Health Awareness : होंठ या प्राइवेट पार्ट में दिखें ये बदलाव तो हो जाएं सावधान! कर रहें हैं खतरनाक बीमारी की ओर इशारा

punjabkesari.in Sunday, Dec 21, 2025 - 09:13 AM (IST)

Dangerous Disease Symptoms: हर्पीस सिम्प्लेक्स वायरस (Herpes Simplex Virus - HSV) एक ऐसा संक्रामक वायरस है जिससे दुनिया की एक बड़ी आबादी प्रभावित है। इस वायरस की सबसे बड़ी चुनौती यह है कि एक बार शरीर में प्रवेश करने के बाद यह कभी पूरी तरह खत्म नहीं होता बल्कि नसों की कोशिकाओं (Nerve Cells) में 'सो' जाता है और मौका मिलते ही दोबारा सक्रिय हो जाता है। आइए समझते हैं इस 'साइलेंट' वायरस के पीछे का विज्ञान और इससे जुड़ी सावधानियां।

HSV क्या है और इसके कितने प्रकार हैं?

हर्पीस वायरस मुख्य रूप से दो श्रेणियों में बांटा गया है जो शरीर के अलग-अलग हिस्सों को प्रभावित करते हैं:

  1. HSV-1 (ओरल हर्पीस): यह आमतौर पर मुंह और होंठों के आसपास संक्रमण फैलाता है। इससे होंठों पर छोटे-छोटे पानी भरे छाले (Cold Sores) हो जाते हैं।

  2. HSV-2 (जेनिटल हर्पीस): यह मुख्य रूप से जननांगों (Genitals) को प्रभावित करता है। यह एक यौन संचारित संक्रमण (STI) की श्रेणी में आता है।

PunjabKesari

संक्रमण के प्रमुख लक्षण

हर्पीस के लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं कि वायरस शरीर के किस हिस्से में एक्टिव है:

  • मुंह के पास: होंठों पर झनझनाहट, खुजली और फिर पानी वाले छालों का गुच्छा बनना।

  • जननांगों में: निजी अंगों में तेज जलन, दर्द, घाव या छोटे लाल दाने।

  • अन्य लक्षण: पहली बार संक्रमण होने पर बुखार, सिरदर्द, थकान और लिम्फ नोड्स (गांठों) में सूजन महसूस हो सकती है।

  • असामान्य लक्षण: कभी-कभी यह आंखों में (लालपन, रोशनी से दिक्कत) या उंगलियों (Herpetic Whitlow) में भी फैल सकता है।

 

यह भी पढ़ें: IndiGo Flight Advisory: इंडिगो यात्रियों के लिए अलर्ट! प्रभावित हो सकती हैं उड़ानें, घर से निकलने से पहले चेक करें जारी एडवाइजरी

 

यह कैसे फैलता है और इसके ट्रिगर क्या हैं?

यह वायरस त्वचा से त्वचा के सीधे संपर्क (Skin-to-skin contact) से फैलता है। इसमें किस करना, शारीरिक संबंध बनाना या संक्रमित व्यक्ति के छालों को छूना शामिल है।

PunjabKesari

वायरस दोबारा कब जागता है? (Triggers): एक बार ठीक होने के बाद भी यह वायरस नसों में छिपा रहता है। नीचे दिए गए कारणों से यह फिर से सक्रिय हो सकता है:

  • अत्यधिक मानसिक या शारीरिक तनाव।

  • इम्युनिटी (रोग प्रतिरोधक क्षमता) का कमजोर होना।

  • हार्मोनल बदलाव (जैसे महिलाओं में पीरियड्स के दौरान)।

  • तेज धूप या किसी दूसरी बीमारी के कारण होने वाला बुखार।

बचाव और मैनेजमेंट: कैसे रखें खुद को सुरक्षित?

हालांकि हर्पीस का कोई स्थाई इलाज (Permanent Cure) नहीं है लेकिन इसे दवाओं और सावधानी से पूरी तरह कंट्रोल किया जा सकता है। डॉक्टर की सलाह पर ली गई दवाएं छालों को जल्दी सुखा देती हैं और दर्द कम करती हैं। जब छाले मौजूद हों तो किसी भी तरह के शारीरिक संपर्क से बचें। छालों को छुएं या फोड़ें नहीं क्योंकि इससे संक्रमण फैल सकता है। कंडोम या डेंटल डैम का इस्तेमाल जोखिम को कम करता है लेकिन यह पूरी तरह सुरक्षा नहीं देता क्योंकि वायरस बिना छालों वाली त्वचा पर भी हो सकता है। संतुलित आहार, पर्याप्त नींद और तनाव कम करने से आउटब्रेक की फ्रीक्वेंसी कम की जा सकती है।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Editor

Rohini Oberoi

Related News