संपत्ति खुलासे का प्रस्ताव बेअसर, SC के आधे जजों ने नहीं दिया संपत्तियों का ब्यौरा

punjabkesari.in Monday, Jul 02, 2018 - 05:37 PM (IST)

नेशनल डेस्क: सुप्रीम कोर्ट के जजों की संपत्ति की जानकारी सार्वजनिक करने के फैसले वाले प्रस्ताव के पारित होने के 9 साल बाद भी व्यवस्था में सुधार नहीं हुआ है। सुप्रीम कोर्ट की अधिकारिक बेवसाइट पर 23 में से आधे जजों ने ही अपनी संपत्ति सर्वाजनिक नहीं की है। केवल 12 जजों ने अपनी संपत्ति का ब्यौरा दिया है। सुप्रीम कोर्ट में 31 जजों की स्वीकृत संख्या में अभी 23 जज ही हैं जिनमें से 11 को अपनी संपत्तियों का ब्यौरा देना है। 
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अपनी संपत्ति की जानकारी सार्वजनिक न करने वालों में आर एफ नरीमन, ए एम सपरे, यू यू ललित, डी वाई चंद्रचुड़, एल नागेश्वर राव, संजय किशन कौल, मोहन एम शांतनगौदर, एस अब्दुल नज़ीर, नवीन सिन्हा, दीपक गुप्ता और इंदु मल्होत्रा शामिल हैं। जज नरिमन, ललित, राव और मल्होत्रा ​​सीधे बार से नियुक्त किए गए थे। जज इंदु मल्होत्रा ​​ने अप्रैल में अपना पदभार संभाला जबकि पांच अन्य जजों जस्टिस कौल, शांतिनगौदर, नाज़ीर, सिन्हा और गुप्ता की नियुक्ति डेढ़ साल पहले हुई थी। जस्टिस चंद्रचुड़ और राव दो साल पहले नियुक्त किए गए थे। जस्टिस नरीमन, सपरे और यू यू ललित चार साल पहले सुप्रीम कोर्ट में बतौर जज नियुक्त किए गए थे। 

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आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक जिन जजों ने अपनी संपत्तियों का ब्यौरा दिया हैं उनमें चीफ जस्टिस दीपक मिसरा के अलावा कोलेजियम के अन्य 4 जज भी शामिल हैं। इसके अलावा अन्य 7 जजों ने भी अपनी संपत्तियों का ब्यौरा दिया है। सीजेआई के बाद सबसे वरिष्ठ जज, जस्टिस रंजन गोगोई ने 6 जून को अपनी संपत्ति का ब्यौरा अपडेट किया है। जस्टिस रंजन गोगोई ने इसमें गुवाहाटी में 65 लाख रुपये में बेची गई जमीन, टैक्स और इसके अलावा उनकी मां द्वारा उनके नाम पैतृक भूमि के स्थानांतरण की जानकारी भी अपडेट की है।

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वेबसाइट के मुताबिक, जिन जजों ने अपनी संपत्ति घोषित की है, उनमें से कुछ के पास जमीन भी है, जबकि दो जजों के पास कार नहीं है। जस्टिस मदन बी लोकुर के पास मारुति स्विफ्ट है, जस्टिस कुरियन जोसेफ के पास सेंकंड हैंड मारुति एस्टीम और जस्टिस ए के सीकरी के पार एक होंडा सिविक है। वहीं सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर 44 पूर्व जजों की संपत्तियों के रिकॉर्ड भी मौजूद हैं।
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बता दें कि 2009 में देश के तत्कालीन चीफ जस्टिस के जी बालाकृष्णन के तहत जजों की संपत्ति की जानकारी सार्वजनिक करने का फैसला किया गया था। इस फैसले को काफी समय बीत चुका है लेकिन इसके बावजूद संपत्ति की घोषणा के लिए कोई मानक प्रारूप नहीं है और इसके नतीजे में अक्सर इनकी तुलना नहीं की जा सकती। इसके अलावा ऐसी कोई जानकारी नहीं दी जाती जिससे यह पता चल सके कि पद संभालने से पहले और बाद में जजों की कितनी संपत्ति थी। 


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vasudha

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