oil-gas market: अमेरिकी हमले के बाद ईरान की चेतावनी से दहशत में दुनिया- होर्मुज स्ट्रेट बंद हुआ तो थम जाएंगे 3,000 जहाज, तेल सप्लाई पर ब्रेक

punjabkesari.in Thursday, Jun 26, 2025 - 12:31 PM (IST)

नेशनल डेस्क: मध्य पूर्व में हालात एक बार फिर उबाल पर हैं। अमेरिका द्वारा ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर बमबारी करने के बाद तनाव चरम पर पहुंच चुका है। ईरान अब जवाबी कदम के तौर पर दुनिया के सबसे अहम तेल-व्यापार मार्ग होर्मुज जलडमरूमध्य (Strait of Hormuz) को बंद करने की चेतावनी दे चुका है। अगर ऐसा होता है, तो वैश्विक ऊर्जा बाजार पूरी तरह हिल जाएगा - हर दिन 2 करोड़ बैरल तेल की सप्लाई रुक सकती है, हजारों तेल-गैस के जहाज ठहर जाएंगे और पूरी दुनिया में महंगाई की सुनामी आ सकती है।

होर्मुज स्ट्रेट — दुनिया की 20% तेल-गैस सप्लाई इस रास्ते से गुजरती है

-दुनिया के कुल तेल उत्पादन का लगभग पांचवां हिस्सा यानि करीब 20 % रोजाना कच्चा तेल, कंडेनसेट और LNG सीधे होर्मुज स्ट्रेट से होकर गुजरता है।
-17.8–20 मिलियन बैरल तेल प्रतिदिन इस रास्ते से निकलता है - डेटा ये बताते हैं कि हर माह 3,000 से अधिक जहाज यही से गुजरते हैं।
-ओपेक देशों जैसे सऊदी अरब, ईरान, UAE, कुवैत और इराक के कच्चे तेल का मुख्य मार्ग यही जलडमरूमध्य है।

 होर्मुज स्ट्रेट बंद हुआ तो क्या होगा?

-इस मार्ग पर लगे बैन से तेल-गैस शिपमेंट ठप हो जाएंगे, जिससे वैश्विक बाजार में तेल की क़ीमतों में उछाल आएगा।
-यह महंगाई का तेज ट्रिगर बनेगा-ट्रांसपोर्टेशन से लेकर वस्तुओं-सेवाओं की कीमतें बढ़ जाएंगी।
-अमेरिका समेत दुनियाभर में आर्थिक हलचल तेज हो सकती है, जबकि खाड़ी राष्ट्रों को खतरनाक आर्थिक एवं सामरिक दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।

 इरान को सबसे बड़ा झटका, चीन को सबसे अधिक नुकसान

-चीन, जो इरान का लगभग 90 % तेल आयात करता है, इस ब्लॉक से सबसे ज्यादा प्रभावित होगा।
-​​​​​​अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने आगाह किया कि यदि ईरान ऐसे कदम उठाता है तो यह खुद के लिए "आर्थिक आत्महत्या" से कम नहीं होगा।

भारत की स्थिति और रणनीति

ईरान और अमेरिका के बीच बढ़ते तनाव के बीच होर्मुज जलडमरूमध्य के बंद होने की आशंका ने दुनियाभर की चिंताएं बढ़ा दी हैं। लेकिन भारत सरकार ने इस संभावित संकट से निपटने की पूरी तैयारी कर रखी है। केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने आश्वस्त किया है कि सरकार हालात पर लगातार नजर बनाए हुए है और तेल आपूर्ति के वैकल्पिक स्रोतों की रणनीति पहले से तैयार है।

पुरी ने बताया कि भारत रोज़ाना 5.5 मिलियन बैरल कच्चे तेल की खपत करता है, जिसमें से 1.5 से 2 मिलियन बैरल ही होर्मुज जलडमरूमध्य के रास्ते आता है। शेष तेल की आपूर्ति रूस, अमेरिका, अफ्रीका जैसे दूसरे स्रोतों से होती है।

उन्होंने कहा, “हमारे पास पर्याप्त स्टॉक मौजूद है। अधिकांश तेल कंपनियों के पास तीन हफ्तों तक का तेल भंडार है, जबकि एक कंपनी के पास 25 दिनों का स्टॉक भी है।” मंत्री ने यह भी जोड़ा कि भारत ने तेल आपूर्ति मार्गों में विविधता लाकर जोखिम को काफी हद तक कम कर दिया है।

सरकार की नजर पूरी स्थिति पर बनी हुई है और ज़रूरत पड़ने पर तेल आयात को अन्य मार्गों से बढ़ाया जाएगा। पुरी ने भरोसा जताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं स्थिति की निगरानी कर रहे हैं और सभी ज़रूरी कदम उठाए जा रहे हैं ताकि देश में तेल की उपलब्धता और कीमतों पर कोई बड़ा असर न पड़े।

 होर्मुज स्ट्रेट की रणनीतिक अहमियत

-यह जलडमरूमध्य ईरान–ओमान सीमा पर, फारस की खाड़ी को अरब सागर से जोड़ता है।
-जबकि इसकी चौड़ाई अधिकतर 33 किमी है, शिपिंग लेन मात्र 3 किमी की संकरी होती है, जो इसे वैश्विक ऊर्जा चोक-पॉइंट बनाती है।

OPEC (ऑर्गेनाइजेशन ऑफ द पेट्रोलियम एक्सपोर्टिंग कंट्रीज) यानी पेट्रोलियम निर्यातक देशों का संगठन, दुनिया के प्रमुख तेल उत्पादक और निर्यातक देशों का एक समूह है। इसका गठन 1960 में हुआ था और इसका मुख्यालय वियना, ऑस्ट्रिया में स्थित है।

OPEC में वर्तमान में निम्नलिखित देश शामिल हैं:

  1. सऊदी अरब (Saudi Arabia)
  2. इराक (Iraq)
  3. ईरान (Iran)
  4. कुवैत (Kuwait)
  5. वेनिज़ुएला (Venezuela)
  6. संयुक्त अरब अमीरात (UAE)
  7. अल्जीरिया (Algeria)
  8. नाइजीरिया (Nigeria)
  9. लीबिया (Libya)
  10. गैबॉन (Gabon)
  11. गिनी (Equatorial Guinea)

कांगो गणराज्य (Republic of the Congo)  इन देशों का मकसद है वैश्विक तेल उत्पादन और कीमतों को संतुलित रखना ताकि उनके आर्थिक हित सुरक्षित रह सकें।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Anu Malhotra

Related News