दुनिया में भारी उथल पुथल की आशंका; बहुत जरूरी है देश की कमान मजबूत हाथों में हो: जयशंकर

punjabkesari.in Friday, May 10, 2024 - 02:34 PM (IST)

नेशनल डेस्क: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने आगाह किया है कि संघर्षों, सत्ता केंद्रों में बदलाव और तेज होती प्रतिस्पर्धा के कारण इस दशक में दुनिया में ‘बहुत अधिक उथल-पुथल' होगी और ऐसे में बहुत जरूरी है कि देश की कमान मजबूत हाथों में हो। जयशंकर ने बृहस्पतिवार शाम को एक विशेष इंटरव्यू में 2020 के दशक के अंत तक एक ऐसी दुनिया की तस्वीर चित्रित की जो हमारे आज के संसार से बिल्कुल अलग होगी।

वैश्विक शक्ति संतुलन के इस आकलन में उन्होंने कूटनीति और राजनीति में अपने लगभग 50 वर्ष के अनुभव के आधार पर कुछ चिंतित करने वाले तथ्य पेश किए। चीन और अमेरिका में भारत के राजदूत रह चुके जयशंकर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 2019 में राजनीति में लेकर आए थे। जयशंकर ने कहा, ‘‘कई सारे संघर्ष, तनाव, विभाजन! इन सभी पहलुओं के साथ जो मैं आपके सामने रख रहा हूं,... मैं वास्तव में, इस दशक की शेष अवधि में बहुत अधिक उथल-पुथल वाले अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य की तस्वीर पेश कर रहा हूं।''

विदेश मंत्री ने इस ‘उथल-पुथल' की भविष्यवाणी के लिए विशेष रूप से अमेरिका के घटते दबदबे, यूक्रेन में युद्ध, गाजा में संघर्ष, लाल सागर में हमले, दक्षिण चीन सागर में तनाव, विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में आतंकवाद की चुनौती और नई प्रौद्योगिकियों के आविर्भाव को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि आज ये सभी घटनाक्रम मिलकर एक जबदरस्त उथल-पुथल की तस्वीर प्रस्तुत करते हैं और इन सबसे ऊपर प्रतिस्पर्धा भी तेज हो रही है।'' इस संदर्भ में विदेश मंत्री ने कहा,‘‘ ऐसे में यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि लोकसभा चुनाव में मतदाता विवेकपूर्ण तरीके से चुनाव करें ताकि भारत में एक मजबूत, स्थिर और परिपक्व नेतृत्व कायम रहे।''

राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार को बनाए रखने की पैरवी करते हुए उन्होंने कहा,‘‘ मेरे हिसाब से, आज के हालात में भारतीय मतदाताओं को जो सबसे बड़ा चुनाव करना है- वह ये है कि आप भारत सरकार की कमान सौंपने के लिए किस पर भरोसा करेंगे?'' अपने राजनयिक अनुभव से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत और मोदी सरकार की साख बढ़ाने के लिए देश में लोकप्रिय जयशंकर ने संकेत दिया कि दुनिया में यह उथल-पुथल पहले से ही शुरू हो चुकी है। उन्होंने कहा, ‘‘आज यूक्रेन में युद्ध हो रहा है, गाजा में संघर्ष के हालात हैं, लाल सागर और अरब सागर में हमले हो रहे हैं, दक्षिण चीन सागर क्षेत्र में तनाव की स्थिति है, विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में आतंकवाद है, हमारे सामने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन के साथ समस्या है लेकिन अन्य देशों के भी चीन के साथ अपने अलग मुद्दे हैं।'' उन्होंने कहा कि इन सबके साथ अमेरिका का दबदबा भी कम हो रहा है।

जयशंकर ने कहा, ‘‘अमेरिका आज भी दुनिया की प्रमुख महाशक्ति है। लेकिन कई कारणों से, आप कह सकते हैं कि अमेरिका और पायदान पर उसके बाद खड़ी महाशक्तियां पहले की तुलना में उसके काफी करीब पहुंच गई हैं। दुनिया को लेकर अमेरिका के रवैये में भी बदलाव आया है।'' विदेश मंत्री ने यह भी तर्क दिया कि अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के विकास क्रम में पिछले 25 वर्षों में वैश्वीकरण के परिणामस्वरूप एक भौगोलिक क्षेत्र में विनिर्माण और प्रौद्योगिकी केंद्रित हो गई है जबकि कई देशों की क्षमताएं कमजोर पड़ गई हैं। उन्होंने कहा कि इन दोनों पर ही प्रतिक्रिया सामने आ रही है और दुनियाभर के देशों ने विनिर्माण के और अधिक केंद्रों तथा अधिक आपूर्ति शृंखलाएं निर्मित करने पर ध्यान देना शुरू कर दिया है।

जयशंकर ने कहा, ‘‘इसका एक पहलू वास्तव में वैश्विक अर्थव्यवस्था में विविधता लाने वाला है, जबकि दूसरा है कि कई अर्थव्यवस्थाओं में अर्थव्यवस्था के खोखले होने के कारण आज अपनी नौकरियों को बचाने की इच्छा है। मैं कहूंगा कि वे वैश्वीकरण के इस तरह के एक बहुत ही त्रुटिपूर्ण मॉडल के सामाजिक परिणामों को देख रहे हैं। यह एक बहुत बड़ा कारक बनता जा रहा है।'' विदेश मंत्री ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता, चिप, ड्रोन, विद्युत चालित वाहन, बैटरी, हरित और स्वच्छ प्रौद्योगिकी जैसी नई तकनीकों के ‘अत्यधिक प्रभाव' को भी रेखांकित किया। 

 


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Content Editor

Mahima

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