ऑफ द रिकॉर्डः हाथरस से योगी की मुश्किल बढ़ी

punjabkesari.in Saturday, Oct 17, 2020 - 04:59 AM (IST)

नई दिल्लीः एक समय था जब योगी आदित्यनाथ पार्टी के सभी मुख्यमंत्रियों के ग्राफ में टॉप पर थे। 47 वर्षीय संन्यासी नेता ने मध्य प्रदेश के अनुभवी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी पीछे धकेल दिया था। इस दौरान चर्चा थी कि वह पार्टी में शक्ति के मामले में गृहमंत्री अमित शाह, रक्षामंत्री राजनाथ व चौहान के समूह में शामिल हो गए थे, जो पी.एम. के सामने सफलतापूर्वक उपस्थिति दर्ज कर रहे थे। ऐसा ज्यादा दिन नहीं चला और महिलाओं के खिलाफ आपराधिक केसों से निपटने दौरान उन्हें भारी विरोध का सामना करना पड़ा। 
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वहीं कुलदीप सिंह सेंगर केस और स्वामी चिन्मयानंद मामले में यू.पी. के मुख्यमंत्री तेजी से निपटने में फेल रहे। यह एक अलग विषय है कि जिस लड़की ने स्वामी चिन्मयानंद पर आरोप लगाए थे वह अपने बयान से पलट गई हैं और सारा मामला शांत हो गया है। वहीं इसमें कोई शक नहीं है कि अपराधियों से निपटने को उन्होंने कठोर अभियान छेड़ा है। वहीं हाथरस मामले ने योगी की छवि को काफी नुक्सान पहुंचाया है। इससे यह भी सामने आया कि वह लखनऊ में नौकरशाहों के हाथ में कैद हो चुके हैं। 
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वहीं एक समुदाय का पक्ष लेना और उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं करना भी चर्चा का विषय बना रहा है। इससे केंद्रीय नेतृत्व खुश नहीं है कि उन्होंने समय रहते घटनाक्रम को नहीं समझा है। कुछ कारणों के चलते उनका अमित शाह से अच्छा तालमेल नहीं है, उनके लखनऊ के प्रतिद्वंद्वियों को दिल्ली में संरक्षण मिलता है। उनके उत्तर प्रदेश के संगठन इंचार्ज सुनील बांसल से विवाद के चलते भी उनकी मुसीबतों में इजाफा हुआ और जब मुसीबत आती है तो वह अकेले उनसे निपटते हैं। 
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Pardeep

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