त्रिशक्ति से थर्राया पाकिस्तान: भारत की इस स्वदेशी इंजन ताकत से कांपेगा दुश्मन, अब जल, थल और नभ में होगा दबदबा

punjabkesari.in Tuesday, Jul 22, 2025 - 01:50 PM (IST)

नेशनल डेस्क: भारत अब रक्षा क्षेत्र में पूरी तरह से आत्मनिर्भर बनने की ओर तेजी से कदम बढ़ा रहा है। देश के टैंक, लड़ाकू विमान और युद्धपोत अब स्वदेशी इंजन की ताकत से लैस किए जा रहे हैं, जिससे पाकिस्तान और अन्य दुश्मनों के लिए भारत को चुनौती देना और भी मुश्किल हो जाएगा। थल, जल और नभ... तीनों सेनाओं के लिए विकसित की जा रही यह ‘त्रिशक्ति’ इंजन तकनीक भारत की सैन्य शक्ति को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगी। इसके साथ ही विदेशी देशों पर निर्भरता कम होकर भारत की रक्षा प्रणाली मजबूत और भरोसेमंद बनेगी।  इस रिपोर्ट में हम सरल भाषा में समझेंगे कि भारत किन-किन इंजन तकनीकों पर काम कर रहा है और कैसे ये भविष्य में भारत को एक सैन्य महाशक्ति बनाएंगे।

सेना के लिए दमदार टैंक इंजन: चीन को सीधी चुनौती

भारतीय सेना के सबसे पुराने और मुख्य युद्धक टैंक टी-72 के लिए भारत ने रूस के साथ 248 मिलियन डॉलर का बड़ा समझौता किया है। इस समझौते के तहत टी-72 टैंकों में 1000 हॉर्स पॉवर के नए इंजन लगाए जाएंगे, जो फिलहाल लगे 780 हॉर्स पॉवर वाले इंजन से कहीं ज्यादा ताकतवर होंगे। इस अपग्रेड के बाद टैंक चीन जैसी चुनौतियों का बेहतर मुकाबला करने में सक्षम होंगे। साथ ही, भारत में DATRAN 1500 हॉर्स पॉवर इंजन का भी परीक्षण चल रहा है, जिसे देश के सबसे आधुनिक अर्जुन एमबीटी Mk-1 और Mk-2 टैंकों में लगाया जाएगा। यह इंजन भविष्य के FRCV (फ्यूचर रेडी कॉम्बैट व्हीकल) को भी शक्तिशाली बनाएगा। इस प्रोजेक्ट में ब्रिटेन की रॉल्स रॉयस कंपनी भी भारत के साथ साझेदारी कर काम कर रही है।

2. हवा में भारत की ताकत: स्वदेशी फाइटर जेट इंजन की ओर बड़ा कदम

हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) स्वदेशी इंजन विकसित करने में सक्रिय है। HAL विभिन्न प्रकार के इंजनों पर काम कर रही है, जिनमें PTAE-7 टर्बोजेट ड्रोन (Target Drone) के लिए, HTFE-25 टर्बोफैन UAV और ट्रेनर एयरक्राफ्ट के लिए, तथा HTSE-1200 टर्बोशाफ्ट हेलिकॉप्टरों के लिए शामिल हैं। इसके अलावा, HAL ने फ्रांसीसी कंपनी Safran के साथ साझेदारी की है और मिलकर Shakti 1H1 टर्बोशाफ्ट इंजन विकसित कर रही है, जो हल्के लड़ाकू हेलिकॉप्टरों (LCH) और एडवांस्ड हेलिकॉप्टर ध्रुव में लगाया जाएगा। भारत के रक्षा अनुसंधान संगठन GTRE (Gas Turbine Research Establishment) कावेरी 2.0 नामक टर्बोफैन इंजन पर भी काम कर रहा है, जिसका वेट थ्रस्ट 90 किलो न्यूटन से अधिक होगा। यह इंजन अमेरिकी F-404 और F-414 इंजनों को कड़ी टक्कर देगा और भारत के भविष्य के लड़ाकू विमान जैसे AMCA (Advanced Medium Combat Aircraft) को शक्ति प्रदान करेगा।

3. समुद्री शक्ति: मरीन इंजन से INS विक्रांत को मिलेगा नया जीवन

भारत अब नौसेना के लिए भी स्वदेशी मरीन इंजन विकसित करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। वर्तमान में INS विक्रांत और अन्य युद्धपोतों में जो गैस टरबाइन उपयोग हो रही हैं, वे अमेरिका और यूक्रेन से आयात की जाती हैं। लेकिन अब भारत ने इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए देश की कई निजी और सार्वजनिक कंपनियां मरीन इंजन के निर्माण, रखरखाव और मेंटेनेंस में सक्रिय हो गई हैं। इनमें अशोक लेलैंड, किर्लोस्कर, नारायण मरीन टेक प्राइवेट लिमिटेड, यनमार इंजन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के साथ-साथ दक्षिण कोरियाई कंपनी STX इंजन भी सहयोग कर रही है। 2008 में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने कावेरी मरीन गैस टरबाइन (KMGT) का सफल परीक्षण किया था। अब लक्ष्य है कि 2035 तक भारत अपने प्रमुख सतह युद्धपोतों को पूरी तरह से स्वदेशी समुद्री इंजन से लैस कर सके और नौसेना की ताकत को बढ़ा सके।

क्या बदलेगा त्रिशक्ति से भारत का रक्षा भविष्य?

"त्रिशक्ति" यानी थल, जल और नभ — इन तीनों क्षेत्रों में स्वदेशी इंजन का विकास भारत को पूरी तरह आत्मनिर्भर बना देगा। इससे न केवल देश की रक्षा क्षमता मजबूत होगी, बल्कि भारत को दुनिया की शीर्ष रक्षा शक्तियों में भी शामिल होने का मौका मिलेगा। इन उन्नत तकनीकों की मदद से भारत अमेरिका, फ्रांस और रूस जैसे देशों पर अपनी निर्भरता कम करेगा और घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देकर रक्षा क्षेत्र को सशक्त बनाएगा। साथ ही, यह पहल मेक इन इंडिया अभियान को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।


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Content Editor

Ashutosh Chaubey

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