कितनी संपत्ति के मालिक है हार्दिक पंड्या... तलाक के बाद अब नताशा को देनी पड़ेगी कितनी प्रॉपर्टी?

punjabkesari.in Friday, Jul 19, 2024 - 02:33 PM (IST)

नेशनल डेस्क: भारत क्रिकेट टीम के स्टार ऑलराउंडर हार्दिक पंड्या अब एक बार फिर से सुर्खियों में बने हुए है। इस बार हार्दिक अपनी क्रिकेट खेलने के लिए नहीं बल्कि अपनी निजी लाइफ के लिए सुर्खियों में शाय होए है। दरअसल हार्दिक ने अपने इंस्टाग्राम पर पोस्ट कर अपने तलाक की पुष्टि की और बताया कि वे और उनकी पत्नी नताशा स्टानकोविच 4 साल साथ रहने के बाद अब अपनी राहें जुदा कर ली है। ऐसे में एक सवाल अब सबके मन में ये चल रहा है कि तलाक के बाद अब हार्दिक पंड्या की प्रॉपर्टी में नताशा को कितना हिस्सा मिलेगा। आइए जानते हैं Hardik Pandya Net Worth के बारे में...

PunjabKesari

Insta से शेयर की सारी जानकारी
बता दें कि पंड्या और नताशा ने लॉकडाउन के दौरान मई 2020 कोर्ट मैरिज की थी, जिसके बाद 30 जुलाई 2020 उनके घर बेटे अगस्त्य ने जन्म लिया। इसके बाद फरवरी 2023 में कपल ने हिंदू और ईसाई दोनों ही रीति-रिवाज से शादी रचाई थी। बात करें हार्दिक पंड्या की उस पोस्ट की तो उन्होंने तलाक की बात करते हुए अपने बेटे अगस्त्य का जिक्र भी किया और कहा कि '4 साल साथ रहने के बाद, नताशा और मैंने आपसी सहमति से अलग होने का फैसला किया है. हमने अपनी पूरी कोशिश की और इस रिश्ते को बचाने के लिए अपना सब कुछ लगा दिया।' हालांकि पिछले कई महीनों से चल रही अटकलों पर विराम लगते हुए उन्होंने इस बात की पुष्टि कर दी है। 

PunjabKesari

तलाक में संपत्ति के अधिकार
एक रिपोर्ट की माने तो Dilsewill के फाउंडर राज लखोटिया का कहना है कि तलाक के मामले में अगर पत्नी अपने पति से अलग हो जाती है या उसे छोड़ देती है, तो वह अपने नाम पर 50 फीसदी हिस्से के अलावा पति की प्रॉपर्टी में से भी अपना हिस्सा मांग सकती है।वहीं अगर पति और पत्नी दोनों ने मिलकर किसी संपत्ति का भुगतान किया है और उस पर उनका स्वामित्व है, तो पत्नी अपने 50% हिस्से के अलावा पति के हिस्से से अपना हिस्सा मांग सकती है। कई तलाक के मामलों में जहां संपत्ति पूरी तरह से पति के नाम पर होती है और तो फिर तलाक की स्थिति में, पत्नी भरण-पोषण का दावा कर सकती है, क्योंकि उसे क्लास फर्स्ट कानूनी उत्तराधिकारी माना जाता है। वहीं अगर पत्नी ने पति के नाम पर रजिस्टर्ड प्रॉपर्टी में फाइनेंशियल हेल्प की है, तो पति उस संपत्ति पर तब तक अपना दावा रख सकता है, जब तक कि पत्नी इसमें अपने योगदान के सबूत देते हुए इसे साबित न कर दे। इसके अलावा पत्नी द्वारा खुद से खरीदी गई संपत्ति पूरी तरह से उसकी होती है और उसे इन संपत्तियों को बेचने, रखने या गिफ्ट करने की पूरी छूट होती है।

PunjabKesari

क्या है भरण-पोषण के अधिकार
कानूनी रूप से तलाक लेकर अलग होने के दौरान एक महिला अपने और अपने बच्चों के लिए इंडियन पीनल कोड की धारा-125 के तहत भरण-पोषण का दावा कर सकती है। हिंदू एडॉप्शन एंड मेंटिनेंस एक्ट 1956 की धारा 25 के मुताबिक, पत्नी को या तो एकमुश्त या कोर्ट द्वारा निर्धारित मासिक भुगतान के रूप में भरण पोषण मिल सकता है।पति-पत्नी के बीच आय में पर्याप्त असमानता होने पर कामकाजी महिला को भी गुजारा भत्ता मिल सकता है। लखोटिया का कहना है कि तलाक के मामले में महिला अपने ससुराल वालों के पास मौजूद आभूषण और स्त्रीधन का भी दावा कर सकती हैं और असफल होने पर वे Hindu Succession Act 1956 की धारा 14 और हिंदू मैरिज एक्ट 1955 की धारा 27 के तहत राहत मांग सकती हैं।

PunjabKesari

महिला के अधिकार की बढ़ती हुई मांग
तलाक के मामले में भारतीय महिलाओं के अधिकारों की मांग में एक नई मोर्चा खोल चुकी है। कानूनी रूप से तलाक के बाद भरण-पोषण के अधिकार को लेकर महिलाओं में एकत्रित शक्ति बढ़ गई है। भारतीय पीनल कोड की धारा-125 के तहत, महिलाओं को अपने और अपने बच्चों के भोजन, बसेरा और वस्त्र की देखभाल के लिए आर्थिक समर्थन का अधिकार है। यहां तक कि आय पर आधारित असमानता के मामले में कामकाजी महिलाओं को गुजारा भत्ता भी मिल सकता है। इसके अलावा, तलाक के समय महिलाओं के लिए स्त्रीधन और आभूषणों का भी दावा हो सकता है। अगर यह सब असफल होता है, तो वे हिंदू सफलता अधिनियम 1956 और हिंदू विवाह अधिनियम 1955 की धाराओं के तहत भी सहायता मांग सकती हैं। इस विषय में न्यायिक अधिकारों को बढ़ावा देने के लिए महिलाओं की सजगता और अधिकारों की समझ में वृद्धि की जानी चाहिए।


 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Editor

Mahima

Related News