"Make in India" के कारण FY24 में इलेक्ट्रॉनिक आयात में देखी गई गिरावट - रिपोर्ट

punjabkesari.in Sunday, Nov 17, 2024 - 03:21 PM (IST)

नेशनल डेस्क। भारत सरकार की "Make in India" पहल के तहत घरेलू इलेक्ट्रॉनिक उत्पादन को बढ़ावा देने और आयात में कमी लाने के उद्देश्य से कई कदम उठाए गए हैं। इसके सकारात्मक परिणाम अब दिखाई देने लगे हैं और एक नई रिपोर्ट के अनुसार वित्तीय वर्ष 2023-24 (FY24) में भारत के इलेक्ट्रॉनिक आयात में गिरावट देखी गई है।

रिपोर्ट में रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज (आरओसी) के पास इन कंपनियों की नियामक फाइलिंग का हवाला देते हुए कहा गया है कि आठ इलेक्ट्रॉनिक्स फर्मों का संयुक्त आयात मूल्य वित्त वर्ष 2014 में साल-दर-साल 7 प्रतिशत गिरकर 95,143 करोड़ रुपये हो गया। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि इन कंपनियों का कुल आयात मूल्य वित्त वर्ष 2012 में 1 लाख करोड़ रुपये को पार कर गया और वित्त वर्ष 2013 में और बढ़ गया। वित्त वर्ष 2014 में आयात में गिरावट कम से कम छह वित्तीय वर्षों में पहली थी, रिपोर्ट में कहा गया है कि उद्योग के अधिकारियों ने कहा कि यह शायद पहली बार था, क्योंकि उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक उद्योग पारंपरिक रूप से आयात पर बहुत अधिक निर्भर रहा है।

इस मौके पर डिक्सन टेक्नोलॉजीज के अध्यक्ष सुनील वाचानी ने प्रकाशन को बताया, "भारत में रेफ्रिजरेटर, एसी और वॉशिंग मशीन जैसे घरेलू उपकरणों में मूल्य वृद्धि अधिक हो गई है, जहां कंप्रेसर, मोटर, शीट मेटल, हीट एक्सचेंजर्स जैसे सभी महत्वपूर्ण घटक अब स्थानीय रूप से निर्मित होते हैं।"

भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग में आयात में गिरावट देखने को मिली है, और कंपनियां इसे अपनी स्थानीयकरण रणनीतियों का परिणाम मान रही हैं। विभिन्न कंपनियों ने रिपोर्ट किया है कि उनकी भारतीय इकाइयों ने आयात में 7 प्रतिशत से अधिक की गिरावट दर्ज की है, खासकर सैमसंग और ऐप्पल जैसी प्रमुख कंपनियों ने इसे महसूस किया है। इसके साथ ही, व्हर्लपूल जैसी कंपनियों ने 22 प्रतिशत तक गिरावट की सूचना दी है। हालांकि, हायर और एम्बर जैसी कंपनियों के लिए आयात मूल्य लगभग स्थिर रहा।

कंपनियों की रिपोर्ट

सैमसंग और ऐप्पल: सैमसंग और ऐप्पल की भारतीय इकाइयों ने स्थानीयकरण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, जिसके कारण उनके आयात में 7 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई है। इन कंपनियों ने भारत में अधिक उत्पादन करने पर ध्यान केंद्रित किया है, जिससे आयात की जरूरत कम हुई है।

व्हर्लपूल: व्हर्लपूल ने 22 प्रतिशत की भारी गिरावट दर्ज की है, जो इन कंपनियों के स्थानीय उत्पादन बढ़ाने के प्रयासों को दर्शाता है।

हायर और एम्बर: इन कंपनियों के आयात मूल्य में स्थिरता बनी रही है, यानी इन कंपनियों ने ज्यादा बदलाव नहीं किया है।

PLI योजना का प्रभाव

भारत सरकार ने बड़ी कंपनियों को स्थानीय उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए "प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव" (पीएलआई) योजना लागू की है। इस योजना का उद्देश्य देश में इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी हार्डवेयर के बड़े पैमाने पर उत्पादन को बढ़ावा देना है। इस योजना को इस साल फरवरी में भारत सरकार के अंतरिम बजट में बड़ा बढ़ावा मिला, जब सरकार ने इसके लिए बजट को 1.5 गुना बढ़ाकर 6,200 करोड़ रुपये कर दिया।

PLI योजना के तहत कंपनियों को प्रोत्साहन

पिछले साल, डेल, एचपी, फॉक्सकॉन और लेनोवो जैसी 27 कंपनियों को आईटी हार्डवेयर के लिए पीएलआई योजना के तहत मंजूरी मिली थी। इस योजना का उद्देश्य कंपनियों को भारत में उत्पादन बढ़ाने के लिए वित्तीय सहायता और प्रोत्साहन देना है। इस साल 40 कंपनियों ने पीएलआई योजना के लिए आवेदन किया था, जिनमें डेल, एचपी और लेनोवो प्रमुख हैं।

बता दें कि भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स के आयात में गिरावट को लेकर कंपनियों की रिपोर्ट यह दर्शाती है कि "मेक इन इंडिया" और पीएलआई योजनाओं का असर दिखाई देने लगा है। कंपनियां अब भारत में अधिक उत्पादन करने पर जोर दे रही हैं, जिससे आयात में कमी आई है और भारतीय उद्योग को बढ़ावा मिला है। इस तरह के कदम भारतीय अर्थव्यवस्था को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं। भारत सरकार की इस पहल से न केवल घरेलू उत्पादन बढ़ेगा, बल्कि रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे और भारत एक मजबूत वैश्विक विनिर्माण हब बन सकता है।


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News Editor

Rahul Rana

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