Supreme Court में पूरी हुई आवारा कुत्तों पर सुनवाई, जल्द ही फैसला आने की उम्मीद

punjabkesari.in Thursday, Aug 14, 2025 - 11:38 AM (IST)

नेशनल डेस्क: सुप्रीम कोर्ट ने बेघर कुत्तों (आवारा कुत्तों) से जुड़े एक महत्वपूर्ण मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। इस मामले में दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों को शेल्टर होम में भेजने के निर्देश का विरोध करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की गई थी। सुप्रीम कोर्ट की तीन-जजों की स्पेशल बेंच ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं और उनसे इस संवेदनशील मुद्दे पर कोई विवाद खड़ा करने के बजाय एक शांतिपूर्ण और व्यावहारिक समाधान खोजने का आग्रह किया।

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सरकार ने उठाया बच्चों की सुरक्षा का मुद्दा

दिल्ली सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट के सामने बच्चों की सुरक्षा का मुद्दा प्रमुखता से उठाया। उन्होंने बताया कि बेघर कुत्तों के काटने की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं, जिससे कई चौंकाने वाले मामले सामने आ रहे हैं। उन्होंने साफ किया कि सरकार किसी भी जानवर से नफरत नहीं करती, लेकिन बच्चों और आम लोगों की सुरक्षा सर्वोपरि है। सॉलिसिटर जनरल ने कहा, "हम कुत्तों को मारने की बात नहीं कर रहे हैं, बल्कि उन्हें इंसानी आबादी से अलग रखने की बात कर रहे हैं। आज लोग अपने बच्चों को बाहर भेजने से डरते हैं।"

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'वोकल माइनॉरिटी' पर सॉलिसिटर जनरल की टिप्पणी

सॉलिसिटर जनरल ने अपनी दलील में एक तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि किसी भी देश में दो पक्ष होते हैं - एक जो मुखर होकर अपनी बात रखता है और दूसरा जो चुपचाप सहता रहता है। उन्होंने कहा कि इस मामले में एक 'वोकल माइनॉरिटी' है, जो खुद मांसाहारी भोजन करती है, लेकिन अब पशु प्रेमी बन गई है। उनकी इस टिप्पणी पर कोर्ट में काफी गरमा-गरमी हुई, लेकिन उन्होंने स्पष्ट किया कि उनका मकसद किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं, बल्कि स्थिति की गंभीरता को उजागर करना है।

कपिल सिब्बल ने उठाया नियमों का सवाल

याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कोर्ट के सामने तर्क दिया कि कुत्तों को नसबंदी के बाद दोबारा नहीं छोड़ने का निर्देश नियमों के खिलाफ है। उन्होंने पूछा कि अगर कुत्तों को छोड़ा नहीं जाएगा तो वे आखिर जाएंगे कहाँ? सिब्बल ने चेतावनी दी कि अगर बड़ी संख्या में कुत्तों को एक ही शेल्टर में रखा जाएगा तो वे आपस में लड़ेंगे, जिससे इंसानों को भी खतरा हो सकता है। उन्होंने इस निर्देश पर तुरंत रोक लगाने की मांग की।

समाधान खोजने का निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों को ध्यान से सुना और जोर देकर कहा कि यह एक ऐसा मुद्दा है, जिस पर समाज में कोई विवाद नहीं होना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि नियमों के बजाय, एक व्यावहारिक और मानवीय समाधान खोजने की जरूरत है, जो सभी के लिए स्वीकार्य हो। कोर्ट ने सभी पक्षों से इस पर सहमति बनाने और एक शांतिपूर्ण हल निकालने की अपील की।

 


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News Editor

Radhika

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