सूखा सावन! कर्ज से परेशान किसानों पर मौसम का सितम

punjabkesari.in Saturday, Aug 19, 2017 - 12:51 PM (IST)

जालंधर: सावन का महीना बीत चुका है लेकिन देश के बड़े हिस्से में सावन सूखा ही बीत गया है। मानसून शुरू होने से पहले मौसम विभाग ने सामान्य मानसून की भविष्यवाणी की थी लेकिन 18 अगस्त तक के मौसम विभाग के आंकड़े बताते हैं कि देश के कई राज्यों में मानसून अब तक सामान्य नहीं रहा है। कृषि प्रधान राज्यों हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और कर्नाटक में अब तक सबसे कम वर्षा हुई है। 

 पिछले साल के मुकाबले पिछड़ी बिजाई

  किस हिस्से में कितनी बारिश

देश भर में बारिश    -4 
दक्षिण भारत         -16 
मध्य भारत       -9 
उत्तर पश्चिम भारत      +3  
पूर्वोत्तर भारत       +3 

 

16 फीसदी कम हुई बारिश 
मानसून के दगा देने से इन राज्यों के किसान चिंतित हैं। किसान पहले से ही कर्ज की मार में डूबे हुए हैं। ऐसे में मानसून फेल हुआ तो किसानों के साथ-साथ देश की अर्थव्यवस्था पर भी इसका प्रतिकूल असर पड़ेगा।महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा किसान खुदकुशी कर रहे हैं और इस राज्य में भी अब तक 16 फीसदी कम बारिश हुई है। महाराष्ट्र में कपास की खेती होती है और जुलाई की शुरूआत में तो यहां अच्छी बारिश थी लेकिन अगस्त में इंद्र देव महाराष्ट्र से रुष्ट हुए प्रतीत हो रहे हैं। इसके अलावा धान की खेती के लिए मशहूर हरियाणा में 26 फीसदी कम बारिश हुई है। यहां किसानों को अपनी धान और बासमती की फसल बचाने के लिए ट्यूबवैल के पानी का सहारा लेना पड़ा है जिससे किसानों की लागत बढ़ी है। उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों को मानसून से उम्मीद थी लेकिन वहां भी 22 फीसदी बारिश कम हुई है जिससे किसान मायूस हैं, जबकि दालों और दलहन की फसल के लिए मशहूर मध्य प्रदेश में भी 23 फीसदी कम बारिश हुई है।

राज्य कितनी कम बारिश 
हरियाणा  -26 
कर्नाटक -26 
उत्तर प्रदेश  -22
मध्य प्रदेश  -23 
तेलंगाना  -17
पंजाब  -16 
महाराष्ट्र   -16 
हिमाचल प्रदेश -9

 

अगस्त में बिजाई पिछड़ी 
इस बीच मानसून की बेरुखी का असर मौजूदा खरीफ  सीजन की बिजाई पर साफ नजर आने लगा है। बरसात न होने के कारण देश भर में बिजाई पिछले साल के मुकाबले पिछड़ गई है। 4 अगस्त तक देश भर में बिजाई का काम तेजी से चल रहा था और तब तक 878.23 लाख हैक्टेयर रकबे पर बिजाई का काम पूरा हो चुका था जबकि पिछले साल इसी अवधि के दौरान 855.85 लाख हैक्टेयर रकबे पर बिजाई हुई थी और यह आंकड़ा गत वर्ष के मुकाबले 22 लाख हैक्टेयर ज्यादा था लेकिन पिछले 14 दिन में बिजाई का आंकड़ा पिछले साल के मुकाबले पिछड़ गया है। पिछले साल 18 अगस्त तक 984.57 लाख हैक्टेयर रकबे पर बिजाई हुई थी जबकि इस साल यह रकबा कम होकर 976.34 लाख हैक्टेयर रह गया है, यानी पिछले साल के मुकाबले 8 लाख हैक्टेयर कम बिजाई हुई है। 

बढ़ेगी खाद्य तेल और दालों की महंगाई 
देश के अब तक के बिजाई के आंकड़ों से साफ  है कि आने वाले साल में देश में दालों और खाद्य तेल के उत्पादन में कमी हो सकती है। पिछले साल 18 अगस्त तक देश में 135.42 लाख हैक्टेयर रकबे पर दालों की बिजाई हुई थी जो इस साल कम होकर130.68 लाख हैक्टेयर रह गई है जबकि खाद्य तेल बनाने के बीज का रकबा करीब 18 लाख हैक्टेयर कम हो गया है। पिछले साल 175.10 लाख हैक्टेयर रकबे पर खाद्य तेलों के बीजों की बिजाई हुई थी जो इस साल कम होकर 157.36 लाख हैक्टेयर रह गया है।


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