इस रेगिस्तान में है 'नरक का द्वार', जहां 53 साल से धधक रही है भीषण आग

punjabkesari.in Sunday, Sep 01, 2024 - 03:13 PM (IST)

नेशनल डेस्क : पृथ्वी पर एक ऐसी जगह है जिसे "नरक का दरवाजा" कहा जाता है, और इस स्थान की कहानी सुनकर आपकी आंखें चौंधिया जाएंगी। यह स्थान तुर्कमेनिस्तान की राजधानी अश्गाबात से लगभग 260 किलोमीटर उत्तर में स्थित रेगिस्तान में है। यह गड्ढा पिछले 53 वर्षों से लगातार जल रहा है, और यही वजह है कि इसे 'नरक के दरवाजे' के नाम से जाना जाता है। इस गड्ढे का तापमान 1000 डिग्री सेल्सियस तक होता है। 

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तापमान में गिरावट और लपटों की स्थिति
हालांकि, हाल के वर्षों में इस गड्ढे के तापमान में कुछ गिरावट आई है, जिसके कारण आग की लपटें धीरे-धीरे शांत हो रही हैं। यह जानकारी आपको यह जानने में मदद कर सकती है कि आखिर इस गड्ढे में ऐसा क्या है जिससे 53 वर्षों से लगातार आग जल रही है।

क्या है वैज्ञानिकों का दृष्टिकोण
वैज्ञानिकों के अनुसार, इस गड्ढे में मीथेन गैस और आग से भरा हुआ 229 फीट चौड़ा और लगभग 65 फीट गहरा गड्ढा है। इस स्थान पर पहली बार 1971 में सोवियत संघ (USSR) के वैज्ञानिकों ने ड्रिलिंग की थी, जिसके परिणामस्वरूप गड्ढे में आग लग गई थी। तब से लेकर आज तक यह आग जलती जा रही है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इस गड्ढे के नीचे एक विशाल प्राकृतिक गैस का भंडार है, जिसके कारण आग लगातार जलती रहती है।

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गड्ढे को लेकर चिंतित है सरकार 

तुर्कमेनिस्तान सरकार इस गड्ढे को लेकर काफी चिंतित है और इसे बंद करने के लिए एक विशेष योजना तैयार की है। हालांकि, यह भी कहा जा रहा है कि जब तक गड्ढा खुद-ब-खुद बंद नहीं हो जाता, तब तक इसे पूरी तरह से बंद करना बहुत कठिन है। इस क्षेत्र में प्राकृतिक गैस और तेल का विशाल भंडार होने के कारण यह स्थिति और भी जटिल हो जाती है।

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किन देशों में फैला है...
यह गड्ढा तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान के बीच फैले प्राकृतिक गैस और तेल के विशाल भंडार क्षेत्र में स्थित है। इस क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति और गैस के भंडार इसके जलने की स्थिति को और जटिल बनाते हैं।इस रहस्यमय गड्ढे की कहानी और इसके ज्वलंत तापमान ने इसे एक अद्वितीय और आकर्षक स्थल बना दिया है, जो वैज्ञानिकों और पर्यटकों दोनों के लिए एक दिलचस्प विषय है।


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Content Editor

Utsav Singh

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