G-20 की अध्यक्षता आज से भारत के पास, विनोद तावड़े ने कहा - जी-20 के अध्यक्ष पद का स्वर्णिम अवसर

punjabkesari.in Thursday, Dec 01, 2022 - 10:55 PM (IST)

गुजरात: भारत ने आज औपचारिक तौर पर G-20 की अध्यक्षता संभाल ली है। इसको लेकर भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री विनोद तावड़े ने कहा कि यह भारत के लिए गर्व का पल है। अभी कुछ महीने पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक महत्त्वपूर्ण वक्तव्य दिया था। अब तक, पश्चिमी विकसित देश ही अंतरराष्ट्रीय संगठनों के एजेंडा निर्धारित करते थे और दूसरे विकासशील देश इसका पालन करते थे। अब स्थिति एकदम बदल गई है और अब भारत इन संस्थाओं और संगठनों का एजेंडा तय करने लगा है और अमीर एवं विकसित देश उसका अनुसरण कर रहे हैं। सही पूछिए तो ऐसी ही स्थिति अब बनी है। जी-20 शिखर सम्मेलन हाल ही में इंडोनेशिया के बाली शहर में आयोजित किया गया। सम्मेलन का प्रस्ताव उस मुहावरे 'आज का युग युद्ध का नहीं बल्कि शांति का है' पर केंद्रित था, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ अपनी बातचीत में इस्तेमाल किया था। जी-20 की अध्यक्षता का पद 1 दिसंबर 2022 से 31 नवंबर 2023 तक भारत के पास रहेगा। इसकी अध्यक्षता के साथ ही भारत दुनिया के सबसे प्रभावशाली संगठन के एजेंडे को निर्धारित करने के लिए काम करेगा और इसके सदस्य देश, जो दुनिया के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 85 फीसदी हिस्सा रखते हैं, उसका पालन करेंगे।

भारत के औपचारिक तौर पर G-20 की अध्यक्षता संभालने पर भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री विनोद तावड़े ने कहा,"जी-20 की अध्यक्षता मिलना भारत के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है। क्योंकि इस अवसर ने भारत की प्रगति और विकास की सफलता की कहानी दुनिया के समक्ष पेश करने का एक सुनहरा अवसर दिया है। अगले साल का जी-20 सम्मेलन भी भारत में होगा, इसे 'दुग्धशर्करा योग' यानी दूध और शक्कर का संगम कहना चाहिए। जी-20 दुनिया का अत्यंत प्रभावशाली संगठन है और दुनिया के लगभग हर मुद्दे पर समग्र निर्णय लेने में इस संगठन की भूमिका अग्रणी रही है। जी-20 द्वारा लिए गए निर्णय का दुनिया भर के सभी बड़े संस्थानों, संगठनों और देशों द्वारा पालन किया जा रहा है। क्‍योंकि इस संगठन की साख बहुत अधिक है। 193 देशों वाले संयुक्त राष्ट्र संघ के बाद जी-20 एकमात्र बहुराष्ट्रीय संगठन है जिसमें विकसित और विकासशील दोनों देश शामिल हैं। जब जी-7 संगठन की बात आती है तो यह संभ्रांतवादी संगठन माना जाता है।"

तावड़े ने आगे कहा,"जी-20 इस मायने में अनूठा है कि इसमें जी-7 के अमीर देश और संयुक्त राष्ट्र के गरीब-विकासशील देश दोनों शामिल हैं। इस तरह यह एक ऐसा अंतरराष्ट्रीय संगठन है जो इतना अहम संतुलन बनाता है। दुनिया की दो तिहाई आबादी जी-20 के देशों में निवास करती है। अंतरराष्ट्रीय व्यापार में जी-20 देशों की हिस्सेदारी 75 फीसदी है। 1999 में वैश्विक आर्थिक समस्याओं को हल करने के उद्देश्य से जी-20 की स्थापना की गई थी। अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, दक्षिण कोरिया, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, इंग्लैंड, अमेरिका और यूरोपीय संघ के कुल 27 देश जी-20 के सदस्य देश हैं।"

उन्होंने कहा,"दुनिया भर में आर्थिक उदारीकरण और वैश्वीकरण की हवा 1990 के दशक से ही चलनी शुरू हो गई थी। कई देशों ने अपनी अर्थव्यवस्थाओं को खोल दिया था। यह एक तरह का परिवर्तनकाल था। चूंकि उस समय दुनिया पूंजीवाद की ओर बढ़ रही थी, इसलिए इससे उत्पन्न होने वाली समस्याओं का सामूहिक चर्चा के माध्यम से निराकरण का रास्ता तलाशने के उद्देश्य को लेकर ही जी-20 संगठन अस्तित्व में आया। प्रारंभ में, केवल सदस्य देशों के वित्त मंत्री ही इस संगठन के वार्षिक सम्मेलनों में भाग लिया करते थे और परस्पर चर्चा किया करते थे। लेकिन 2008 में अभूतपूर्व वैश्विक आर्थिक मंदी ने कई यूरोपीय देशों की अर्थव्यवस्थाओं को प्रभावित किया।"

उन्होंने कहा,"अमीर और विकसित देशों की आर्थिक स्थिति खस्ताहाल हो गई। इस भीषण आर्थिक संकट से उबारने के लिए जी-20 का पुनर्गठन किया गया। तदनुसार, सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्ष/शासनाध्यक्ष इस संगठन के वार्षिक सम्मेलनों में शामिल होने लगे और वैश्विक आर्थिक मुद्दों पर चर्चा करने लगे। इसलिए 2008 के बाद जी-20 और भी अधिक प्रभावी हो गया। अपनी स्थापना के समय से यह संगठन वैश्विक आर्थिक मुद्दों के हल का रास्ता निकालने के लिए जाना जाता था। लेकिन उसके बाद के समय में इस संगठन के विषयों का दायरा बढ़ता चला गया। इसमें पर्यावरण संरक्षण, ऊर्जा सुरक्षा, आतंकवाद का मुद्दा, जल नियोजन मुद्दा जैसे अनेक विषयों को शामिल किया गया और इस संगठन का दायरा बढ़ता गया।"

भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री ने कहा,"ऐसी संस्था का अध्यक्ष बनने के बाद दुनिया की नजर अब भारत की भूमिका पर टिकी है। आने वाले वर्ष के दौरान लगभग 250 बैठकें भारत में आयोजित की जाएंगी और जी-20 देशों के सभी प्रमुख भारत आएंगे। इतिहास में पहली बार इतने अधिक देशों के राष्ट्राध्यक्ष/शासनाध्यक्ष इस मौके पर एक साथ भारत आएंगे। इसमें व्लादिमीर पुतिन, जो बाइडेन, इमैनुएल मैक्रों, ऋषि सुनक, शी जिनपिंग, जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज समेत सभी यूरोपीय देशों के नेता शामिल होंगे। जी-20 के अध्यक्ष को इस सम्मेलन का मुख्य विषय तय करने का अधिकार है। भारत ने इसके लिए 'वसुधैव कुटुंबकम' की थीम ली है और 'वन अर्थ, वन फैमिली, वन फ्यूचर' यानी 'एक पृथ्वी, एक परिवार और एक भविष्य' का नारा दिया है। इसके जरिए भारत ने वैश्विक एकता का संदेश दिया है। यह कैचलाइन सदियों से चली आ रही भारत की गौरवशाली संस्कृति और परंपरा को रेखांकित करती है। इसके माध्यम में भारत दुनिया को एक और अलग संदेश दे रहा है और इसे समझने की जरूरत है।"

विनोद तावड़े ने कहा,"कोविड महामारी के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था की रफ्तार मंद पड़ गई है। दुनिया के आर्थिक विकास दर में गिरावट आई है। दुनिया भर के अधिकांश देशों में मुद्रास्फीति आसमान छू रही है। बेरोजगारी की समस्या विकराल रूप धारण कर चुकी है। एक ओर इतने बड़े आर्थिक मुद्दे हैं तो दूसरी ओर रूस-यूक्रेन युद्ध ने विश्व में शीत युद्ध के ध्रुवीकरण जैसे हालात पैदा कर दिया है। चीन और ईरान जैसे देश रूस के पक्ष में हैं, तो अमेरिका और पश्चिमी यूरोपीय देश यूक्रेन के पक्ष में खड़े हैं। इसी दौरान एक तीसरा मसला भी है, ताइवान के मुद्दे पर चीन और अमेरिका के बीच संबंध खराब हैं और ऐसी आशंका है कि किसी भी समय युद्ध की चिंगारी भड़क सकती है।"

उन्होंने कहा,"इसी तरह रूस ने यूक्रेन पर परमाणु हथियारों से हमला करने की धमकी दी है। इस तरह भारत बहुत ही असुरक्षित वातावरण में जी-20 की अध्यक्षता करने आया है, क्योंकि एक ओर जहां कई राष्ट्रों के बीच आपसी अविश्वास एवं असुरक्षा का माहौल है और अंतरराष्ट्रीय संगठनों की साख बहुत घट गई है। सबसे अहम बात यह है कि भारत ही एकमात्र ऐसा देश है जो इन सभी में मध्यस्थ के रूप में कार्य कर सकता है। क्योंकि भारत परस्पर विरोधी देशों को भी एक मंच पर लाने की क्षमता रखता है। भारत के एक ही समय में अमेरिका और रूस के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध हैं। जी-20 शिखर सम्मेलन की कैचलाइन इस बात का साफ संकेत दे रही है कि भारत की भावी भूमिका क्या होगी।"

उन्होंने कहा,"दुनिया में जो आर्थिक समस्याएं पैदा हुई हैं, उनमें कई देशों पर ऋण का बढ़ता पहाड़, कच्चे तेल के मूल्य में बढ़ोतरी से प्रभावित विदेशी मुद्रा भंडार, ऊर्जा सुरक्षा का मुद्दा, खाद्यान्न की कमी के कारण खाद्य सुरक्षा की समस्या, ग्लोबल वार्मिंग से बढ़ी पर्यावरण समस्या और विकसित वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला जैसा समस्याएं शामिल हैं। लिहाज़ा, जी-20 के अध्यक्ष के रूप में भारत के समक्ष ऐसी चुनौतियों का सर्वसम्मत, साझा समाधान निकालने की चुनौती पैदा होने वाली है। इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र द्वारा तय किए गए सतत विकास लक्ष्यों को 2030 में पूरा किया जाना है। इस पृष्ठभूमि में जी-20 के माध्यम से भारत अपने विकास की सफलता की गाथा प्रस्तुत कर सकता है और अन्य देश उसका अनुसरण कर सकते हैं।"

भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री ने कहा,"हाल ही में प्रकाशित कुछ रिपोर्टों के अनुसार, भारत ने पिछले 8 वर्षों में जो भी प्रगति की है, उसे करने में 50 वर्ष की अवधि लगेगी। एक अन्य आर्थिक रिपोर्ट के अनुसार आज दुनिया में 4 अरब लोगों के पास डिजिटल पहचान नहीं है। 2 अरब लोगों के पास बैंक खाते नहीं हैं। ऐसे लोगों के लिए भारत एक बेहतरीन रोल मॉडल बन सकता है। क्‍योंकि डिजी लॉकर्स, आधार कार्ड, जन धन योजना, कोविन ऐप्‍स, ऑनलाइन पेमेंट जैसे कई माध्‍यमों से भारत ने डिजिटाइजेशन की दिशा में लंबी छलांग लगाई है। एक समय भारत में बैंक खाता खोलने के लिए जटिल प्रक्रिया थी, जिसमें बहुत समय लगता था, लेकिन अब यह काम चंद मिनटों में हो जाता है। भारत का यह डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर कई देशों के लिए मॉडल बनने जा रहा है।"

विनोद तावड़े अंत में कहा,"भारत को अपनी इस 'विकास गाथा' का पूरा उपयोग करने की आवश्यकता है। अब तक, विकासशील देश विकसित देशों की सफलता की कहानियों का अनुसरण कर रहे थे। लेकिन अब भारत जैसे विकासशील देश ने कुछ ऐसे आदर्श बनाए हैं जिनका विकसित देश अनुसरण करेंगे। इस बारे में अगर हम एक उदाहरण देना चाहें तो इस बीच कोरोना काल में भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर अमेरिका दौरे के दौरान अपने बेटे से मिलने गए थे। होटल में प्रवेश करते समय उनसे कोरोना वैक्सीन के बारे में पूछताछ की गई। उस समय उनके बेटे ने जेब से एक मुड़ा हुआ कागज निकाला और दिखाया; तो एस. जयशंकर ने अपने मोबाइल पर कोविन एप से अपना प्रमाणपत्र दिखा दिया। इससे भारत के डिजिटल बूम का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। कोविड काल में भारत के टीकाकरण की सफलता की कहानी अनूठी है। भारत ने कोविड के दौरान एक अरब लोगों का टीकाकरण पूरा किया। भारत को इस सफलता की कहानी को पेश करने का अवसर भी नहीं चूकना चाहिए।"


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News Editor

Rahul Rana

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