भारत के गुप्ता ब्रदर्स बने द.अफ्रीका के लिए मुसीबत, राष्ट्रपति जुमा ने गंवाई कुर्सी

punjabkesari.in Thursday, Feb 15, 2018 - 01:31 PM (IST)

जोहानिसबर्गः भारत के गुप्ता ब्रदर्स की वजह से दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब जुमा को अपनी कुर्सी गंवानी पड़ गई। जैकब जुमा ने बुधवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया।जुमा के राजनीतिक करियर पर ग्रहण लगाने में भारत से दक्षिण अफ्रीका गए 3 गुप्ता भाइयों का बड़ा हाथ है। गुप्ता ब्रदर्स की जैकब जुमा के कार्यकाल के दौरान तमाम कथित घोटालों में केंद्रीय भूमिका रही है। जैकब जुमा के इस्तीफे के ऐलान से पहले बुधवार को गुप्ता ब्रदर्स के ठिकानों पर भी छापे मारे गए। 

भारत के उत्तर प्रदेश  राज्य के जिला  सहारनपुर से ताल्लुक रखने वाले अजय, अतुल और राजेश गुप्ता ने थोड़े वक्त में ही दक्षिण अफ्रीका में बड़ा कारोबारी साम्राज्य खड़ा कर लिया। अतुल गुप्ता  के नेतृत्व में यह परिवार 1993 में दक्षिण अफ्रीका आया था। उसके सालभर बाद ही नेल्सन मंडेला ने देश के पहले लोकतांत्रिक चुनावों में जीत हासिल की थी। लोकतंत्र स्थापित होने के बाद दक्षिण अफ्रीका ने अपने दरवाजे विदेशी निवेश के लिए खोले थे। भारत में छोटे स्तर पर कारोबार करने वाले गुप्ता परिवार ने कुछ ही दिनों में दक्षिण अफ्रीका में  कंप्यूटर, खनन, मीडिया, टेक्नॉलजी और इंजिनियरिंग के क्षेत्र में तेजी से तरक्की की।

परिवार ने 2010 में 'द न्यूज एज' नाम से एक अखबार लॉन्च किया जिसे जैकब जुमा समर्थक अखबार माना जाता है। इसी तरह 2013 में परिवार ने ANN7 नाम के एक 24 घंटे के न्यूज चैनल को लॉन्च किया। राजनीतिक गलियारों में भी गुप्ता परिवार का रसूख बढ़ने लगा और 2009 में जुमा के राष्ट्रपति बनने से पहले ही उनके सत्ताधारी अफ्रीकन नैशनल कांग्रेस (ANC) से करीबी रिश्ते बन गए। 

गुप्ता परिवार के मालिकाना हक वाली कंपनी सहारा कंप्यूटर्स में जैकब जुमा के बेटे दुदुजेन डायरेक्टर थे। परिवार ने अपने गृहनगर सहारनपुर के नाम से प्रेरित होकर अपनी कंपनी का नाम सहारा कंप्यूटर्स रखा था। दुदुजेन गुप्ता परिवार की कई कंपनियों से जुड़े रहे हैं। जुमा परिवार के लोग गुप्ता परिवार की कंपनियों से जुड़े हुए थे। जुमा की तीसरी पत्नी बोंगी नेमा भी गुप्ता ब्रदर्स की कंपनी में कर्मचारी थी। जुमा की एक बेटी भी गुप्ता ब्रदर्स की कंपनी से जुड़ी हुई थी। 

गुप्ता परिवार का नाम सबसे पहले तब विवादों में आया जब मार्च 2015 में पूर्व डेप्युटी फाइनैंस मिनिस्टर मेबिसी जोनस ने दावा किया कि गुप्ता ब्रदर्स ने उन्हें रिश्वत देने की कोशिश की। जोनस ने आरोप लगाया कि गुप्ता ब्रदर्स ने उन्हें 60 करोड़ रैंड (5 करोड़ डॉलर यानी करीब 320 करोड़ रुपए) देने की पेशकश की थी। आरोपों के मुताबिक गुप्ता ब्रदर्स ने जोनस के सामने फाइनांस मिनिस्टर के पद की पेशकश की थी और बदले में उन्हें गुप्ता परिवार के इशारों पर काम करना था। 9 दिसंबर 2015 को बहुत कम समय के लिए वित्त मंत्री का पद संभालने वाले ANC के सांसद डेविड वैन रूयेन को अपने शपथ से एक रात पहले ही गुप्ता के घर जाने का भी खुलासा हुआ था। 

दक्षिण अफ्रीका में भ्रष्टाचार निरोधक इकाई पब्लिक प्रोटेक्टर ने अक्टूबर 2016 में एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी जिसमें बताया गया था कि किस तरह बिजली के क्षेत्र में एकाधिकार रखने वाली सरकारी कंपनी ने गुप्ता से जुड़ी कंपनियों से मार्केट प्राइस से ज्यादा पर बड़े पैमाने पर कोयले की खरीदारी की थी। रिपोर्ट में यह भी आरोप लगाया गया कि पूर्व खनन मंत्री मोसेबेंजी ज्वैन ने गुप्ता बंधु के साथ स्विटजरलैंड की यात्रा की थी और उन्हें एक संघर्षरत कोल माइन को खरीदने की डील में मदद की थी। हाल के सालों में कई बड़े बैंकों ने गुप्ता परिवार को दी गई अपनी सुविधाओं को वापस ले लिया था
 


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