फेस वाॅश, शॉवर जेल इस्तेमाल करने वाले हो जाएं सावधान! 45% उत्पादों में घातक प्लास्टिक कण, स्वास्थ्य पर पड़ रहा गंभीर प्रभाव
punjabkesari.in Tuesday, Aug 27, 2024 - 02:04 PM (IST)
नेशनल डेस्क: कोचीन यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी ने देश में उपलब्ध 45 पर्सनल केयर उत्पादों जैसे कि फेस वॉश, स्क्रब और शॉवर का अध्ययन किया। इसमें पाया गया कि 45% उत्पादों में माइक्रोबीड्स मौजूद हैं। यूनिवर्सिटी की शोधकर्ता रिया एलेक्स के अनुसार, माइक्रोबीड्स जहरीले पदार्थों को फैलाने का माध्यम बन सकते हैं, जो खाद्य श्रृंखला में उच्च स्तर पर जमा हो जाते हैं।
माइक्रोबीड्स का प्रदूषण में योगदान
माइक्रोबीड्स प्रदूषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये छोटे प्लास्टिक कण पर्यावरण में 93% की हिस्सेदारी रखते हैं और दुनिया के सबसे ऊंचे स्थान, माउंट एवरेस्ट, से लेकर समुद्र की सबसे गहरी जगह, मरीना ट्रैच, तक पाए गए हैं।
स्वास्थ्य पर प्रभाव
माइक्रोबीड्स मानव स्वास्थ्य के लिए भी खतरा पैदा कर सकते हैं। ये हार्मोनल असंतुलन, मेटाबॉलिज्म में बाधा और सांस लेने में कठिनाई जैसी समस्याओं का कारण बन सकते हैं। कई अध्ययनों ने रक्त, मूत्र और शरीर के अन्य अंगों में माइक्रोबीड्स की उपस्थिति की पुष्टि की है। हालांकि, इनसे प्राकृतिक परिवेश, इंसानों, जानवरों और पेड़-पौधों पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभावों पर अभी और अध्ययन किया जाना बाकी है।
अन्य देशों में प्रतिबंध
अमेरिका ने 2015, ब्रिटेन ने 2018, और नीदरलैंड्स ने 2014 में माइक्रोबीड्स पर प्रतिबंध लगा दिया है। भारत ने 2011 में एकल-उपयोग प्लास्टिक के उपयोग पर प्रतिबंध लगाया था, लेकिन माइक्रोबीड्स पर कोई विशेष प्रतिबंध नहीं है। इसलिए, भारत में माइक्रोबीड्स पर प्रतिबंध लगाने की आवश्यकता पर गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए ताकि पर्यावरण और स्वास्थ्य दोनों की रक्षा की जा सके।
क्या है माइक्रोबीड्स?
माइक्रोबीड्स छोटे प्लास्टिक के गोलाकार दाने होते हैं, जिनका व्यास 5 मिमी से कम होता है। ये पानी में घुलते नहीं हैं और त्वचा की देखभाल के उत्पादों में मृत कोशिकाओं को हटाने के लिए उपयोग किए जाते हैं। भारत में फेस वॉश, स्क्रब और शॉवर जैल जैसे उत्पादों में पाए जाने वाले खतरनाक माइक्रोबीड्स पर प्रतिबंध लगाने की आवश्यकता पर विचार होना चाहिए।