ChatGPT से बन रहे फर्जी आधार और पैन कार्ड, धोखाधड़ी की बढ़ती संभावना

punjabkesari.in Friday, Apr 04, 2025 - 06:02 PM (IST)

नेशनल डेस्क: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) ने दुनिया भर में कई क्षेत्रों में क्रांतिकारी बदलाव लाए हैं। जहां एक ओर यह तकनीक नई संभावनाओं को जन्म दे रही है, वहीं इसके साथ कुछ नकारात्मक पहलू भी सामने आ रहे हैं। हाल ही में एक नया मामला सामने आया है, जिसमें AI आधारित चैटजीपीटी का इस्तेमाल फर्जी आधार कार्ड और पैन कार्ड बनाने के लिए किया जा रहा है। यह घोटाला केवल डिजिटल दुनिया तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके कारण कई गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं, जैसे कि व्यक्तिगत जानकारी की चोरी और धोखाधड़ी के मामले। जहां AI तकनीक ने कई नए अवसरों को जन्म दिया है, वहीं इसके गलत उपयोग से खतरे भी उत्पन्न हो रहे हैं। फर्जी दस्तावेजों के निर्माण में AI का इस्तेमाल न केवल व्यक्तिगत जानकारी की सुरक्षा को खतरे में डालता है, बल्कि यह धोखाधड़ी और अपराधों को बढ़ावा दे सकता है। इसके लिए जरूरी है कि सरकार और संबंधित अधिकारी इस तकनीक पर नियंत्रण रखें और इसके दुरुपयोग को रोकने के लिए ठोस कदम उठाएं। AI का सही उपयोग विकास के नए रास्ते खोल सकता है, लेकिन इसका दुरुपयोग समाज के लिए गंभीर परिणाम पैदा कर सकता है।

Ghibli स्टाइल की तस्वीरों से लेकर फर्जी दस्तावेजों तक

कुछ ही दिन पहले चैटजीपीटी ने Ghibli स्टाइल में फोटो बनाने का फीचर लॉन्च किया था, जिसने सोशल मीडिया पर तहलका मचा दिया था। इस फीचर की मदद से लोग अपनी तस्वीरों को ओरिजिनल और घिबली स्टाइल में बदल कर सोशल मीडिया पर साझा कर रहे थे। इस ट्रेंड ने कुछ ही घंटों में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को भर दिया था और यूजर्स ने अपनी स्टाइलिश और आकर्षक तस्वीरें बड़ी गर्व से पोस्ट कीं। हालांकि, यह ट्रेंड अब एक गंभीर मुद्दे में बदल चुका है। चैटजीपीटी की इमेज जेनरेटर तकनीक का इस्तेमाल अब धोखाधड़ी के लिए किया जा रहा है। कुछ लोग इस तकनीक का इस्तेमाल करके असली आधार कार्ड और पैन कार्ड की नकली तस्वीरें बना रहे हैं। इन नकली दस्तावेजों की गुणवत्ता इतनी अच्छी है कि ये असली दस्तावेजों से मिलती-जुलती दिखाई देती हैं, और उन्हें पहचान पाना बेहद कठिन हो रहा है। 

फर्जी आधार और पैन कार्ड का खतरा

चैटजीपीटी की नई इमेज जेनरेटर तकनीक ने फर्जी दस्तावेज़ों के निर्माण को बेहद आसान बना दिया है। AI की मदद से बनाए गए आधार कार्ड और पैन कार्ड इतने वास्तविक लगते हैं कि इन्हें देखकर किसी को भी धोखाधड़ी का अंदाजा नहीं हो सकता। सोशल मीडिया पर यूजर्स ने AI द्वारा बने आधार कार्ड और पैन कार्ड की तस्वीरें शेयर की हैं, जिससे यह साफ जाहिर होता है कि लोग इस तकनीक का दुरुपयोग कर रहे हैं। पिछले हफ्ते में अकेले चैटजीपीटी के जरिए 700 मिलियन से अधिक घिबली स्टाइल की तस्वीरें बनाई गईं। अब यह तकनीक धोखाधड़ी के लिए एक आसान और प्रभावी तरीका बन चुकी है। इसके जरिए अपराधी किसी भी व्यक्ति का नकली आधार और पैन कार्ड बना सकते हैं, जो आगे चलकर कई गंभीर समस्याओं का कारण बन सकता है। 

सोशल मीडिया पर चेतावनी और बढ़ते धोखाधड़ी के खतरे

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर अब लोग चेतावनी दे रहे हैं कि इस तरह के धोखाधड़ी के मामलों में बढ़ोतरी हो सकती है। एक तरफ जहां चैटजीपीटी का उपयोग फर्जी दस्तावेज बनाने के लिए किया जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ ये दस्तावेज़ विभिन्न धोखाधड़ी गतिविधियों में इस्तेमाल हो सकते हैं। यह न केवल व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा को खतरे में डाल सकता है, बल्कि इससे सरकार की योजनाओं में भी धोखाधड़ी का खतरा पैदा हो सकता है। 

क्या AI का दुरुपयोग रोका जा सकता है?

चैटजीपीटी के इस नए ट्रेंड ने यह सवाल उठाया है कि क्या AI के दुरुपयोग को रोका जा सकता है। यह तकनीक तेजी से विकसित हो रही है, और इसके दुरुपयोग को रोकने के लिए सरकार और संबंधित अधिकारियों को गंभीर कदम उठाने की आवश्यकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि AI के विकास से कई सकारात्मक परिणाम हो सकते हैं, लेकिन इसके दुरुपयोग से उत्पन्न होने वाली समस्याओं को रोकने के लिए ठोस निगरानी और नियंत्रण की आवश्यकता है। 

सरकार को उठाने होंगे ठोस कदम

चैटजीपीटी और AI की बढ़ती ताकत को देखते हुए यह सवाल खड़ा होता है कि क्या इन तकनीकों पर प्रभावी नियंत्रण लगाया जा सकता है। सरकार और अन्य नियामक संस्थाओं को जल्दी ही ऐसी रणनीतियां बनानी होंगी, जो AI के दुरुपयोग को रोक सकें और नागरिकों की व्यक्तिगत जानकारी की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकें। यदि इस पर उचित ध्यान नहीं दिया गया, तो यह भविष्य में बड़ी धोखाधड़ी और अन्य अपराधों का कारण बन सकता है। 


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News Editor

Rahul Rana

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