दुनियाभर में बढ़ रहा गिग इकोनॉमी का दबदबा! चीन और भारत किस देश में सबसे ज्यादा गिग वर्कर्स?
punjabkesari.in Wednesday, Dec 31, 2025 - 04:32 PM (IST)
नेशनल डेस्क : नए साल से पहले ही गिग वर्कर्स की हड़ताल ने फूड डिलीवरी और ई-कॉमर्स कंपनियों को तगड़ा झटका दिया है। स्विगी, जोमैटो, अमेज़न, फ्लिपकार्ट समेत कई प्रमुख प्लेटफॉर्म पर कार्यरत डिलीवरी वर्कर्स ने राष्ट्रव्यापी हड़ताल की घोषणा की। गिग वर्कर्स की यूनियन का कहना है कि उनकी मांगों को कंपनियां अनसुना कर रही हैं। कंपनियां न तो उन्हें उचित वेतन देती हैं और न ही सुरक्षा की गारंटी देती हैं।
यूनियन का यह भी कहना है कि 10 मिनट में डिलीवरी का नियम गिग वर्कर्स के लिए हादसों का कारण बन रहा है। धूप, ठंड और बारिश के बीच लगातार डिलीवरी के बावजूद कंपनियां बीमा, हेल्थ इंश्योरेंस और अन्य सुरक्षा सुविधाएं नहीं देती हैं। हड़ताल के बाद कंपनियों ने डिलीवरी कर्मचारियों के इंसेंटिव अमाउंट बढ़ाने की घोषणा की। जोमैटो ने प्रति ऑर्डर ₹150 देने की बात कही, वहीं व्यस्त समय में जुर्माने से भी छूट देने का ऐलान किया। स्विगी ने 31 दिसंबर और 1 जनवरी को डिलीवरी कर्मियों को ₹10,000 तक कमाने का मौका दिया।
गिग वर्कर्स क्या होते हैं?
गिग वर्कर्स ऐसे कर्मचारी होते हैं जो स्थायी नहीं होते और काम के आधार पर भुगतान पाते हैं। उनका वेतन फिक्स नहीं होता और यह उनके किए गए काम पर निर्भर करता है। उदाहरण के लिए, Zomato, Swiggy, Blinkit के डिलीवरी ब्वॉय गिग वर्कर्स की श्रेणी में आते हैं। श्रम और रोजगार मंत्रालय के अनुसार, ऐसा व्यक्ति जो पारंपरिक नियोक्ता-कर्मचारी संबंध से बाहर रहकर काम करता है और उससे कमाई करता है, वह गिग वर्कर कहलाता है।
“गिग इकॉनमी” शब्द का प्रयोग 2009 में न्यू यॉर्कर की पूर्व संपादक टीना ब्राउन ने किया था। इसका उद्देश्य यह बताना था कि कैसे लोग डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से परियोजनाओं पर काम कर आमदनी करते हैं।
भारत, चीन और अमेरिका में गिग वर्कर्स की स्थिति
द इकोनॉमिस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया में सबसे ज्यादा गिग वर्कर्स चीन में हैं, जहां उनकी संख्या लगभग 2 करोड़ है। भारत में गिग वर्कर्स की संख्या लगभग 1 करोड़ है और नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार यह संख्या 2029-30 तक 2.35 करोड़ तक पहुंच सकती है। मलेशिया में 12 लाख गिग वर्कर्स हैं। शहरी और ग्रामीण अर्थव्यवस्थाएं तेजी से गिग वर्कर्स पर निर्भर होती जा रही हैं।
गिग वर्कर्स की आमदनी
गिग वर्कर्स की कमाई प्लेटफॉर्म और डिलीवरी दूरी पर निर्भर करती है। PAIGAM और पेनसिल्वेनिया विश्वविद्यालय के आंकड़ों के अनुसार, लगभग 50% डिलीवरी कर्मचारी प्रतिदिन ₹201-600 कमाते हैं, जबकि लगभग 43% कैब-आधारित गिग वर्कर्स प्रतिदिन ₹500 से कम कमाते हैं।
गिग वर्कर्स की प्रमुख मांगें
गिग वर्कर्स की पांच मुख्य मांगें हैं:
पुराना पेआउट पुनः लागू किया जाए (पहले प्रति ऑर्डर ₹80 और ₹60 मिलता था)।
10 मिनट में डिलीवरी का नियम पूरी तरह समाप्त किया जाए।
ऐप्स के एल्गोरिदम से नियंत्रण हटाया जाए।
कंपनियां वर्कर्स की ID ब्लॉक करना बंद करें।
गिग वर्कर्स को सम्मान और सुरक्षा प्रदान की जाए।
बीबीसी की रिपोर्ट में तेलंगाना गिग एंड प्लेटफॉर्म वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष शेख सलाउद्दीन का कहना है कि डिलीवरी वर्कर्स की फीस लगातार घटाई जा रही है। पहले प्रति ऑर्डर ₹80 और ₹60 मिलता था, अब 10, 20 और 15 रुपए दिए जा रहे हैं। उनका कहना है कि कंपनियां भारी मुनाफा कमाती हैं, लेकिन गिग वर्कर्स को उनका हक नहीं मिलता।
