दिल्ली कारोबारी सुसाइड केस: परिवार की मौत के साथ पीछे रहे गए ये सवाल, लाश लेने को लेकर हुआ विवाद

punjabkesari.in Wednesday, Dec 04, 2019 - 11:43 AM (IST)

गाजियाबाद: 23 साल परिवार के साथ बिताने वाली गुलशन कब संजना बन गई, इसकी जानकारी उसके परिजनों को भी नहीं हुई। गुलशन की मौत की खबर पाकर इंदिरापुरम थाने पहुंचे परिजनों को जब पुलिस ने संजना की फोटो दिखाई तो वे एकाएक बोल उठे कि ये तो हमारी ‘गुलशन’ है। संजना उर्फ गुलशन के भाई शमीम और फिरोज ने पुलिस को बताया कि गुलशन बीते दो सालों से परिवार से अलग रह रही थी। शायद उसने गुलशन उर्फ हरीश से शादी कर ली थी, लेकिन क्या गुलशन ने धर्म परिवर्तन कर गुलशन से शादी थी इसकी जानकारी परिवार के लोगों को नहीं है। उनका कहना है कि उन्हें ये भी पता नहीं कि गुलशन ने अपना नाम संजना कैसे रखा। वहीं गुलशन उर्फ हरीश के परिजनों ने उन दोनों की शादी जैसी किसी भी बात से इंकार किया है। पुलिस की पूछताछ में संजना उर्फ गुलशन के परिजनों ने बताया कि गुलशन बीते सात सालों से गुलशन उर्फ हरीश के संपर्क में थी। वह उसकी जींस फैक्ट्री में मैनेजर थी। बीते दो साल पहले गुलशन घर छोड़कर गुलशन उर्फ हरीश के साथ रहने लगी थी। 

एक माह से गुलशन के फ्लैट में ही रह रही थी संजना 
परिजनों से पूछताछ के बाद पुलिस को शक है कि गुलशन पूर्व में संजना को किसी दूसरी जगह पर रखता था, लेकिन आॢथक तंगी और मोटा कर्ज होने के बाद वह उसे अपने परिवार के साथ ही रखने लगा था। गुलशन उर्फ हरीश और परमीना के परिजनों को आजतक भी संजना के बारे में पता नहीं था। बताया गया है कि जब गुलशन एटीएस सोसाइटी में रहता था तो उसके पिता भी उसी के साथ रहते थे, लेकिन कृष्णा अपरा सफायर सोसाइटी में आने के बाद पिता अपने दूसरे बेटे के पास रहने झिलमिल कॉलोनी दिल्ली चले गए थे और गुलशन ने संजना को अपने साथ ही घर में रखना शुरू कर दिया था।  


लाश लेने को लेकर हुआ विवाद
पोस्टमार्टम के बाद हरीश की महिला सहकर्मी संजना उर्फ गुलशन की लाश लेने के लिए कोई तैयार ही नहीं हुआ। ना तो हरीश की तरफ से किसी ने उसकी लाश ली और ना ही संजना के परिजन ही इसके लिए तैयार हो रहे थे। इस स्थिति में विवाद होने लगा। देर तक पुलिस संजना के शव को सौंपने के लिए जद्दोजहद करती रही। संजना जो मुस्लिम परिवार से थी, उसके परिजनों ने कहा कि दो साल से वह अलग होकर रह रही थी, ऐसे में वह उसकी लाश नहीं लेंगे। इधर, हरीश के नातेदारों ने कहा कि मुस्लिम होने के नाते उसका अंतिम संस्कार वह नहीं कर सकते तो लाश कैसे ले लें। इस बीच किसी ने सलाह दी कि संजना के परिवार वाले अगर लाश नहीं लेना चाहते तो हरीश के नातेदार सुपुर्दगी में लाश ले लें और बाद में उसका अंतिम संस्कार मुस्लिम तरीके से करवाने में संजना के घर वाले मदद कर दें। 


परमीना ने भी तोड़ रखा था मायके से रिश्ता
सूचना के बाद इंदिरापुरम थाने पहुंचे हरीश की पत्नी परमीना के भाई एवं दिल्ली निवासी संदीप राणा ने बताया कि राकेश वर्मा से विवादों के बाद परमीना ने अपने मायके से रिश्ता तोड़ रखा था। वह बीते 5 सालों से मायके में नहीं आई थी। संदीप का कहना है कि उनके बड़े भाई राकेश राणा की मौत के वक्त भी परमीना का न आना सभी को हैरान कर देने वाला था, जिसके बाद उन्होंने भी अपनी बहन परमीना से संपर्क साधना बंद कर दिया था। संदीप का कहना है कि इस घटना के बाद उनके परिवार पर भी मुसीबतों का पहाड़ टूटा है। एक ओर घटना में उन्होंने अपनी बहन और बहनोई व बच्चों को खोया, वहीं दूसरी ओर दूसरे बहनोई राकेश वर्मा पर भी जेल जाने की तलवार लटकी हुई है। 
 


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Edited By

Anil dev

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