पर हवा की गति, मिट्टी की नमी और बाढ़ जैसी आपदाओं की निगरानी के लिए बनाया गया है। यह उपग्रह भारत की अपनी अंतरिक्ष तकनीकों को विकसित करने की प्रतिबद्धता का प्रतीक है, हालांकि लॉन्च के दौरान कुछ प्रारंभिक चुनौतियाँ आई थीं।
इन सभी सफलताओं से स्पष्ट होता है कि भारत का अंतरिक्ष क्षेत्र लगातार मजबूती की ओर बढ़ रहा है। सरकार द्वारा 2020 में अंतरिक्ष क्षेत्र में लागू किए गए सुधार और 2023 की भारतीय अंतरिक्ष नीति ने इस क्षेत्र में स्वदेशी विकास को बढ़ावा दिया है। इन नीतियों के तहत निजी कंपनियों को क्षेत्र में प्रवेश मिला और विदेशी निवेश की सीमा को 100 प्रतिशत तक बढ़ाया गया। इस बदलाव से निजी क्षेत्र को नई ऊर्जा मिली है और वे भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। इससे देश की विदेशों पर निर्भरता कम हुई है, खासकर रक्षा और जलवायु निगरानी जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में, जिससे भारत की रणनीतिक स्वतंत्रता और अधिक मजबूत हुई है।
भविष्य की योजना: स्पेस विजन 2047
आगे देखते रखते हुए, भारत ने स्पेस विजन 2047 के तहत कई महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को निर्धारित किया है। इनमें 2035 तक एक स्वदेशी भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन का निर्माण, 2040 तक चंद्रमा पर मिशन भेजना, और 2032 तक नई पीढ़ी के सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल का विकास शामिल है। ये सभी योजनाएं देश की अत्याधुनिक अंतरिक्ष तकनीकों में आत्मनिर्भरता बनाए रखने और उसे निरंतर बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं।
क्षेत्रीय पहलों को मजबूती देना: IMEC का उदाहरण
भारत की स्वदेशी अंतरिक्ष क्षमताओं का रणनीतिक महत्व सीधे उसके प्रमुख अंतरराष्ट्रीय इंफ्रास्ट्रक्चर प्रयासों से जुड़ा हुआ है, खासकर इंडिया-मिडिल-ईस्ट यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर (IMEC) के संदर्भ में। यह परियोजना जियो-पॉलिटिकल चुनौतियों के बीच शुरू हुई है, जिसमें मजबूत सुरक्षा और सुचारू संचालन के लिए उन्नत अंतरिक्ष तकनीकों की जरूरत है।
जहां चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव और उसका स्पेस सिल्क रोड पूरी तरह से चीनी संसाधनों पर आधारित है, IMEC एक बहु-राष्ट्रीय परियोजना है, जिसमें भारत, यूरोपीय संघ और अमेरिका जैसे उच्च तकनीकी राष्ट्र साझेदार हैं। यह एक विशेष अवसर प्रदान करता है कि सभी भागीदारों की वाणिज्यिक अंतरिक्ष तकनीकों को मिलाकर एक अंतरराष्ट्रीय स्पेस-IMEC औद्योगिक गठबंधन बनाया जाए।
भारत की स्पेस आधारित कमांड, कंट्रोल, कम्युनिकेशन, कंप्यूटर, इंटेलिजेंस, सर्वेलांस और रिकॉन्सेंस (C4ISR) क्षमताएं IMEC के सुरक्षित संचालन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। साथ ही, भारत के NAVIC नेविगेशन सिस्टम की यूरोपीय संघ के गैलीलियो और अमेरिका के GPS के साथ इंटरऑपरेबिलिटी इस कॉरिडोर में सटीक पोजिशनिंग, नेविगेशन और टाइमिंग सेवा सुनिश्चित करती है।
यह खासकर UAE, सऊदी अरब, और जॉर्डन जैसे IMEC के सदस्य देशों के लिए बेहद उपयोगी है, जो अपने क्षेत्रों में NAVIC की व्यापक कवरेज का लाभ उठा कर अपने भूमि आधारित व्यापार को अधिक सुरक्षित और प्रभावी बना सकते हैं। पृथ्वी अवलोकन से लेकर सैटेलाइट संचार तक की आधुनिक अंतरिक्ष तकनीकों का उपयोग IMEC की आपूर्ति श्रृंखलाओं की सुरक्षा और समृद्धि में वृद्धि करेगा। साइबर सुरक्षा पर विशेष ध्यान और भारत के आईटी सेवाओं को पश्चिम एशिया से जोड़ने वाली हाई-स्पीड डेटा लिंक IMEC को एक सुरक्षित और समृद्ध आर्थिक मार्ग बनाने में भारत की अंतरिक्ष क्षमताओं के महत्व को और भी बढ़ाता है।
भारत: एक वैश्विक अंतरिक्ष महाशक्ति
भारत की बढ़ती आत्मनिर्भरता ने देश को वैश्विक अंतरिक्ष बाजार में एक नई पहचान दिलाई है। अब भारत केवल घरेलू स्तर तक सीमित नहीं रहा, बल्कि ‘मेक इन इंडिया फॉर द वर्ल्ड’ की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रहा है। इसके स्पष्ट उदाहरण हैं प्रमुख भारतीय अंतरिक्ष स्टार्टअप्स की ग्लोबल रणनीतियाँ। जैसे Bellatrix Aerospace ने अमेरिका में अपने कार्यालय खोले हैं और यूरोप में विस्तार की योजना बना रहा है, वहीं Pixxel, Dhruva Space, और Agnikul Cosmos पूरी तरह से वैश्विक बाजार में सक्रिय हैं।
भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था 2023 में 8.4 बिलियन डॉलर थी, जिसे 2033 तक बढ़ाकर 44 बिलियन डॉलर तक पहुँचाने का लक्ष्य है। इसके साथ ही भारत 2030 तक वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था का लगभग 10% हिस्सा हासिल करने की योजना बना रहा है। इंडिया स्पेस कांग्रेस 2025 जैसे अंतरराष्ट्रीय मंच निवेशकों के लिए महत्वपूर्ण “मैचमेकिंग हब” का काम कर रहे हैं, जो भारत में बढ़ते वाणिज्यिक अवसरों को प्रदर्शित करते हैं।
US-India राउंडटेबल्स के माध्यम से ग्लोबल साउथ देशों तक पृथ्वी अवलोकन तकनीकों को पहुँचाने की चर्चाएं यह दर्शाती हैं कि भारत एक सहयोगी और साझेदार के रूप में साझा विकास और समृद्धि को प्राथमिकता देता है। जहां स्वदेशी विकास को बढ़ावा दिया जा रहा है, वहीं तकनीकी हस्तांतरण और अंतरराष्ट्रीय सहयोग की रणनीति भी अपनाई जा रही है, जो प्राचीन भारतीय विचारधारा ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ को सार्थक बनाती है। इसका मतलब यह है कि भारत की अंतरिक्ष क्षमताएं न केवल देश के हितों की सेवा करती हैं, बल्कि वैश्विक शांति, सुरक्षा और समृद्धि में भी योगदान देती हैं।